कोरबा-कटघोरा/पाली (खटपट न्यूज़)। कटघोरा से पतरापाली के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के द्वारा फोरलेन का निर्माण कराया जा रहा है। इसके लिए वनों की कटाई जारी है।इस बीच फोरलेन के लिए चिन्हांकित वन भूमि पर वन विभाग ने फेसिंग कार्य करा दिया जिसे अब उखाड़ना भी पड़ रहा है। आखिर यह कार्य क्यों किया गया ? अब इस पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
फोरलेन के लिए आवश्यक जमीन का अधिग्रहण और इस हेतु प्रकाशन वर्ष 2019 में हो चुका है। इस रास्ते में आने वाले लगभग 12000 हरे-भरे वृक्षों की कटाई हो रही है/होनी है। कटघोरा से चैतमा पाली होते हुए पतरापाली के मध्य घने वन हैं। कोरबा जिले में ही 42 किलोमीटर की दूरी तक यह सड़क जाएगी। फोरलेन के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ होने के साथ ही कार्य को गति दी गई लेकिन कोरोना लॉकडाउन ने काम को पीछे कर दिया है। इधर दूसरी ओर इस दरमियान सामाजिक वानिकी विभाग और वन मंडल कटघोरा की जानकारी में गड़बड़झाला को अंजाम दे दिया गया जबकि फोरलेन के लिए जमीन अधिग्रहण हो रहा है। यह जानते हुए भी सामाजिक वानिकी विभाग के द्वारा कटघोरा वन मंडल से अनुमति प्राप्त कर उपरोक्त फोरलेन क्षेत्र के जंगल के किनारे-किनारे फेंसिंग करा दी गई है।इसमें कितनी राशि खर्च हुई है इसकी पूर्ण जानकारी नहीं मिल पाई है लेकिन करीब पौने 2 करोड़ रुपये फेंसिंग में खर्च होने की अपुष्ट जानकारी वन सूत्रों से ज्ञात हुई है।
अब इसके औचित्य पर सवाल उठना उठना लाजिमी है कि जब जंगल कटेगा तो उस क्षेत्र का संरक्षण करने का क्या मतलब? फेंसिंग का काम करना/कराना वन अधिकारियों की न सिर्फ अदूरदर्शिता का परिणाम ही कहा जायेगा बल्कि शासन की राशि का पूरा-पूरा दुरुपयोग है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के द्वारा फोरलेन के लिए जमीन हेतु वन विभाग की भी अनुमति ली गई है और वन विभाग के अधिकारी इस बात को भी भली-भांति जानते हैं कि जो जमीन फोरलेन में जा रही, उस पर मौजूद वृक्षों की कटाई करना है, तब आखिर उनके द्वारा सामाजिक वानिकी विभाग को उपरोक्त वन क्षेत्र की भूमि पर फेंसिंग कराने की अनुमति क्यों और कैसे दी गई? इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि अभी विगत 1 माह से पेड़ों की कटाई का काम युद्धस्तर पर चल रहा है यह जानते हुए भी चटूआभौना के जंगल के किनारे वनों की सुरक्षा के लिए फेसिंग का कार्य बदस्तूर जारी रहा। इस कार्य को अभी महज 15 दिन भी नहीं हुए हैं, जबकि फेसिंग की कुछ ही दूरी पर पेड़ों की कटाई चल रही थी। ऐसा जानते हुए भी कि अगले कुछ दिनों में इस फेसिंग के अंदर की पेड़ों की कटाई होनी है ऐसे में फेसिंग का कार्य लगातार जारी रखकर वनविभाग आखिर किसे लाभ देना चाह रही है ।यह जानबूझकर की गई लापरवाही है।
स्थानीय लोग भी इससे अचरज में हैं कि आखिर कराई गई फेंसिंग के भीतर से ही पेड़ों को काटकर ले जाना है तब फेंसिंग का यह कार्य पेड़ों की कटाई हो जाने के बाद वन क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए करना चाहिए था। अभी काटे जाने वाले छोटे-बड़े वृक्षों को तो इन्हीं फेंसिंग को नुकसान पहुंचा कर निकाला जा रहा है। तब आगे चलकर पुनः फेंसिंग के लिए रुपये फिर खर्च किये जायेंगे। इस मामले में स्थानीय लोगों ने सामाजिक वानिकी विभाग और कटघोरा वन मंडल के अधिकारियों के द्वारा शासन के राशि की अनावश्यक दुरुपयोग की जांच की मांग भी उठाई है। वैसे भी जब कोरोना काल में अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है, तब ऐसे में सरकारी धन का उपयोग भी काफी सोच-समझकर और आवश्यक कार्यों के लिए ही किया जाना चाहिए जबकि सामाजिक वानिकी विभागऔर कटघोरा वन मंडल के अधिकारियों ने जानबूझकर फोरलेन के लिए चिन्हित/अधिग्रहित हुई जमीन और इस हेतु चिन्ह अंकन के लिए खंभा गाड़ देने के बाद भी उस दायरे में फेंसिंग करा दी जिसकी फिलहाल कोई आवश्यकता दूर-दूर तक नजर नहीं आती। आखिर इस तरह की मनमानी क्यों और किसके इशारे पर तथा किसको लाभ पहुंचाने के लिए की गई है? इसकी गहन जांच कराने की जरूरत है।