0 केबलिंग और मेंटनेंस के काम में भ्र्ष्टाचार का खामियाजा भुगत रही जनता
कोरबा(खटपट न्यूज़)। एक-दूसरे में उलझे हुए बिजली के तारों मैं शॉर्ट- सर्किट हुआ और देखते ही देखते चिंगारी ने अपना रूप बदल लिया।
अग्रसेन चौक, कोरबा से वासन गली जाने वाले मार्ग में गर्ग इलेक्ट्रिकल्स के किनारे मौजूद बिजली खंभे के तारों में शॉर्ट-सर्किट होने के साथ चिंगारियां फूटने लगी और इसके प्रभाव से सड़क के दूसरी ओर स्थित ट्रांसफार्मर जहां से लाइन खींची गई है उस पर भी असर पड़ा और वहां भी चिंगारियां फूटे लगी। रात लगभग 10 बजे ऐसा लगा मानो दोनों तरफ अनारदाने फूट रहे हों। राह से गुजरने वालों ने ठहर कर इसे अपने मोबाइल में कैद किया। आसपास के लोगों ने अग्निशमन यंत्र के जरिए आग पर काबू पाने की कोशिश की। सूचना मिलने पर विद्युत विभाग ने यहां की विद्युत आपूर्ति बंद करने के साथ आवश्यक सुधार कार्य किया। इस तरह की घटना से स्थानीय लोगों में दहशत भी है कि कभी भी विद्युत संबंधी दुर्घटना हो सकती है।
बता दें कि कोरबा शहर हो या उपनगर या ग्रामीण इलाके, बिजली के तारों का जाल खंभों में इस कदर उलझा हुआ है कि कब क्या घटना-दुर्घटना हो जाए कहा नहीं जा सकता। उलझे हुए तारों को सुलझाने की जहमत ईमानदारी पूर्वक नहीं की गई। हालांकि इसके मेन्टेनेन्स के लिए लाखों-करोड़ों रुपए के ठेके भी हुए और लीपापोती वाले काम ने सरकारी धन का बंटाधार और संबंधित ठेकेदारों को फलने-फूलने का मौका दिया। आज भी सहज देखा जा सकता है कि विद्युत केबलिंग के कार्य में किस तरह की लीपापोती ऊंची पहुंच वाले ठेकेदारों ने की है। सीतामढ़ी, पुरानी बस्ती, कोरबा शहर, टीपी नगर जैसे अनेक इलाके हैं जहां ट्रांसफार्मर से केबल खींचा गया और खंभे तक लाया गया लेकिन न तो इसे चार्ज किया गया और ना ही खंभों में बॉक्स लगाए गए। इस पर दुर्भाग्यजनक यह है कि संबंधित विद्युत अधिकारी के द्वारा ठेकेदार का पूरा-पूरा भुगतान भी अधूरा काम होने के बावजूद कर दिया गया। अब अधूरे काम का पूरा पैसा पाने के बाद भला कौन ठेकेदार काम पूरा करने की कोशिश करेगा। उसे तो कम लागत में पूरा फायदा आखिर अधिकारी ने दे ही दिया। केबलिंग का भुगतान से संबंधित विद्युत अधिकारी की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए जिसने अधूरे कार्यों का पूरा भुगतान कर दिया। ठेकेदार को ब्लैकलिस्टेड कर देना चाहिए। खंभों में डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स तो बहुत ही कम नजर आता है। खींचे गए केबल के लिए कभी पेड़-पौधे तो कभी बांस का सहारा सहज ही देखा जा सकता है। विद्युत विभाग के कार्य में अंधेरगर्दी किसी से छिपी नहीं है लेकिन व्यवस्था व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का बीड़ा आखिर उठाए तो कौन? जबकि ऊर्जाधानी से लेकर राजधानी तक इसकी खबर सबको है।
00 सत्या पाल 00 (7999281136)