0 कोविड-19 की वजह से 21 अक्टूबर से 27 अक्टूबर के बीच अस्पताल पहुंचने वालों को बताया जाएगा आयोडीन का फायदा
0 21 अक्टूबर विश्व आयोडीन अल्पता दिवस पर विशेष
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एस. पाल का कहना है कि आयोडीन की कमीं का सर्वाधिक असर गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को होता है। गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात, नवज़ात शिशुओं का वज़न कम होना,शिशु का मृत पैदा होना और जन्म लेने के बाद शिशु की मृत्यु होना आदि होते हैं। वहीं शिशु में आयोडीन की कमी से बौद्धिक और शारीरिक विकास समस्यायें जैसे मस्तिष्क का विकास धीमा होना, शरीर का कम विकसित होना, बौनापन, देर से यौवन आना, सुनने और बोलने की समस्यायें तथा समझ में कमी आदि समस्याएं होती हैं।
0 आयोडीन का महत्व
आयोडीन सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो मानव वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। आयोडीन बढ़ते शिशु के दिमाग के विकास और थायराइड प्रक्रिया के लिए अनिवार्य माइक्रो पोषक तत्व है। आयोडीन शरीर के तापमान को नियमित करता है, विकास में सहायक है और भ्रूण के पोषक तत्वों का एक अनिवार्य घटक है। आयोडीन मन को शांति, तनाव में कमीं, मस्तिष्क को सतर्क रखने और बाल, नाखून, दांत तथा त्वचा को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है। शरीर में आयोडीन की कमी से मुख्य रुप से घेंघा रोग होता है।
आयोडीन का स्त्रोत- आयोडीन का सबसे सामान्य स्रोत नमक है। इसके अतिरिक्त आयोडीन युक्त कुछ खाद्य प्रदार्थ भी हैं जैसे- दूध,अंडा, समुद्री शैवाल, शेल्फिश, समुद्री मछली, समुद्री भोज्य वस्तु, मांस, दाल-अनाज आदि।
0 कमीं से होने वाले रोग – आयोडीन की कमी से कई रोग उत्पन्न होने का भय रहता है। इनमें मुख्य रूप से घेंघा रोग है। इसके अलावा थायरॉयड ग्रंथि का बढ़ना, मानसिक बीमारी: मंदबुद्धि, मानसिक मंदता, बच्चों में संज्ञानात्मक विकास की गड़बड़ी और मस्तिष्क की क्षति, मांसपेशियों की जकड़न, शारीरिक और मानसिक विकास का अवरूद्ध होना, मृत बच्चे का जन्म,गर्भवती महिलाओं में गर्भपात, जन्मजात असामान्यता जैसे कि बहरा-गूंगापन, बौनापन, देखने, सुनने और बोलने में असमर्थता, चेहरे पर सूजन, गले में सूजन, थाइराइड हार्मोन का बनना सामान्य से कम होना, वज़न बढ़ना, रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ने की वजह से शारीरिक बीमारी आदि।