रायपुर. |
इंडोर स्टेडियम में शादी में पंडाल लगाने वाले से कोविड केयर सेंटर बनवाने के बाद स्मार्ट सिटी ने कोरोना जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की मंजूरी लिए बिना राजधानी में मोबाइल वैन दौड़ा दी है। आईसीएमआर की गाइडलाइन में कोरोना जांच के लिए मोबाइल लैब जैसी कोई व्यवस्था ही नहीं है। सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि टेंडर फाइनल होने से पहले ही वैन शहर में घूम रही है। यही नहीं, स्मार्ट सिटी ने इस योजना का टेंडर भी एक हफ्ते के शॉर्ट नोटिस पर ही कर दिया। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के मुताबिक इस तरह केवल सैंपल कलेक्ट किए जा सकते हैं। उसकी जांच के लिए विधिवत लैब जरूरी है।
भास्कर ने जब इसकी तह तक जाकर पड़ताल की तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं है। दरअसल, शहर में जो जगह जगह मोबाइल लैब दिखाई दे रही है, वो शहर में 23 जून को ही आ गई थी। इसके चार दिन बाद स्मार्ट सिटी ने इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरु की। नगर निगम की वेबसाइट पर इसके तहत मोबाइल लैब के लिए इच्छुक एजेंसियों से 4 जुलाई तक निविदाएं बुलाई गईं।
6 जुलाई को इसका टेंडर खोला गया। इस प्रक्रिया में केवल तीन एजेंसियों से हिस्सा लिया। तकनीकी प्रस्ताव से जुड़े दस्तावेज पहले खोले गए, तकनीकी आधार पर एक एजेंसी को दौड़ से बाहर कर दिया गया। इसके बाद केवल दो ही एजेंसियां बची। 6 जुलाई को शाम को वित्तीय दस्तावेज खुलने थे, लेकिन अभी तक नहीं खुले। वित्तीय प्रस्ताव खोले बिना यानी प्रति टेस्ट कोरोना जांच की दर तय किए बिना ही मोबाइल वैन से कोरोना की जांच भी शुरू हो गई।
मोबाइल लैब से जांच महंगी, 20 फीसदी तक ज्यादा खर्च
स्मार्ट सिटी के द्वारा निर्धारित किए गए मापदंडों के मुताबिक हर दिन 250 कोरोना जांच होगी। खुद स्मार्ट सिटी के एमडी सौरभ कुमार भास्कर से बातचीत में कह चुके हैं कि स्वाभाविक तौर पर सरकारी या प्राइवेट लैब की तुलना में इससे हर एक जांच में करीब 15 से 20 फीसदी तक अतिरिक्त खर्च आ सकता है। क्योंकि मोबाइल वैन के शहर में घूमने से रोजाना का फ्यूल और जितना स्टॉफ वो इसके लिए लगाया, उसका खर्च भी बढ़ेगा।
ठेका स्मार्ट सिटी से तय कर रहे निगम अफसर
कागजों में मोबाइल लैब का ये प्रोजेक्ट वैसे तो स्मार्ट सिटी का है। लेकिन तमाम बातें नगर निगम के अफसरों के जरिए तय हो रही है। वित्तीय प्रस्ताव से जुड़े दस्तावेजों का परीक्षण भी अधिकारी ही कर रहे हैं। यहां तक कि एजेंसी भी फिलहाल प्रति कोरोना टेस्ट की शुल्क नहीं बता रही है। इसके बारे में निगम अफसर ही कुछ बता सकते हैं।
प्रतिदिन मिनिमम चार्ज लेने का प्रस्ताव भी दिया था
पड़ताल में पता चला है कि एजेंसी ने पहले हर दिन न्यूनतम चार्ज यानी करीब 250 टेस्ट का शुल्क लेने का प्रस्ताव दिया था। यानी अगर पूरे दिन में एक भी टेस्ट न हो, तो भी वह इस राशि की हकदार होती। स्मार्ट सिटी के अफसरों को इस पर एतराज भी जताया। कोविड सेंटर की तरह ज्यादातर अफसरों को इसकी जानकारी नहीं थी।
“आईसीएमआर की गाइडलाइन में कहीं भी मोबाइल लैब जैसा कोई शब्द ही नहीं है। कोरोना जांच मानकों के अनुरूप भवनों में बनी लैब में ही होनी है। स्मार्ट सिटी ने विभाग से इसके संचालन की मंजूरी नहीं ली। कोई पत्र भी नहीं मिला।”
– निहारिका बारिक सिंह, हेल्थ सचिव, स्वास्थ्य विभाग
