कोरबा(खटपट न्यूज़)। कटघोरा डीएफओ के लिए अपनी गलती को कर्मचारियों के ऊपर मढ़कर कार्यवाही कराना कोई नई बात नहीं है। ऐसा ही वाक्या विगत दिवस हुआ।पसान वन परिक्षेत्र के छः वनकर्मचारियो को निलम्बन का पत्र अपनी गलती छुपाने के लिए बिना स्पष्टीकरण दी जा रही थी परंतु कर्मचारियों के प्रति अन्याय के खिलाफ वन कर्मचारी संघ ने आवाज उठाते हुए हस्तक्षेप किया तब कहीं जाकर निलम्बन को स्पष्टीकरण में तब्दील किया गया।
दरअसल मामला हाथी मुआवजा प्रकरण का है। पिछले दिनों विधानसभा सत्र में कटघोरा वनमण्डल के हाथी मुआवजा प्रकरण में भुगतान का मामला गूंजा। तब 15 फरवरी की स्थिति में हाथी मुआवजा के कोई भी प्रकरण लंबित नही है की जानकारी विधानसभा में दी गई । हाल में 277 लंबित मुआवजा प्रकरण स्वयं के कार्यालय में धूल खाता हुआ उजागर हुआ । ये देख डीएफओ के होश खाफ्ता हो गये और अपनी गलती छुपाने आनन फानन में पसान वन परिक्षेत्र के विभिन्न बीटो में पदस्थ छः वन कर्मचारियों को विलम्ब से प्रकरण बनाने के आरोप में निलंबित करने का पत्र टाइप करा लिया गया जिसकी जानकारी वन कर्मचारी संघ को होने पर तत्काल आवाज उठाते हुए हस्तक्षेप किया गया और अंततः निलंबन के पत्र को स्पष्टीकरण में बदला गया । छह कर्मचारियों में ईश्वर प्रसाद मानिकपुरी बीट गार्ड पसान,अयोध्या सोनी वनपाल एवम बीट प्रभारी,रविशंकर धनुहार डिप्टी रेंजर पसान,उज्जैनसिँह पैकरा डिप्टी रेंजर जल्के,रामकुमार निषाद बीट गार्ड सेमराहा तथा सुरेश यादव बीट गार्ड बनिया थे जिनके बारे में कहा जाता है कि ये कर्मचारी अपने कर्तव्य के प्रति बड़े ही निष्ठ है। गौरतलब हो कि इस डीएफओ द्वारा विधानसभा में इसी सत्र में लगातार तीन बार झूठी जानकारी देकर गुमराह किया गया है पहला वनमण्डल स्तर पर कोई भी मजदूरी भुगतान लंबित नही है दूसरा मानगुरु जंगल में 2018 में बेदर्दी से काटे गए 10 हजार पेड़ के मामले में अपने आपको एसडीओ पद पर नही थी बताकर और तीसरा ये हाथी मुआवजा प्रकरण है। तीन बार सदन को गुमराह किया गया परंतु एक बार भी विधानसभा से झूठी जानकारी देकर गुमराह किए जाने संबंधी किसी भी प्रकार से कार्यवाही के लिए कोई पत्र नही आया है जिससे इनके हौसले बुलंद है।