छत्तीसगढ़ भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी घोषित होने के बाद पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओ का दर्द सोशल मीडिया में छलकने लगा है। पार्टी संगठन में खुशी और गम दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं हैं। लिस्ट में शामिल न हो पाने वाले नाराज हैं/असंतुष्ट हैं। ये लोग अब सोशल मीडिया के जरिए अपनी पीड़ा जाहिर कर रहे हैं। अभी की कार्यकारिणी में ज्यादातर नए चेहरे लिए गए हैं और शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों के बाद कई नाम बदले भी गए। सच्चिदानंद उपासने, डा.सलीम राज, रसिक परमार जैसे नाम प्रमुख हैं। श्री उपासने ने एक शायरी – ” सच्चाई छिप नहीं सकती बनावट के उसूलों से, खुशबू आ नहीं सकती कागज के फूलों से” पोस्ट पर लिखकर अपनी व्यथा जाहिर की है। भाजपा नेता लिस्ट के हवाले से बता रहे कि सूची में एक भी मुस्लिम और क्रिश्चियन नेता को नहीं लिया गया है जबकि इनके नाम पर एक पूरा मोर्चा संगठन में है। राष्ट्रीय नीति के तहत युवा मोर्चा में 35 साल के ही युवा को अवसर दिया गया है। इस वजह से पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी युवा मोर्चा अध्यक्ष बनने से रह गए। इससे पहले 50 वर्ष के नेता भी युवा मोर्चा अध्यक्ष रहते आए हैं। निवर्तमान अध्यक्ष विजय शर्मा तो 50 पार कर चुके हैं। अमित को अध्यक्ष बनवाने में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की भूमिका रही है, यद्यपि वे बृजमोहन अग्रवाल के समर्थक रहे हैं। विधानसभा चुनाव के समय बृजमोहन अग्रवाल के एक-दो वार्ड में उन्हें जिम्मेदारी दी जाती रही है। इन्हें पिछली बार भारी दबाव के बाद भी भाजयुमो जिलाध्यक्ष नहीं बनाया गया था। पिछले अनुभव को देखते हुए अमित ने इस बार नए तरीके से साहू समाज के जरिए एप्रोच किया और सफलता मिली। चौधरी को महामंत्री बनाने की सिफारिश की गई थी, लेकिन उन्हें सिर्फ मंत्री बनाकर संतोष किया गया। दुग्ध महासंघ के पूर्व चेयरमैन और मीडिया विभाग के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे रसिक परमार का भी नाम सूची में नहीं है।
0 न आदिवासी न ओबीसी नेतृत्व, दोनों वर्ग केवल मुखौटा
प्रदेश कार्यकारिणी का विरोध करते हुए कांकेर से सोशल मीडिया पोस्ट में लिखकर डॉ. रमनसिंह और सौदान सिंह पर जमकर कटाक्ष किए गए हैं। पोस्ट में कहा गया है कि जो पिछली हार के जिम्मेदार रहे हैं वो रमन सिंह के लिए जल्द ही प्रदेश दौरे का कार्यक्रम बनाया जाएगा और उन्हें बड़ा नेता बताने का अभियान चलेगा। अब स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ में न आदिवासी न ओबीसी नेतृत्व चलेगा। ये दोनों वर्ग केवल मुखौटा होकर रह जाएंगे। इधर सर्व यादव समाज के प्रदेश अध्यक्ष रमेश यदु ने समाज से एकमात्र राकेश यादव को शामिल करने का विरोध कर कहा है कि हम जीवन भर इन्हें वोट देते रहेंगे और ये हमें चोट देते रहेंगे । इससे अच्छा है कि हम अपने आप में संगठित हों और अपना एक स्वयं का दल बनाएं ।रमेश यदु ने कहा कि विष्णु देव साय भाजपा में मात्र मोहरा हैं। आदिवासी नेता होने के कारण, सीधे-साधे पड़ते हैं, पर चलती किसी और की है, इसलिए भाजपा की इस नई कार्यकारिणी का यादव समाज विरोध करता है।