Sunday, December 22, 2024
https://khatpatnews.com/wp-content/uploads/2024/11/digital-ad-4-november-copy.jpg
https://khatpatnews.com/wp-content/uploads/2024/10/kpt-advt-November-24-scaled.jpg
https://khatpatnews.com/wp-content/uploads/2024/11/20x10.pdf
Homeकोरबा…आज ही के दिन ताश के पत्तों की तरह ढह गई थी...

…आज ही के दिन ताश के पत्तों की तरह ढह गई थी ऊंची चिमनी, याद आते ही कांप जाती है रूह…

कोरबा (खटपट न्यूज)। सितंबर महीने की 23 तारीख को 11 साल पहले 2009 मेें हुए बालको चिमनी हादसे की याद ताजा हो जाती है, नजरों के सामने वह दर्दनाक मंजर घूम जाता है कि रूह कांप उठती है। 23 सितंबर 2009 को शाम होते-होते करीब 4 बजे मौसम का मिजाज बदला और आंधी-तूफान के बीच बालको के निर्माणाधीन 1200 मेगावाट विद्युत संयंत्र की लगभग 225 मीटर से भी ऊंची निर्माणाधीन चिमनी ताश के पत्तों की तरह ढह गई। तत्कालिक तौर पर माना गया कि निर्माण स्थल के आसपास बिजली गिरने से इसकी जद में चिमनी आई और हादसा हो गया। हादसा होते ही संयंत्र परिसर में अफरा-तफरी निर्मित हो गई, कोहराम मच गया। कांक्रीट के मलबे के बीच दबे मजदूरों की चीख-पुकार से आत्मा कराह उठी। मलबे से लाशें निकाली गई तो कुछ लोगों को घायल हालत में जिंदा बचा लिया गया। आधिकारिक तौर पर 41 मजदूरों ने इस हादसे में अपनी जान गंवाई। यह मामला आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद न्यायालय में अब भी विचाराधीन है। इस हादसे की न्यायिक जांच कराने के लिए तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जांच कमेटी गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट तीन वर्षों बाद आई। रिपोर्ट में बालको प्रबंधन, ठेका कंपनी जीडीसीएल एवं सेपको को दोषी पाया गया किंतु अभी तक दण्डात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। जिला सत्र न्यायालय में अपराधिक मामला विचाराधीन है। 11 साल गुजरने के बाद भी दोषियों को सजा नहीं मिली है। चिमनी हादसे के शहीद मजदूरों को कोरोना लॉकडाउन के बीच प्रोटोकाल का पालन करते हुए बालको के मजदूर संगठनों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments