बिलासपुर,(खटपट न्यूज़)। भूमि के वार्षिक डायवर्संन शुल्क में वृद्धि करने के छत्तीसगढ़ सरकार के निर्णय की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी है। इस संबंध में दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
इस प्रकरण के य़ाचिकाकर्ता शंकरलाल एवं अन्य की भूमि रायपुर के समीप ग्राम मंदिर-हसौद में स्थित है। अपनी भूमि को गैर कृषि प्रायोजन हेतु डायवर्संन कराने के लिए उनके द्वारा सक्षम प्राधिकारी के कार्यालाय में सम्पर्क किया गया। वहां से उन्हें यह जानकारी प्राप्त हुई कि शासन द्वारा गजट प्रकाशन दिनांक 4 फरवरी 2020 के माध्यम से वार्षिक डायवर्संन शुल्क में बढ़ोत्तरी कर दी गयी है और अब आवासीय प्रायोजन हेतु वार्षिक डायवर्संन शुल्क ,भूमि के बाजार मूल्य का 0.3 % प्रतिशत निर्धारित कर दिया गया है। वार्षिक डायवर्संन शुल्क में बढ़ोत्तरी की संवैधानिक वैधता को याचिकाकर्ता द्वारा अधिवक्ता सुशोभित सिंह व सीआर साहू के माध्यम से चुनौती दी गयी। याचिका में बताया गया कि वार्षिक डायवर्संन शुल्क में बढ़ोत्तरी भू-राजस्व संहिता की धारा 59 एवं धारा 258 में प्रदत्त शक्तियों के तहत की गयी है, किंतु धारा 258 छग भू – राजस्व संहिता में यह प्रावधान किया गया है कि इस धारा के तहत जारी समस्त नियमों को विधानसभा के पटल पर चर्चा हेतु रखा जायेगा और विधानसभा में चर्चा उपरांत ही संशोधित नियमों को जारी किया जा सकेगा। याचिकाकर्ता द्वारा विधानसभा से जानकारी प्राप्त करने पर बताया गया कि संशोधित नियमों को विधानसभा के पटल पर न कभी रखा गया और न ही इस पर कभी विधानसभा में चर्चा हुई। हाईकोर्ट बिलासपुर के मुख्य न्यायाधिपति रामचन्द्र मेनन एवं न्यायाधिपति पीपी साहू की खंडपीठ ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर शासन को जावाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। अधिवक्ता शुशोभित सिंह ने बताया कि उक्त संबंध में आदेश 22 सितम्बर को जारी हुआ है।