Monday, December 23, 2024
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मवेशी मर रहे 14 से, मछलियां मरी 21 को, विषाक्त पानी से तार जोड़ रहे….जांच में लीपापोती के बढ़े आसार

कोरबा-पोड़ी-उपरोड़ा(खटपट न्यूज़)। कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कोरबी के तीन मोहल्लों में आधा दर्जन ग्रामीणों के मवेशियों की हुई मौत के मामले में जांच के साथ-साथ लीपापोती भी शुरू कर दी गई है। दावे के साथ यह कहना कि विषाक्त पानी पीने से उन सभी मवेशियों की जान गई है, क्या कुछ ज्यादा जल्दबाजी नहीं है…जबकि अभी पूरी रिपोर्ट आना शेष है।

घटनाक्रम की सत्यता का पता लगाने के लिए राज्य स्तरीय जांच टीम ने बुधवार को ग्राम कोरबी पहुंचकर कई तरह के नमूने एकत्र किए। इस दौरान यह बात भी सामने आई कि जिस देवनारायण सिंह के 22 मवेशी मरे हैं उसके गौशाला के निकट स्थित निजी डबरी में पाली गई मछलियां आज ही(21 जुलाई को) सुबह मृत हालत में मिली। डबरी के पानी में तेल जैसा नजर आया। इस दौरान बुधवार सुबह ही देवनारायण के बड़े पिता के चार बैलों ने डबरी का पानी पी लिया जिससे उनकी तबीयत खराब हो गई। देवनारायण ने तत्काल इसकी सूचना पशु चिकित्सक बीआर उरांव को दी जिन्होंने इलाज शुरू कर बैलों को खतरे से बाहर निकाला।
इधर दूसरी ओर कथित तौर पर टीका लगाए जाने के बाद वे मवेशी जिन्हें 13 जुलाई को टीका लगा था उनकी 14 जुलाई से मौत शुरू होने की जानकारी देव नारायण सिंह ने दी है। जांच टीम ने तालाबनुमा डबरी में जब मछलियों के मरने और पानी में जहर मिले होने की खबर पाई तब इसे मवेशियों की मौत से जोड़कर अधिकारियों द्वारा आम किया जाने लगा। यह कहा जा रहा है कि उक्त तालाबनुमा डबरी का विषाक्त पानी पीने से उन सभी मवेशियों की जान गई है। क्या यह कहना कुछ ज्यादा जल्दबाजी नहीं है…?
बुधवार 21 जुलाई को सुबह मछलियों के मरने और इसके एक सप्ताह पहले से मवेशियों की मौत होने के बीच 7 दिन का अंतर है। भला इतने अंतराल में हुए इन दोनों घटनाओं के तार कैसे जोड़े जा रहे हैं, यह तो जांच दल के लोग ही बता सकते हैं परंतु इस तरह के जोड़- घटाव से इतना तो साफ है कि जांच कम लीपापोती कुछ ज्यादा हो रही है। इस बीच पशुपालक देवनारायण यह भी बताता है कि उक्त डबरी उसके गौशाला के बगल में है और डबरी का पानी उसके मवेशियों के अलावा दूसरे मवेशी नहीं पीते। उसने यह भी बताया कि द्वारीपारा, कोरबीपारा और खजूरपारा के मवेशियों का एक-दूसरे के क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं रहता और वे अपने क्षेत्र में चरते हैं। देवनारायण ने बताया कि 14 जुलाई से उसके व अन्य ग्रामीणों के मवेशियों की मौत हो रही थी लेकिन पशु चिकित्सक के द्वारा मुआवजा मिल जाएगा कहकर बात को उजागर नहीं करने कहा जाता रहा। कुछ दिन इंतजार करने के बाद भी मुआवजा की कोई बात नहीं हुई और जब विधायक मोहित राम केरकेट्टा कोरबी के दौरे पर पहुंचे तो प्रभावित पशुपालकों ने उनके समक्ष पूरे घटनाक्रम को रखा। वैसे भी बुधवार सुबह डबरी और मछलियों का घटनाक्रम आम हुआ, तभी से ग्रामीण यह कयास लगाने लगे थे कि अब सारा ठीकरा जहरीले पानी पर फोड़ा जाएगा और शाम होते-होते हुआ भी यही।

0 21 से पहले डबरी में सब ठीक था

देवनारायण का कहना है कि उसके तालाब नुमा डबरी में मछलियां 21 जुलाई को सुबह मृत मिलीं जबकि इससे पहले सब ठीक था। अगर मवेशी डबरी का पानी पीने से मृत हुए हैं तो इन मछलियों को भी 14 जुलाई से ही मृत हालत में मिलना था जबकि ऐसा नहीं हुआ। पूरे घटनाक्रम के दिन, दिनांक और देवनारायण की बातों पर गौर करें तो कुल जमा लीपापोती है।
0 जांच टीम में ये रहे शामिल

ग्राम पंचायत कोरबी में रायपुर से पहुंची डीआई की टीम में डॉ. अनूप चटर्जी, डॉ. शर्मा तथा दुर्ग जिले के अंजोरा से पहुंची एक अन्य टीम ने सैम्पल एकत्र किए। मवेशियों के ब्लड सैम्पल, मृत मवेशियों के बिसरा, घास-फूस, डबरी का पानी, मछली के सैम्पल आदि को परीक्षण के लिए एकत्र किया गया। पशु चिकित्सा विभाग कोरबा से उप संचालक एसपी सिंह, पशु चिकित्सा सहायक व सर्जन डॉ. अजय तंवर सिंह, कोरबी के पशु चिकित्सक बीआर उरांव, पशु चिकित्सा क्षेत्रीय अधिकारी केंदई एसपी पैकरा, एमआर उइके, जेपी पैकरा, एसके किंडो ने भी जांच प्रक्रिया में सहयोग किया।
0 पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मिली मौत की यह वजह
पशुपालक देवनारायण सिंह द्वारीपारा के मृत मवेशियों का पोस्टमार्टम करने वाले पशु चिकित्सा सहायक सर्जन डॉ. अजय तंवर ने बताया कि पोस्टमार्टम में मौत की वजह हाइपोफिया व कार्डियो वेस्कुलर शॉक सामने आया है। मौत का यह कारण प्वाइजनिंग सहित अन्य कई वजह से भी हो सकता है। डॉ. तंवर के मुताबिक सही स्थिति नमूनों की उच्च स्तरीय जांच में स्पष्ट हो सकेगी।

00 सत्या पाल 00 (7999281136)

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