कोरबा(खटपट न्यूज़)। छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा महिला स्व सहायता समूह को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक तरह की योजनाओं का क्रियान्वयन कराया जा रहा है। समूह को क्रियाशील करने/रखने के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु जिला से लेकर ग्राम स्तर के अधिकारियों को समय-समय पर बैठकों में निर्देशित भी किया जाता है। इन सब के बावजूद कोरबा जिले में एक ऐसा भी गांव है जहां 19 महिला स्व सहायता समूह होने के बावजूद किसी एक भी समूह के पास कोई काम नहीं है।
कोरबा अनुविभाग, रामपुर विधानसभा व करतला विकासखंड के अंतर्गत पहाड़गांव पंचायत में 19 स्व सहायता समूह गठित हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से किसी भी समूह के पास कोई भी काम नहीं है। इस पंचायत में गौठान हाल ही में स्वीकृत होने के कारण वर्मी कंपोस्ट, गोबर खरीदी-बिक्री, गौ पालन जैसे कार्य से भी समूह की सदस्य महिलाएं वंचित हैं। यहां यह भी बताना लाजमी है कि पहाड़गांव से लगभग 25-30 किलोमीटर दूर औराई के समूह को पहाडगांव में पीडीएस संचालन का जिम्मा मिला है और दूसरी तरफ पहाड़गांव का समूह बेकार बैठा है। कहा जा रहा है कि एप्रोच नहीं तो काम नहीं की तर्ज पर यहां के समूह खाली बैठे हैं। तर्क दिया जाता है कि समूह के सदस्यों को रुचि नहीं है लेकिन 19-19 समूह में से क्या कोई भी समूह काम करने के लिए सक्रिय नहीं है? हकीकत यह है कि इन समूहों को प्रोत्साहन से ना सिर्फ दूर रखा गया है बल्कि उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभागीय अधिकारियों के द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन पूरे ईमानदारी के साथ नहीं निभाया जा रहा है। काम चलाऊ प्रोत्साहन और थोड़ा बहुत जानकारी देकर निभाई जा रही औपचारिकताओं के कारण सिर्फ पहाड़गांव ही नहीं बल्कि जिले के अनेक स्व सहायता समूह कार्यों से वंचित हैं। जो समूह काम कर रहे हैं उन्हीं की तस्वीरें मैदानी स्तर के अधिकारी शीर्ष अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर अपनी वाहवाही लूट रहे हैं