कोरबा (खटपट न्यूज)। आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के आदिवासी ग्राम पंचायत तौलीपाली में सांसद प्रतिनिधि संतोष मिश्रा आदिवासी परिवारों के लिए उम्मीद की किरण के रूप में देखे जाते हैं। विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को मनाया जा रहा है और ऐसे में यह प्रसंग उद्धरित करना संयोगवश है कि आदिवासियों का हितचिंतक होने के लिए कोई बड़ा पद पर होना या खुद के लिए आदिवासी होना जरूरी नहीं है।
आदिवासियों के बीच रहकर पले-बढ़े एक ब्राम्हण परिवार का युवक भी इनके लिए भला सोच सकता है जबकि आचार-विचार, खान-पान, संस्कृति, परम्पराएं भिन्न-भिन्न हैं। निःसंदेह ग्राम तौलीपाली सहित आसपास के गांवों में निवासरत आदिवासियों के लिए ढाल की तरह हैं संतोष महाराज। इनका जिक्र ही गरीब आदिवासियों के चेहरे पर मुस्कुराहट झलका जाता है। संतोष का स्वभाव सरल, मिलनसार,ईमानदार होने के साथ हमेशा मदद के लिए तैयार रहना दिनचर्या में शामिल है। उन्हें लोग लीटी महराज के नाम से ज्यादा जानते हंै जिसके लिए कभी नाराजगी जाहिर नहीं करते। उनका कहना है कि नाम में क्या रखा है, काम में विश्वास है जो वे अब तक प्राथमिकता से करते आये हैं और आगे भी यह क्रम जारी रहेगा।
वर्ष 1992 में छात्र राजनीति से उभरे संतोष मिश्रा ने कांग्रेस पार्टी में जगह बनाई और संगठन ने इन्हें जिम्मेदारियां भी सौंपना शुरू किया। दिखावे से काफी दूर लेकिन अपने कार्य के प्रति सक्रिय संतोष हिन्दी व अंग्रेजी के साथ संस्कृत का भी ज्ञान रखते हैं लेकिन छत्तीसगढ़ी में ही अधिकारी से लेकर नेता और आमजनों से बात कर अपनी आत्मीयता व क्षेत्रीय लगाव को भी दर्शित करते आ रहे हैं। संतोष मिश्रा कहते हैं कि क्षेत्र आरक्षित होने की वजह से राजनीतिक रूप से कार्य करने में समस्या तो होती है फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। अब तक की उम्र आदिवासियों के लिए गँवा दी। वे कहते हैं कि ग्रामीण लोग भोले-भाले और सीधे-सादे होने के कारण कई लोग उनका बेजा लाभ उठाकर ठगने की कोशिश करते रहते हैं। इस कारण उनसे लड़ने में दिक्कत समझ में आने पर संतोष मिश्रा ने कानूनन मदद करने की ठानी। कानून की शिक्षा प्राप्त संतोष मिश्रा उन ग्रामीण आदिवासियों से फीस नहीं लेकर उन्हें न्याय दिलाने की बात करते हंै। बिना किसी लाग-लपेट के अपने काम पर विश्वास करने वाले संतोष मिश्रा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत के करीबियों में गिने जाते हैं। वर्तमान में कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत के प्रतिनिधि बतौर आदिवासी अंचल में आदिवासियों के हितैषी के तौर पर उनके हितों की रक्षा के लिए सांसद और विधानसभा अध्यक्ष के मार्गदर्शन में वे काम कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रति इनका लगाव शुरू से रहा है और आजीवन रहने की प्रतिबद्धता भी जताई।
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