Friday, May 9, 2025
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उप पंजीयक कार्यालय में थमी भर्राशाही, जमीनों की रजिस्ट्री में अब दलालों की मनमानी नहीं…..

0 जिला मुख्यालय के उप पंजीयक के रूप में नायब तहसीलदार ने संभाली व्यवस्था
कोरबा(खटपट न्यूज़)। जमीनों की खरीदी-बिक्री के विभाग उप पंजीयक कार्यालय कोरबा में व्यवस्थाओं में भारी बदलाव हुआ है। यहां नायब तहसीलदार को उप पंजीयक का प्रभार देने के बाद से दलालों की मनमानी एक तरह से बंद हो गई है। पूर्व में जमीन संबंधी गड़बड़ियों के उजागर होने और उप पंजीयक जैसे जिम्मेदार पद पर पंजीयन लिपिक जैसे क्लर्क स्तर के कर्मचारी को बिठा देने से काफी कुछ गड़बड़ चल रहा था।

जिले के कोरबा तहसील अंतर्गत वनांचल ग्राम श्यांग में भुइयाँ पोर्टल में पटवारी की आईडी प्राप्त कर ऑनलाइन भुइयाँ रिकार्ड से छेड़छाड़ करते हुए ग्राम जिल्गा स्थित शासकीय जमीनों को कूटरचना कर बेच देने के दो अलग-अलग मामले सामने आए थे। ऑनलाइन पटवारी आईडी में छेड़छाड़ और कूटरचना कर फर्जी दस्तावेजों के सहारे उप पंजीयक कार्यालय में पटवारी के फर्जी सील-सिक्के और हस्ताक्षर से फर्जी चौहद्दी तैयार कर, फर्जी विक्रेता खड़ा कर सरकारी जमीन कई लोगों को फर्जी तरीके से बिक्री कर देने की जांच तेज हुई। आरोपियों की गिरफ्तारी पुलिस ने की तो राजस्व अमला भी जांच की जद में आया। तत्कालीन पदस्थ उप पंजीयक अजय कुमार देवता के कार्यकाल में उक्त कूटरचित दस्तावेजों से सरकारी जमीनों की निजी जमीन के रूप में रजिस्ट्रीयां हुई थी। श्री देवता के माह अप्रैल-मई में सेवानिवृत्त होने के बाद यहां पंजीयक लिपिक (क्लर्क) वीणा कंवर को उप पंजीयक का प्रभार जिला पंजीयक के द्वारा सौंप दिया गया। इसके बाद कटघोरा के पंजीयक लिपिक सत्यप्रकाश गौराहा को कोरबा उप पंजीयक का प्रभार सौंप दिया गया है। जिम्मेदार पद पर इस तरह की नियुक्ति जहां सवालों के घेरे में रही वहीं पूर्व के कार्यकाल में जमीन की गड़बड़ियां उजागर हुई। इनमें दलालों की सांठ-गांठ से एक ही चौहद्दी से लेकर बरसों पुरानी चौहद्दी और फर्जी चौहद्दियों से कई जमीनों की रजिस्ट्रियां होती रही।

इधर नियमों की एक तरह से अनदेखी कर उप पंजीयक जैसे जिम्मेदार पद पर पंजीयन लिपिक को प्रभार देने पर जब सवाल उठे तो एसडीएम सुनील कुमार नायक के प्रस्ताव पर कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल के अनुमोदन उपरांत नायब तहसीलदार सोनू अग्रवाल को उप पंजीयक का प्रभार सौंपा गया।

नायब तहसीलदार सह उप पंजीयक

सोनू अग्रवाल ने बताया कि जमीन दलालों की सांठ-गांठ से सरकारी जमीनों की हेराफेरी होती रही है और एक ही चौहद्दी, वर्षों पुरानी चौहद्दी तथा फर्जी तरीके से कूटरचना कर तैयार दस्तावेज व चौहद्दियों से कई रजिस्ट्री करने के कारण इस तरह की गड़बड़ी को अंजाम दिया जाता रहा है। उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में अब एक चौहद्दी व अद्यतन चौहद्दी के आधार पर ही जमीन की रजिस्ट्री की व्यवस्था संचालित हो रही है। चौहद्दी भी रजिस्ट्री दिनाँक से लगभग एक माह के आसपास का हो यह सुनिश्चित किया जा रहा है। अवैध तरीके से प्लाटिंग वाले जमीनों की रजिस्ट्री न हो पाए ऐसी व्यवस्था पर काम किया जा रहा है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से ले-आउट प्राप्त किए बगैर जमीनों की रजिस्ट्री नहीं की जा रही है। इस विभाग से ले-आउट लाने के बाद ही रजिस्ट्री की जा रही है। इस प्रकार की व्यवस्थाओं में सुधार से जहां वास्तविक जमीन मालिकों को राहत मिली है वहीं दलाल प्रवृत्ति के लोगों की दुकानदारी लगभग बंद हुई है। ये लोग वर्तमान उप पंजीयक के खिलाफ शिकवा-शिकायत पर भी उतर आए हैं।

0  लिपिक नहीं, तहसीलदार या नायब तहसीलदार ही हैं अधिकृत

प्राय: यह देखने में आया है कि उप पंजीयक के अवकाश अथवा पद रिक्त होने पर एवं पदेन कार्यालयों में पंजीयन लिपिकों को रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1908 की धारा-12 के अंतर्गत पंजीयन कार्य संपादित करने के लिए अधिकृत किया जाना प्रचलन में है। चूंकि पंजीयन का कार्य महत्वपूर्ण कार्य है, ऐसी स्थिति में उप पंजीयक की अनुपस्थिति या पद रिक्त रहने पर उप पंजीयक का कार्य संबंधित तहसीलदार/नायब तहसीलदार को सौंपा जाना चाहिए। 17 मार्च 2020 को छत्तीसगढ़ शासन के महानिरीक्षक पंजीयन धर्मेश साहू (आईएएस)के द्वारा तत्संबंध में आदेश जारी किया गया कि जिन पंजीयन कार्यालयों में पंजीयन लिपिक को पंजीयन कार्य करने हेतु अधिकृत किया गया हो, उसे तत्काल निरस्त करें तथा भविष्य में उप पंजीयक के अवकाश अथवा पद रिक्त होने की स्थिति में तहसीलदार अथवा नायब तहसीलदार को पंजीयन कार्य संपादित करने हेतु अधिकृत करें। 

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