कोरबा/ बिलासपुर (खटपट न्यूज़,)। अनुसूचित क्षेत्र में 30 वर्षों के लंबे समय तक सेवा देने बाद भी ऐसे ही क्षेत्र में पुनः तबादला के विरुद्ध हाईकोर्ट की शरण लेने पर विभाग ने गैर अनुसूचित क्षेत्र में पदस्थापना का संशोधित आदेश जारी किया।
प्रदेश में सरकार ने तबादला नीति लागू जरूर की है पर उसका पालन विभागीय उच्च अधिकारी अपने हिसाब से करते हैं। इसकी पीड़ा अनेक कर्मचारी झेल रहे हैं किंतु सुनवाई नहीं होती। ऐसे ही एक मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे य़ाचिकाकर्ता ऊमाशंकर चन्देल की प्रथम नियुक्ती वर्ष 1986 में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर कोंटा बस्तर अनुसूचित क्षेत्र में हुई थी। 20 वर्ष सेवा के पश्चात वर्ष 2006 में उनका स्थानांतरण मारवाही अनुसूचित क्षेत्र में हुआ। मारवाही में 10 वर्ष सेवा देने के बाद उनका स्थानांतरण मस्तुरी, जिला- बिलासपुर किया गया। अनुसूचित क्षेत्र में 30 वर्ष सेवा उपरांत 13.08. 2019 में उनको पदोन्नति देकर कृषि विकास अधिकारी बतौर पदस्थापना जशपुर अनुसूचित क्षेत्र में कर दी गयी। इसके विरुद्ध उन्होंने हाईकोर्ट अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम से याचिका प्रस्तुत कर तबादला नीति के पालन पर सवाल उठाए। य़ाचिका में 03.06.2015 की अनुसूचित क्षेत्रों में पदस्थापना नीति के आधार पर बताया गया कि विभाग का पदस्थापना आदेश 03.06.2015 की नीति के विरुद्ध है। उच्च न्यायालय ने याचिका प्रस्तुत करने पर कृषि विभाग को अपना मत स्पष्ट करने का निर्देश दिया था। इस बीच संचालनालय कृषि के अपर संचालक द्वारा तत्पश्चात 16.10.2020 को एक आदेश जारी कर उमाशंकर चन्देल की पदस्थापना जशपुर से जिला बिलासपुर गैर अनुसूचित क्षेत्र में किया गया।
यहां हम आपको बता दें कि कृषि ही नहीं, बल्कि कई विभागों में तबादला नीति का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है। पुलिस विभाग भी इससे अछूता नहीं है।