
अंबिकापुर। दोपहर क़रीब बारह बजकर अ_ाईस मिनट का वक्त.. रेंज सरगुजा आईजी के सरकारी नंबर पर एक व्हाट्सएप मैसेज आया। वो मैसेज एक आरक्षक का था, आरक्षक जिसके स्वर्गवासी पिता पुलिस विभाग में एएसआई पद से रिटायर हुए थे। घर की गंभीर स्थिति का ज़िक्र करते हुए आरक्षक ने आग्रह किया था कि, उसे या तो स्थानांतरित कर दिया जाए या अटैच कर दिया जाए ताकि वो गंभीर माँ और भाईयों की देखभाल कर ले। 12.28 को भेजे इस मैसेज का जवाब आरक्षक को सीधे आदेश के रुप में क़रीब आधे घंटे बाद याने 1 बजकर 13 मिनट पर मिला,जिसमें लिखा गया था –
आरक्षक सुयश पैंकरा को मानवीय आधार पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक अटैच किया जाता है। अपनी गुहार के जवाब में मिले सीधे इस आदेश ने आरक्षक को अप्रत्याशित हर्ष से भर दिया, उसने जवाब में लिखा -बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर। जो व्हाट्सएप मैसेज सिपाही सुयश पैकरा ने किया था उसमें उसने लिखा था सर, मैं बलरामपुर रामानुजगंज ज़िले में पदस्थ आरक्षक क्रमांक 132 सुयश पैकरा हूँ, मैं यहाँ अवसाद ग्रस्त हूँ। मेरे पिता एएसआई थे, जिनका निधन हो चुका है। माँ का स्टमक ऑपरेशन हुआ, और दो छोटे भाई हैं, जिनका भविष्य भी निश्चित नहीं है। मैंने कई बार स्थानांतरण के लिए आवेदन दिया, पर कुछ नहीं हुआ। मेरी विनती है या तो मुझे स्थानांतरित करा दीजिए या अपने कार्यालय में अटैच कर दीजिए, ताकि माँ की देखभाल और छोटे भाईयों को व्यवस्थित कर दूँ..आदरणीय सर, मैं अपना सबसे शानदार काम कर के दूँगा.. मैं आभारी रहूँगा.. मुझे आपसे उम्मीदें हैं..
आरक्षक सुयश पैकरा ने बेहद भावुक स्वर में एनपीजी से कहा –
मुझे बिलकुल अंदाज नहीं था.. कि ऐसी त्वरित राहत मिलेगी.. मैं कभी आईजी साहब से मिला ही नहीं हूँ.. और मैं बेहद ज्यादा अवसाद में था.. कई आवेदनों पर कोई सुनवाई नहीं हुई तो आख़िरी उम्मीद के रुप में मैसेज कर दिया था.. मेरे पास शुक्रिया के लिए भी शब्द नहीं है.. बहुत बहुत आभार.. मां की बेहतर देखभाल कर पाउँगा।