कोरबा/ रायगढ़(खटपट न्यूज़)।कोरबा जिला से दीपका-हरदी बाजार निवासी संदीप कुमार अग्रवाल 35 वर्ष अपने 6 साल के पुत्र समर अग्रवाल व पूरे परिवार के साथ अपने 11 माह के बच्चे को लेकर मुंडन करवाने अनाथालय देवी दुर्गा मां के मंदिर में सपरिवार पहुंचा था। वहां प्रशासन के नियमों के तहत मास्क लगाकर हैंड सेनीटाइज कर मंदिर प्रवेश करना चाहे किंतु गेट में तैनात महिला पुलिसकर्मी और महिला बाल विकास स्टाफ ने उनके पूरे परिवार को पैर से दबाने वाले हैंड सेनीटाइजर का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया। 9-10 महीने के बच्चे को भी मास्क लगाने मजबूर किया गया जो कि व्यवहार में शामिल नहीं है। इसके अलावा उन्होंने सहयोग नहीं देते हुए 6 साल के बच्चे को हैंड सेनीटाइजर करने के लिए पैर से दबाने के लिए कहा। बच्चे की ऊंचाई कम होने तथा हैंड सेनीटाइजर का प्रेशर अधिक होने की वजह से बच्चे के द्वारा पैर से दबाए जाने पर हैंड सेनीटाइजर का ड्रॉप सीधा बच्चे के बाएं आंख में घुस गया और बच्चा मंदिर प्रांगण में रोता रहा। मंदिर प्रांगण के अन्य श्रद्धालु इसे देखकर तत्काल अस्पताल ले जाने परिवार को कहे और प्रशासन की इस व्यवस्था से नाखुश होकर खूब खरी-खोटी बैठे स्टाफ को सुनाई। काफी देर तक बच्चा रोता रहा और उसे ठंडे पानी से धुलाने का प्राथमिक उपचार किया गया लेकिन उपचार प्रभावी नहीं होने की वजह से वहां तैनात अनाथ आश्रम के मैनेजर और परिवार पास ही के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर धेमका के पास ले गए। यहां डॉक्टरों की लापरवाही कुछ हद तक दिखने में आई कि 10:15 बजे से लेकर 11:15 बजे तक बच्चा क्लीनिक में रोता रहा और ग्यारह 11:15 बजे के आसपास डॉक्टर आए तथा उन्होंने सर्वप्रथम डॉक्टर की हैसियत से बच्चे का इलाज किया और उसके आंख खोलने की कोशिश की गई। बच्चे के आंख में कुछ केमिकल डालकर राहत देने की कोशिश की गई। फौरी तौर पर बच्चे ने आंख खोला किंतु 1 घंटे के पश्चात फिर आंख बंद कर रोने लगा क्योंकि आंख में काफी जलन हो रहा था। यहां बताना लाजिमी होगा कि पूरे रायगढ़ जिले में प्रशासन ने मंदिर और अन्य सार्वजनिक स्थानों में हैंड सेनीटाइजर तथा मास्क के साथ ही प्रवेश करने की अनुमति दी है लेकिन छोटे बच्चों जिसमें पांच 6 साल के उम्र से कम के बच्चों में यह नियम लागू करवाना काफी कठिन होता है। व्यवहार में इसे शामिल नहीं किया जा सकता फिर भी प्रशासन छोटे बच्चों को मास्क लगाने और हैंड सेनीटाइजर का प्रयोग करने विवश कर रहा है।
नियमानुसार प्रशासन के कर्मचारियों को हर श्रद्धालु के हाथ में हैंड सेनीटाइजर देकर तथा मास्क लगाने निवेदन कर कोरोना के उपाय को प्रभावी बनाया जा सकता है किंतु यहां हैंड सेनीटाइजर स्वयं से ही पैर से दबाने की वजह से जो घटना घटी उससे यह नियम प्रभावी नहीं लगता। इस प्रकार की घटना से अन्य श्रद्धालु सबक लेते हुए अपने बच्चों को हैंड सैनिटाइजर किए बिना ही मंदिर में सुरक्षित प्रवेश किए और वापस अपने घर चले गए। इस बच्चे के आंख पर भविष्य में क्या प्रभाव पड़ेगा यह आने वाला समय बताएगा किंतु प्रशासन की बड़ी चूक तथा कोरोनावरियर्स के बैठे होने के बावजूद इतनी बड़ी लापरवाही सामने आई। यह प्रशासन की लिए एक चुनौती और सीख है कि आने वाले समय में जिला प्रशासन इस बारे में क्या निर्णय लेगा, यह वक्त बताएगा। फिलहाल बच्चे की स्थिति स्थिर है और बच्चा अभी आंख खोलने में समर्थ नहीं है तथा उसके आंख के नीचे लीड लाइन में काफी सूजन है।