Wednesday, January 15, 2025
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साहब! ये फॉल सीलिंग नहीं, झड़ते छत और टपकते पानी का जुगाड़ है

0 परियोजना कार्यालय के फाइलों और कम्प्यूटर को पन्नी का सहारा

कोरबा(खटपट न्यूज़)। जिले में एक ओर लाखों-करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित कई सरकारी भवन अपनी उपयोगिता सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं ,वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनका निर्माण आखिर क्यों कराया गया है! दूसरी तरफ अनेक ऐसे सरकारी दफ्तरों का हाल बदहाल है जहां नियमित तरीके से कामकाज हो रहे हैं। बिना किसी ठोस कार्ययोजना और उपयोगिता के निर्मित कराए गए भवनों पर जो सरकारी रुपये फूंके गए, अगर वह नियमित तौर पर संचालित किन्तु बदहाल सरकारी दफ्तरों में लगाए जाते तो इनकी सूरत कुछ और होती और यहां के कर्मचारियों को एक अच्छे वातावरण में काम करने का अवसर प्राप्त होता।

ऐसे ही बदहाल भवनों में से एक है 3 दशक पूर्व निर्मित एकीकृत बाल विकास परियोजना कार्यालय करतला का भवन। वर्ष 1994-95 में परियोजना कार्यालय के इस भवन का निर्माण कराया गया था। वर्तमान में यह भवन जर्जर स्थिति में होने के कारण शासकीय कार्य में असुविधा हो रही है। भवन का छत अति जर्जर होने के कारण मरम्मत योग्य नहीं है। इसके फलस्वरूप बरसात के दिनों में पानी का रिसाव होने के साथ-साथ बीच-बीच में छत का छज्जा भी टूट कर गिर रहा है। आगामी वर्षाऋतु में स्थिति और भी खराब हो सकती है तथा अप्रिय घटना की भी आशंका बनी रहती है। कार्यालय के समस्त रिकार्डों और कम्प्यूटर को बचाने के लिए छत के नीचे प्लास्टिक बांधा गया है लेकिन यह भी कारगर नहीं हैं, क्योंकि पानी भर जाने से उसे निकालना काफी रिस्क भरा होता है। इससे रिकार्डों व कम्प्यूटर के भीगने की संभावना बनी रहती है।
इस संबंध में परियोजना अधिकारी रागिनी बैस के द्वारा अपने अधिकारियों को अवगत कराने के साथ-साथ जनपद सीईओ करतला तथा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग करतला के अभियंता को पत्र लिख कर अवगत कराते हुए इंजीनियर द्वारा भवन का अतिशीघ्र मूल्यांकन कराने का आग्रह किया गया है ताकि कार्यालय का सुचारू संचालन करने हेतु किराए का भवन स्वीकृत कराने की कार्यवाही की जा सकें।
0 35 आंगनबाड़ी केन्द्र जर्जर
परियोजना कार्यालय के अधीन संचालित 35 आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन भी पूर्ण रूप से जर्जर हो चुके हैं। इन केन्द्र भवनों का निर्माण वर्ष 1994-95 में कराया गया था। सुनिश्चित रोजगार योजना, विश्व बैंक एसआरवाय मद से इन आंगनबाड़ी केन्द्र भवनों का निर्माण कराया गया था। करतला परियोजना के अंतर्गत ग्राम करतला, चाम्पा, नवाडीह, टेम्पाभांठा-1, फत्तेगंज, नवापारा, बोतली, जूनापारा बोतली-1, घिनारा, बैगापारा घिनारा-1, बनियापारा, नोन., डोंगाआमा, श्रीमार-1, कोटमेर, बहेराभाठा जूनवानी, दैहानभाठा, खूंटाकुड़ा-1, रीवाबहार, भाठापारा तुमान, लबेद, सुपातराई, कंवरपारा रामपुर, बरकोन्हा, नोनदरहा, खाल्हेपारा नोनदरहा, पठियापाली, जामपानी, छातापाठ, जोबापारा, गिधौरी, धनवारपारा गिधौरी, जोगीनगर, दादरभाठा, औराई व गनियारी के केन्द्र पूर्ण जर्जर घोषित हो चुके हैं। किराए के मकानों में ये केन्द्र संचालित हो रहे हैं जिन्हें खुद के भवन की दरकार है।

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