कोरबा (खटपट न्यूज)। कृषि सुधार बिल पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भानु प्रकाश चंद्रा ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया बिल कृषि सुधार नहीं, किसान विनाश का बिल है। इस कानून से किसानों को नुकसान होगा और कारपोरेट खेती को बढ़ावा मिलेगा। यदि मोदी सरकार किसानों के हित की बात करती है, तो उसे यह ऐलान करने में एतराज क्यों है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम में अनाज की खरीदी नहीं होगी।
कोरबा के जिलाध्यक्ष सत्येंद्र यादव ने कहा कि दरअसल भारत को आर्थिक रूप से गुलाम बनाने में सबसे बड़ी बाधा कृषि के क्षेत्र को लेकर है। कृषि जो आत्मनिर्भर भी है और स्वयंभू भी है। उसे खत्म करने के लिए लगातार कोशिश यह सरकार पिछले 6 साल से कर रही है।खेती को खत्म करने के लिए सबसे पहला कदम है कि एमएसपी को खत्म किया ज़ाए। वह एमएसपी खत्म नहीं कर पा रही है।इसलिए यह नया रास्ता निकाला है। सबसे दुखद बात यह है कि आर्थिक मोर्चों पर नाकाम साबित होने के बावजूद इस सरकार में बैठे लोग इस तरह का कदम उठा रहे हैं। अभी कृषि ही एक मात्र क्षेत्र है जहाँ सकारात्मक अर्थिक विकास हो रहा है जिसने अर्थव्यवस्था और देश को संभाला हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि देश में 70 फ़ीसदी छोटे और मझोले किसान है। मंडी की व्यवस्था खत्म हो जाएगी तो वे अपना अपनी कृषि उपज कहां बेचेंगे। उन्होंने सवाल किया कि क्या गांव का छोटा किसान दूसरे प्रदेशों में जाकर अपना धान बेचेगा?वे मानते हैं कि इसके पीछे एक वजह यह भी है कि मंडियों के संचालन से जो टैक्स मिलता है ,वह पूरी तरह से राज्य सरकार को मिलता है। इसे खत्म कर केंद्र की सरकार, राज्य को अपना पि_ू बनाना चाहती है।इसके साथ ही जो तरीका अपनाया जा रहा है। उससे कारपोरेट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा।जो कि बहुत ही खतरनाक है।भारत का इतिहास बताता है कि किस तरह उपनिवेशवाद आया।स्वायतता को खत्म करके लोगों को गुलाम बनाया गया।जो आत्मनिर्भर व्यवस्था थी उसे खत्म किया गया और एक केंद्रीकृत व्यवस्था बनाई गई।
भानु चंद्रा कहते हैं कि लोग मंडी में अनाज बेचते हैं तो सरकार के पास रिकॉर्ड रहता है कि कितना अनाज खरीदा गया है और कितना स्टोर कर रखा गया है। अब सरकार की गलत नियत का पता इसी बात से चलता है कि अनाजों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर किया जा रहा है।जिससे सरकार के पास इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं होगा कि कितना अनाज खरीदा गया और कितना भंडारण किया गया।इस तरह से सरकार कारपोरेट के हाथ में पूरा व्यापार देने जा रही है। जो छोटे-मझोले व्यापारी इस क्षेत्र में लगे हुए हैं और हजारों हाथों को इनकी वजह से रोजगार मिला हुआ है। वह पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।गुलाम बनाने के लिए एक केंद्रीकृत व्यवस्था बनाई जा रही है।जिससे कारपोरेट जगत जो कहे वही पैदा किया जा सके।यह ऐसी व्यवस्था है जिसमें लोगों को न्यायालय जाने का भी मौक़ा नहीं मिल पाएगा।सारे विवाद ट्रिब्यूनल में हल होगे ट्रिब्यूनल कलेक्टर की अदालत होगी और सभी जानते हैं कि इसमें फैसले कैसे होते हैं। आप नेता ने कहा कि राज्यसभा में जिस तरह से बिल पास कराया गया।सभी ने देखा है। कोविड-19 के बहाने सरकार कुछ भी करना चाहती है। राज्यसभा में यह बिल ध्वनिमत से पारित किया गया।जबकि प्रावधान के मुताबिक वोटिंग होना चाहिये । कृषि बिल से किसान को कोई फायदा नहीं होगा। अगर मोदी सरकार किसानों के हित की बात करती है तो उसे यह ऐलान करने में क्यों एतराज है कि समर्थन मूल्य से कम में अनाज की खरीदी नहीं होगी। छत्तीसगढ़ देश का हिस्सा है।यहां भी विपरीत असर पड़ेगा।छत्तीसगढ़ के लोगों ने पिछले साल भी देखा है कि केंद्र की ओर से प्रदेश सरकार को धमकी दी गई थी कि 16 सौ से अधिक कीमत पर धान खरीदी की गई तो हम नहीं खरीदेंगे। आज छत्तीसगढ़ के किसान की हालत दूसरे राज्यों के किसानों से थोड़ी बेहतर है क्योकि यहाँ का किसान सरकारी मंडी में धान बेचता है। आगे खुला बाजार होगा तो कॉर्पोरेट और केंद्र सरकार बाधा इसे भी रोकेगी। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी इस बिल का विरोध करती है । आप आंदोलन से निकली हुई पार्टी हैं और संघर्ष करना जानती है। आज 24 सितंबर को पार्टी पूरे देश में प्रदर्शन की है और तब तक लड़ेगी जब तक यह किसान विरोधी बिल वापस नही हो जाता।
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