
कोरबा (खटपट न्यूज)। कोरोना वायरस का संक्रमण जब इन दिनों काफी तेजी से अपने पैर पसार रहा है और विश्व स्तर पर हो रहे नए-नए खुलासे से कोरोना संक्रमण फैलने के अंदेशे ने लोगों को भयभीत कर रखा है, तब सफाई कर्मचारियों की घोर अनदेखी इनमें संक्रमण फैलने की संभावना को प्रबल करता है। एक-दूसरे के संपर्क में आने, अनजान संक्रमित व्यक्ति के बैठने अथवा उपयोग वाली जगह को बिना सेनेटाइज किए बैठने के साथ-साथ सार्वजनिक स्थान पर थूकने से भी संक्रमण का खतरा बताया गया है। स्वयं जिला प्रशासन ने भी सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर रोक लगाई है और जुर्माना का भी प्रावधान किया है।

नगर पालिक निगम के अधीन कार्यरत सफाई ठेकेदारों के द्वारा ठेके पर सफाई कर्मचारी रखे गए हैं, जिनमें युवा से लेकर अधेड़ भी शामिल हैं, महिलाएं भी कार्यरत हैं। इनके द्वारा हर तरह के स्थल पर जाकर कचरे का उठाव करने के साथ ही झाडू भी लगाया जाता है लेकिन यह सब वे खुले हाथ रहकर करते हैं। निगम क्षेत्र में अनेक ऐसे सफाई कर्मी सहज ही नजर आ जाते है जो न तो चेहरे पर मास्क लगाते हैं और न ही हाथ में ग्लब्स रहता है और सेनेटाइजर तो दूर की कौड़ी है। ऐसे ही सफाई कर्मियों से टीपी नगर चौक में मुलाकात हो जाने पर एक कर्मी ने उसके तीनों चीज घर पर छूटने का गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया जबकि इसके निकट ही एक अन्य युवक बिना मास्क व ग्लब्स लगाए कचरा उठाता मिला। एक सफाई कर्मी ने बताया कि एक बार काफी पहले ग्लब्स और मास्क दिया गया था जो फट चुका है। ठेकेदार ने सेनेटाइजर तो कभी दिया ही नहीं। इस सफाई कर्मी ने बताया कि सुबह और रात के वक्त वे सफाई करने पहुंचते हैं। करीब 372 रुपए सरकारी रेट की जगह 272 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से हर माह पेमेंट ठेकेदार करता है और संडे कट जाता है। दूसरे कर्मचारी उसे बताते हैं कि 100 रुपए पीएफ में ठेकेदार जमा कर रह है लेकिन इस कर्मचारी को करीब 10 साल की नौकरी में आज तक नहीं पता कि उसका कितना रुपया कौन से पीएफ में जमा हो रहा है। इस कर्मचारी ने बताया कि निगम के स्वच्छता विभाग के अधिकारी भी कोई ध्यान नहीं देते जिसके कारण ठेकेदार भी अनदेखी करता है। उसने व्यवस्था को ही सारी कमियों के लिए जिम्मेदार भी ठहराया।

0 क्वारेंटाइन सेंटर से खाली हाथ उठाते हैं जूठे डब्बे और कचरे
यह बात भी सामने आई है कि निगम के सफाई कर्मचारी हर दिन सुबह के वक्त जब कचरों का उठाव करने शहर में निकलते हैं तो वे क्वारेंटाइन सेंटरों के आसपास भी पहुंचकर यहां रखे गए कचरों को उठाते हैं। टीपी नगर होटल महाराजा भी क्वारेंटाइन सेंटर है। नाम न छापने और फोटो न खींचने की शर्त पर यहां पहुंचने वाले सफाई कर्मियों ने बताया कि क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों के द्वारा भोजन किए हुए खाली डिब्बे सहित अन्य कचरे एक किनारे रखवा दिए जाते हैं जिन्हें वे खुले हाथों से बिना ग्लब्स और मास्क लगाए उठाव करते हैं। इन कर्मियों के मुताबिक इन्हें ग्लब्स और मास्क नहीं दिया गया है। यह भी बताया कि उन्हें भी कोरोना होने का डर सताता है लेकिन किस-किस के आगे अपन दुखड़ा रोते रहेंगे इसलिए चुपचाप काम करते रहते हंै।
0 खुले वाहनों से कचरा परिवहन
यह बात भी सामने आई है कि कचरा संग्रहण और परिवहन में लगे ट्रैक्टर वाहन बिना तिरपाल ढंके शहर की गलियों और सड़कों से गुजरते हैं। बदबू उठने के साथ-साथ कई जगह कचरे भी सड़क पर गिरते हुए जाते हैं। साथ ही अभी के कोरोना काल में इस बात की जानकारी किसी को नहीं होती कि कौन सा कचरा किस संक्रमित के घर से निकला हो? इस संबंध में निगम व जिला प्रशासन को गंभीरता से ध्यान देने की अपेक्षा नगरजनों की है।
