Sunday, December 22, 2024
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विष्णुदेव साय के नाम पर विचार,रामविचार और केदार भी सीएम की दौड़ में

रायपुर(खटपट न्यूज़)। छत्तीसगढ़ राज्य में चुनावी मैदान मारने के बाद अब मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा..? इसे लेकर चल रही तमाम अटकलें और कवायदों के बीच इस बात को बल मिल रहा है कि यहां से आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। आदिवासी नेतृत्व की बात करें तो इस पर सबसे आगे विष्णु देव साय का नाम चल रहा है।

छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद अब मुख्यमंत्री की दौड़ तेज हो गई है। पूरे छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक अटकलों का दौर चल रहा है कि अगला सीएम कौन होगा? छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री चुनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा के साथ-साथ संगठन में मंथन के लिए छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित अन्य शीर्ष नेताओं को दिल्ली तलब किया गया। चल रही अटकलों के बीच इस बात की संभावना प्रबल है कि वरिष्ठ आदिवासी नेता और कुनकुरी जैसे क्षेत्र से जीत हासिल करने वाले केंद्रीय मंत्री व भाजपा के दो बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। वे RSS की पसंद भी हैं और वरिष्ठ आदिवासी नेता भी। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री आदिवासी चेहरा होने के नाते श्री साय का नाम प्रबल माना जा रहा है जो आदिवासी नेतृत्व में एक बड़ा नाम है।

इनके अलावा रामविचार नेताम,केदार कश्यप भी दौड़ में शामिल हैं।
वैसे भाजपा का संसदीय बोर्ड डॉ.रमन सिंह के बाद ही फैसला करता है, तब की स्थिति में विष्णुदेव साय या रामविचार नेताम या केदार कश्यप में से कोई एक नाम पर मुहर लगना तय माना जा रहा है। अभी संसदीय बोर्ड की बैठक भी चल रही है।

इसकी सबसे बड़ी वजह झारखंड राज्य में होने वाला चुनाव है। आदिवासी बाहुल्य राज्य में आदिवासी नेतृत्व का डंका बजेगा तब छत्तीसगढ़ के आदिवासी सीएम को भी कमान संभालनी पड़ेगी। आदिवासी वोटरों को पूरी तरह साधने की रणनीति पर काम हो रहा है। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को छत्तीसगढ़ से पूरी 11 सीट चाहिए।
यहां इस बात की संभावना बनी हुई है कि प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ा गया और सत्ता परिवर्तन हुआ है इसलिए अरुण साव को सीएम पद का तोहफा दिया जा सकता है। हालांकि आगामी चुनाव के मद्देनजर श्री साव को बड़ी संगठनात्मक जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है।

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