कोरबा-करतला(खटपट न्यूज़)। जिले के अनेक क्षेत्रों खासकर उप नगरीय और ग्रामीण अंचलों में जमीन के नीचे दबे खनिज संसाधनों का अवैधानिक रूप से दोहन जारी है। कोई अपने बाहुबल तो कोई धन बल और कोई राजनैतिक बल के सहारे इस अवैधानिक कार्य को अंजाम दे रहा है। अवैध रूप से मुरूम का बिना किसी तरह की अनुमति प्राप्त किए खनन करने और खनन क्षेत्र में मौजूद हरे-भरे पेड़ों का हनन करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। कहीं शिकायत तो अधिकांशत: निगरानी के अभाव में यह अवैधानिक कार्य हो रहा है। जहां मामला उजागर हो जाए तो उजागर करने वाले को ही गलत ठहरा कर अपनी गलती को छिपाने का भी प्रयास हो रहा है।
इस तरह का मामला करतला विकासखंड के ग्राम पंचायत घिनारा में सामने आया है। पिछले दिनों इस क्षेत्र से खबर निकली कि घिनारा के मोहल्ला बैगापारा से कारीडुग्गू तक पहुंच मार्ग में ग्रामीणों की मांग पर पंचायत ने मुरूमीकरण का कार्य कराया है। इसके लिए एक निजी भूमि से मुरूम को जेसीबी के माध्यम से खोदकर/ निकलवाकर सड़क निर्माण में उपयोग किया गया। इस दौरान खुदाई स्थल पर मौजूद हरे-भरे बड़े-बड़े वृक्ष भी जड़ सहित धराशाई हो गए। पंचायत ने मुरुमीकरण करा कर पहुंच मार्ग को आसान बनाने का प्रयास किया जो उचित है लेकिन मुरूम खनन के संबंध में किसी भी तरह की अनुमति संबंधित विभागों से प्राप्त नहीं की गई। भले ही यह जमीन वन विभाग की नहीं है लेकिन नियमों के जानकार बताते हैं कि निजी भूमि से भी मुरूम खनन की अनुमति नहीं होती और निजी व्यक्ति तो मुरूम का खनन नहीं कर सकता। इसके विपरीत घिनारा में यह कार्य हुआ और जब इस मामले को उजागर किया गया तो खेत के मालिक धन सिंह धनुहार ने अपने पट्टे की जमीन से खेत को खुदवा कर सड़क के लिए मुरुम का दान करना बताया है।
धन सिंह को यह नहीं पता कि सामान्य तौर पर मुरुम की खुदाई नहीं कर सकते। हां, तालाब और निजी जमीन की खुदाई से निकले मुरूम का खनन रॉयल्टी जमा करने के बाद किया जा सकता है लेकिन जहां-जहां खुदाई हो वहां तालाब गहरीकरण या निजी भूमि को खेती योग्य बनाने के संबंध में अनुमति भी लेना जरूरी है। बिना अनुमति के न तो मुरूम निकाल सकते हैं और नहीं बेच सकते हैं और जब खनन ही प्रतिबंधित है तो दान का प्रश्न ही नहीं उठता। इस तरह बड़े पैमाने पर खोदे गए और सड़क निर्माण में उपयोग किए गए मुरूम की रॉयल्टी भी जमा नहीं कराई गई। इसी तरह पर्यावरण विभाग और वन विभाग से अनुमति लिए बगैर ही बड़े-बड़े वृक्षों को मुरूम के चक्कर में धराशाई करवा दिया गया। इस तरह से पंचायत द्वारा अवैध मुरुम से पहुंच मार्ग का निर्माण किया गया बल्कि अब संबंधितों को बचाने और खुद को महान बताने के चक्कर में धन सिंह ने न सिर्फ खनिज बल्कि वन विभाग के भी नियमों का उल्लंघन स्वयं स्वीकार कर लिया है।
0 उजागर कर्ताओं की शिकायत
इस पूरे मामले में धन सिंह धनुहार ने मामले के उजागर होने के बाद अवैधानिक मुरूम खनन को छुपाने और मामले से ध्यान भटकाने के लिए इस पूरे घटनाक्रम के उजागरकर्ता क्षेत्रीय पत्रकार निमेष राठौर एवं लखन गोस्वामी के विरुद्ध आदिम जाति कल्याण थाना, कोरबा में जातिगत गाली-गलौज की लिखित शिकायत की है। लखन गोस्वामी और निमेश राठौर पर डरा-धमका कर गाली-गलौज करने और पहुंच मार्ग पर डाल रहे मुरुम के कार्य को रोकने का आरोप लगाया है। निमेश राठौर व लखन गोस्वामी ने कहा है कि घिनारा पंचायत में इस तरह के और भी अवैधानिक कार्य हो रहे हैं जिसे उजागर करने से रोकने के लिए दबाव बनाने के परिप्रेक्ष्य में इस तरह की निरर्थक और निराधार शिकायत आदिवासी वर्ग के व्यक्ति से कराया जाकर एक्ट्रोसिटी एक्ट का मामला दर्ज कराने की राजनीतिक कोशिश की जा रही है। उन्होंने सवाल किया है कि यदि इसी तरह से झूठी शिकायतें दर्ज कराई जाती रहीं तो भला क्षेत्र में होने वाले गैरकानूनी कार्यों को मीडिया कर्मी कैसे उजागर कर पाएंगे? उन्होंने इस संबंध में निष्पक्ष जांच और अवैध रूप से मुरूम की खुदाई, पेड़ों को नष्ट करने की जांच और कार्रवाई की भी मांग जिला प्रशासन से की है।
0 राजनीतिक इशारे पर हो रहा..?
सूत्र बताते हैं कि यह सारा खेल पंचायत क्षेत्र के एक राजनीतिक रसूख वाले नेता के इशारे पर और उनके परिवार के पंचायत प्रतिनिधि की कारगुजारी को दबाने व छुपाने के लिए कराया जा रहा है। कहा जा सकता है कि खेत मालिक धन सिंह एक मोहरा है या बात कुछ और है !