रायपुर /दंतेवाडा
वैश्विक महामारी कोविड-19 के बीच छत्तीसगढ़ लौटे प्रवासी श्रमिकों की जिंदगी ने नई करवट लेना शुरू कर दिया है। शासन-प्रशासन द्वारा उनकी रोजी-रोटी की चिंता दूर करने अलग-अलग योजनाओं के तहत संचालित कार्यों में उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही उनके हुनर की पहचान कर निजी क्षेत्र के नियोजकों से चर्चा कर उनकी रूचि के मुताबिक काम उपलब्ध कराने की पहल की जा रही है। देश के विभिन्न हिस्सों से दंतेवाड़ा लौटे 802 प्रवासी श्रमिकों को जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया कराया गया है।
ग्राम पंचायतों में संचालित क्वारेंटाइन सेंटर्स में 14 दिन और घर पहुंचने पर दस दिनों का होम-क्वारेंटाइन पूरा कर चुके प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के साथ ही लोक निर्माण, जल संसाधन एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संपादित किए जा रहे कार्यों में रोजगार दिया जा रहा है। दंतेवाड़ा जिले में मनरेगा के तहत 504 प्रवासी मजदूरों को काम दिया गया है। गीदम जनपद पंचायत में 156, दंतेवाड़ा में 75, कुआंकोण्डा में 111 और कटेकल्याण जनपद पंचायत में 162 लोगों को मनरेगा के अंतर्गत किए जा रहे डबरी निर्माण एवं भूमि समतलीकरण कार्य में रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
जिले में स्कूलों की मरम्मत, साफ-सफाई और रंगाई-पुताई के काम में 232 प्रवासी श्रमिक लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 36 और लोक निर्माण विभाग द्वारा किए जा रहे सड़क निर्माण कार्यों में 13 मजदूर काम कर रहे हैं। जल संसाधन विभाग के नहर निर्माण कार्य में भी 13 प्रवासी मजदूरों को काम मिला हुआ है। बारसूर नगर पंचायत में चार श्रमिक भवन निर्माण के काम में लगे हुए हैं। सभी श्रमिकों को 190 रूपए प्रतिदिन के मान से मजदूरी भुगतान किया जा रहा है।
दंतेवाड़ा जिले में विभिन्न योजनाओं और विभागों में काम कर रहे 450 प्रवासी श्रमिकों को अब तक चार लाख 25 हजार रूपए से अधिक का मजदूरी भुगतान किया जा चुका है। इससे इन्हें अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करने में बड़ी मदद मिल रही है। स्कूलों में मरम्मत, साफ-सफाई व पुताई का काम कर रहे 232 प्रवासी श्रमिकों को एक लाख 23 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया है। दंतेवाड़ा जनपद पंचायत में मनरेगा कार्यों में लगे प्रवासी श्रमिकों को 35 हजार 530 रूपए, गीदम में 46 हजार 740 रूपए, कटेकल्याण में 94 हजार रूपए और कुआंकोण्डा में 11 हजार 780 रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया है।
बारसूर में भवन निर्माण कर रहे श्रमिकों को छह हजार रूपए और जल संसाधन विभाग के नहर निर्माण में काम कर रहे मजदूरों को 13 हजार रूपए की मजदूरी का भुगतान किया गया है। राज्य शासन द्वारा रोजी-रोटी के लिए उठाए जा रहे त्वरित कदमों से प्रदेश वापस लौटे श्रमिक बड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं से भी चर्चा कर उनके कौशल और रूचि के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में गंभीर पहल की जा रही है।