कोरबा-बालकोनगर(खटपट न्यूज़)। भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में परियोजना ‘पहल’ संचालित की है।इसका उद्देश्य बालको टाउनशिप को प्लास्टिक बैग मुक्त बनाना और कर्मियों तथा व्यवसाय के साझेदारों को प्लॉस्टिक मुक्त पर्यावरण के महत्व से परिचित कराना है।
बालको प्रबंधन की यह योजना कितनी और किस हद तक फलीभूत होगी यह तो वक्त बताएगा किन्तु संशय प्रबल है कि जो प्रबंधन अपने संयंत्रों की राख वर्षा को रोक पाने में अब तक नाकाम रहा है, वह प्लास्टिक मुक्त बालको कैसे बना पायेगा।
बता दें कि प्रबंधन के पास अपना खुद का एक राखड़ बांध तक नहीं है जबकि उसके 540 और 1200 मेगावाट के दो बिजली संयंत्र संचालित हो रहे हैं। इन संयंत्रों की राख एल्युमिनियम संयंत्र के लिए दशकों पूर्व बनाये गए रेडमड पांड (जिसमें बॉक्साइट से एल्युमिनियम बनाने की प्रक्रिया में निकलने वाला अपशिष्ट रेडमड बहाया जाता था) में निस्तारित की जा रही है। अब यह पांड राख से भरने के बाद अतिरिक्त राख को कभी नाला तो कभी खेत में बहाया जा रहा है। खुले में भी राख जगह-जगह फेंकने से भी गुरेज नहीं करते हैं। हल्की सी आंधी में राखड़ बांध के आसपास के इलाकों सहित कोरबा की हवा में मिलकर यह राखड़ वर्षा का रूप ले लेती है। आसपास के लोग भोजन-पानी के साथ राख भी खाने-पीने के लिए मजबूर हैं। वर्षों की इस समस्या का निराकरण करने प्रबंधन कोई ठोस कदम नहीं उठा सका है। शिकायतों पर शासन-प्रशासन को गुमराह करने में भी चूक नहीं होती। हाल ही में जून माह में हुई बारिश ने बांध के रखरखाव की पोल खोल दी जिसे छिपाने के लिए भी प्रबंधन ने प्लास्टिक की पन्नियों, बोल्डर, सीमेंट की बोरियों में रेत भरकर जगह-जगह जे दरारों को बंद कराया है।
अब बालको प्रबंधन टाउनशिप के पढ़े-लिखे नागरिकों को को प्लास्टिक के दुष्प्रभावों से अवगत कराने जा रहा है तो दूसरी तरफ बालको प्रभावित गांवों, बस्तियों की तरफ अपेक्षाकृत अनदेखी विकास के मामलों में होती है। प्रबंधन को चाहिए कि वह दूसरे जनहित के मुद्दों की तरह ही राखड़ निस्तार, राख वर्षा के मामले में ज्यादा गंभीरता दिखाए तो क्षेत्रवासियों का भला हो।
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