Thursday, March 13, 2025
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शुरू हुआ सूर्योपासना का महापर्व छठ, पूर्वांचलवासियों में आस्था और हर्ष की लहर……


कोरबा,(खटपट न्यूज़)। सूर्योपासना का महापर्व छठ 18 नवंबर को नहाय-खाय के साथ ही शुरू हो गया है। कोविड -19 के संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा छठ पर्व को मनाने के संबंध में कोई संशोधित गाइडलाइन जारी नहीं की गई है। इस पर्व में नदी, तालाब में परिवार के साथ सामूहिक रूप से पूजा करने की प्रथा है। बड़ी संख्या में लोग छठ घाट में पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं।कोरोना काल में भी पूर्वांचलवासियों में छठ मईया की उपासना को लेकर आस्था और हर्ष की लहर है।

19 नवंबर को व्रती दिन भर निराहार रहने के बाद शाम को खरना का अनुष्ठान पूरा करेंगे। इसके बाद 36 घंटे का निराहार शुरू हो जाएगा। 20 नवंबर को अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। 21 नवंबर को सुबह व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। इसके साथ ही लोकआस्था के महापर्व छठ का समापन होगा। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में पूर्वांचल विकास समिति के जिला अध्यक्ष डॉ. राजीव सिंह, अधिवक्ता अशोक तिवारी सहित अन्य पदाधिकारियों की बैठक लेकर उनकी सहमति से तय किया है कि छठ पर्व मनाने वाले लोग अपने-अपने घरों में ही प्रतीकात्मक तालाब का निर्माण कर पर्व के प्रथम और अंतिम दिवस का अर्घ्य देंगे। छठ घाटों पर किसी भी तरह का आयोजन करने की अनुमति नहीं दी गई है। दूसरी ओर रामपुर विधायक ननकीराम कंवर के प्रतिनिधि अनिल चौरसिया ने अनेक कारणों को गिनाते हुए सवाल उठाया है कि घाटों पर छठ पर्व मनाने की अनुमति कोरबा में ही क्यों नहीं दी जा रही? उन्होंने बताया कि अनेक ऐसे लोग भी हैं जहां बंदिश के कारण परंपरागत ढंग से त्यौहार को मनाने के लिए अपने गृहग्राम रवाना हुए हैं।

0 कब है नहाय-खाय?
छठ पूजा की शुरुआत षष्ठी तिथि से दो दिन पूर्व चतुर्थी से हो जाती है जो कि इस बार बुधवार को है। चतुर्थी को नहाय-खाय होता है। नहाय-खाय के दिन लोग घर की साफ-सफाई/पवित्र करके पूरे दिन सात्विक आहार लेते हैं। इसके बाद पंचमी तिथि को खरना शुरू होता है जिसमे व्रती को दिन में व्रत करके शाम को सात्विक आहार जैसे- गुड़ की खीर/ कद्दू की खीर आदि लेना होता है। पंचमी को खरना के साथ लोहंडा भी होता है जो सात्विक आहार से जुड़ा है।

0 षष्ठी को रखते हैं निर्जला व्रत
छठ पूजा के दिन षष्ठी को व्रती को निर्जला व्रत रखना होता है। यह व्रत खरना के दिन शाम से शुरू होता है। छठ यानी षष्ठी तिथि के दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ देकर अगले दिन सप्तमी को सुबह उगते सूर्य का इंतजार करना होता है। सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ देने के साथ ही करीब 36 घंटे चलने वाला निर्जला व्रत समाप्त होता है। छठ पूजा का व्रत करने वालों का मानना है कि पूरी श्रद्धा के साथ छठी मइया की पूजा-उपासना करने वालों की मनोकामना पूरी होती है।

0 छठ पूजा की तिथियां-
18 नवंबर 2020, बुधवार- चतुर्थी (नहाय-खाय)
19 नवंबर 2020, गुरुवार- पंचमी (खरना)
20 नवंबर 2020, शुक्रवार- षष्ठी (डूबते सूर्य को अर्घ)
21 नवंबर 2020, शनिवार- सप्तमी (उगते सूर्य को अर्घ)

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