कोरबा(खटपट न्यूज़)। जिले का माइनिंग अमला अपनी चाल पर चल रहा है। खनिज संसाधनों के अवैध दोहन पर रोकथाम के एकमात्र दायित्व को ठीक से नहीं निभा पा रहे खनिज विभाग के अधिकारियों और मैदानी अमले की सुस्त चाल के कारण खनिज के अवैध कारोबारियों के हौसले बढ़े हुए हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि खनिज विभाग के चंद अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ऐसे अवैध कारोबारियों की सांठगांठ है और इसी सांठगांठ के कारण उनके अवैध ठिकानों और अवैध कारोबार पर कोई नजर नहीं डाली जाती। इसके विपरीत जिस विभाग का यह काम नहीं है, वह विभाग राजस्व के होने वाले नुकसान की रोकथाम और अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए छापामार कार्यवाही कर रहा है।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब खनिज विभाग की अनदेखी के कारण राजस्व विभाग को दखलअंदाजी करनी पड़ी हो लेकिन पूर्व के मामलों से भी खनिज विभाग सबक लेने का नाम नहीं ले रहा और अधिकारी तो अपने आप को भगवान से कम नहीं समझते। दफ्तर में उनके दर्शन तो दूर टेलिफोनिक संपर्क भी गिने-चुने लोगों से ही करते हैं।
जिले में खनिज विभाग की कार्यशैली किसी से छिपी नहीं है पिछले वर्षों में जो कुछ खनिज अमले ने किया उससे जब सरकार की किरकिरी होने लगी तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एकमात्र कोरबा जिला खनिज विभाग का पूरा का पूरा आमला ही बदल डाला। इस उम्मीद में कि नए अधिकारी और वाहन चालक से लेकर चपरासी तक अगर नए होंगे तो अवैध कारोबार पर अंकुश लगेगा, लेकिन कुछ दिन ही ठीक रहने के बाद नया अमला पुराने ढर्रे पर लौट आया है। विभाग के दो कर्मचारी सुर्खियों में हैं जो रेत के अवैध कारोबारियों के लिए मुखबिरी और साहब से सेटिंग का काम करते हैं। साहब और माइनिंग इंस्पेक्टर भी ऐसे हैं कि उन्हें शासन- प्रशासन के निर्देशों से कोई मतलब नहीं। जब बात आती है तो पुरानी कार्यवाही का हवाला देकर ऐसा जाहिर करते हैं मानो कि कोरबा जिले में खनिज की काला बाजारी और अवैध खनन-परिवहन हो ही नहीं रहा है। हकीकत यह है कि खनिज अमला उन्हीं मामलों में कार्रवाई करता है जिन पर उनका मन होता है और जिनसे सेटिंग होती है,या स्थानीय अमला अनजान रखता है, उन इलाकों में तो वे पांव तक नहीं रखते।
जिले के शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में रेत,मिट्टी,मुरूम,कोयला की चोरी हो रही लेकिन चंद मामले पकड़ कर वाहवाही लूटने से बाज नहीं आ रहे।
0 राजस्व अमले ने पकड़ा कोयला चोरी
जब माइनिंग विभाग अपने मूल दायित्व को नहीं निभा रहा है तब ऐसे में प्रशासन के निर्देश पर राजस्व अमले की टीम को मैदान पर उतरना पड़ा है। ऐसी एक सूचना पर कोरबा एसडीएम सीमा पात्रे के नेतृत्व में राजस्व प्रशासन की टीम ने गुरुवार को अवैध कोयला डंपिंग स्थान ग्राम चाम्पा थाना करतला में छापामार कार्यवाही की। यहां पर कोयला परिवहन कर रहे वाहनों से कोयला की अनलोडिंग हो रही थी। एसडीएम के नेतृत्व में तहसीलदार करतला एवं तहसीलदार कोरबा के अधीनस्थ पटवारी भी मौके पर मौजूद थे। राजस्व टीम ने छापे के पश्चात खनिज विभाग के अधिकारियों को मौक़े पर बुलाकर जप्ती की कार्यवाही कराई। 5 ट्रिप ट्रेलर और 2 ट्रेक्टर जप्ती उपरांत करतला थाना के सुपुर्द किया गया। निजी जमीन के अवैध कार्य में उपयोग के सम्बन्ध में भी मालिक वीरेंद्र सिंह कंवर पर राजस्व विभाग द्वारा जांच की जा रही है।
0 पहले भी राजस्व अमले ने ही की कार्यवाही
यह कोई पहला मौका नहीं है जब खनिज विभाग के अनदेखी के कारण राजस्व विभाग को कार्रवाई के लिए उतरना पड़ा हो।इससे पहले भी जब पाली थाना क्षेत्र में कोयले का अवैध भंडारण हो रहा था तब पाली के राजस्व अधिकारियों ने कार्यवाही की थी। करतला में ही जिस जगह पर एसडीएम ने दबिश दी, वहां पिछले साल भी एसडीएम ने कार्यवाही कर बड़े पैमाने पर कोयला जप्त किया था। कोयला परिवहन में लगे वाहनों के चालकों से मिलीभगत कर कोयला निकालकर डंपिंग करने के बाद इसे बेचने का काम अवैध कारोबारी कर रहे हैं लेकिन खनिज विभाग की नजरों से यह कैसे चूक जाता है, सवालों में है।
0 पुलिस ने भी हाथ खींचे
खनिज के अवैध मामलों में कार्यवाही का जिम्मा माइनिंग विभाग का है और पुलिस इसमें सहयोग करती आई है। लेकिन पिछले वर्षों से इस तरह के मामलों में सीधी कार्रवाई करने से पुलिस ने हाथ खींच लिए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विगत वर्ष स्पष्ट तौर पर निर्देश दिए थे कि रेत सहित अन्य खनिज की चोरी, अवैध भंडारण जैसे मामलों में सीधे तौर पर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक जिम्मेदार होंगे तथा संबंधित क्षेत्र के थानेदारों पर कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद कुछ दिन तक सक्रियता नजर आई और रेत चोरी के कोरबा जिले में 2 मामले थाने में दर्ज भी हो गए लेकिन इसके बाद राजस्व अमला और पुलिस विभाग ने इस तरह के मामलों से हाथ खींच लिए। यह एक तरह से जायज भी था क्योंकि माइनिंग विभाग के पास अपना एक काम है और राजस्व तथा पुलिस के पास कार्यों का बोझ है। ऐसे में माइनिंग विभाग के दायित्व की भी जिम्मेदारी उठा पाना व्यावहारिक तौर पर काफी दिक्कत भरा होता है। पुलिस के अधिकारियों का तर्क रहा है कि माइनिंग विभाग अपना काम करे, वैसे भी आबकारी विभाग का काम शराब,गांजा आदि पकड़कर कर ही रहे हैं। उस पर से खनिजों की चोरी भी पकड़ेंगे तो अपना काम कब करेंगे? पुलिस यदि खनिजों के अवैध परिवहन/ भंडारण का मामला पकड़ती है तो उस पर कई तरह के आरोप भी लगते हैं और दूसरी ओर खनिज विभाग मूकदर्शक बनकर तमाशा देखता रहता है।
0 दूसरे जिले की रेत का भंडारण से शहर भर में आपूर्ति
यह बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि कोरबा जिले में खनिज की रॉयल्टी काटी नहीं गई है इसके बाद भी रेत का भंडारण पर्याप्त मात्रा से कहीं ज्यादा मौजूद है। बरमपुर जैसे और भी रेत के भंडारण स्थल से रेत की सप्लाई शहर भर में हो रही है। चांपा जिले के केराकच्छर की रॉयल्टी पर आखिर कितनी रेत ढोई जा रही है कि इसका भंडारण भी हो जाता है और शहर भर में सप्लाई भी हो रही है। दरअसल आंख में धूल झोंकने का यह एक तरीका है। कोरबा जिले के हसदेव और अहिरन नदी से बदस्तूर रेत चोरी कर अवैध भंडारण और परिवहन हो रहा है लेकिन इतने महीनों में खनिज अमला चोरी का एक भी प्रकरण दर्ज नहीं करा सका है। सरकारी दर 491 रुपये की रेत लोगों को आज भी 2200 से 4000 के दर पर खरीदना पड़ रहा है जो रात के अंधेरे में नदी से निर्माण स्थल तक पहुंचाई जा रही है।
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