Monday, December 23, 2024
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Homeकोरबास्वामी आत्मानंद स्कूलों की होगी मरम्मत, बदलेगी सूरत

स्वामी आत्मानंद स्कूलों की होगी मरम्मत, बदलेगी सूरत

0 आदिवासी विकास विभाग लगभग 45 करोड़ से कराएगा काम


कोरबा(खटपट न्यूज़)। छत्तीसगढ़ शासन और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में संचालित की जा रही महत्वपूर्ण स्वामी आत्मानंद स्कूल योजना के क्रियान्वयन को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। यह मुख्यमंत्री का न सिर्फ ड्रीम प्रोजेक्ट है बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में और अंग्रेजी माध्यम से सरकारी स्कूल में शिक्षा देने के मामले में मील का पत्थर भी साबित हो रहा है। कोरबा जिले में संचालित हो रहे 10 स्वामी आत्मानंद अंगे्रजी माध्यम स्कूलों के भवन, लैब रूम, प्रसाधन कक्ष आदि के आवश्यक मरम्मत व सुधार कार्य के लिए आदिवासी विकास विभाग के द्वारा कार्य हेतु निविदा जारी की गई है। जिले के करतला ब्लाक में , कोरबा ब्लाक , कटघोरा ब्लाक और पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक में उन्नयन स्वामी आत्मानंद स्कूल संचालित हो रहे हैं। आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त श्रीकांत कसेर के द्वारा इन कार्यों के संबंध में अभी 13 करोड़ 22 लाख 85 हजार रुपए लागत की निविदा जारी की गई है।

0 पूर्व में 44.75 करोड़ की जारी हुई थी निविदा

श्री कसेर ने बताया कि पूर्व में कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक, राजीव गांधी शिक्षा मिशन (समग्र शिक्षा) के द्वारा 42 नवीन स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विद्यालयों में जीर्णोद्धार कार्यो हेतु एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के सीएसआर मद अंतर्गत स्वीकृति हुई है। इसके प्रत्याशा में कार्यपालन अभियंता, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग कोरबा के प्राक्कलन एवं तकनीकी स्वीकृति के आधार पर 111 कार्यो हेतु राशि 4887.59 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदाय कर सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास कोरबा को कार्य एजेंसी नियुक्त किया गया था। तत्कालीन सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास श्रीकांत कसेर के द्वारा 42 नवीन स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विद्यालयों में जीर्णोद्धार कार्यो हेतु कार्यालयीन ई-निविदा कुल 4475.76 लाख का सूचना प्रकाशन किया गया था जिसमें कार्य को पूर्ण करने की अवधि 06 माह एवं 01 वर्ष निर्धारित की गई थी। कार्य को पूर्ण करने हेतु अधिक समय दे दिया गया था। कार्य की तकनीकी स्वीकृति/प्रशासकीय स्वीकृति पृथक-पृथक प्रदाय की गई है। तत्कालीन सहायक आयुक्त के द्वारा निविदा को पृथक-पृथक न लगाकर विकासखण्डवार लगाया गया था, जिसे शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के पूर्व समय पर कार्य पूर्ण कराया जाना संभव नहीं था।

0 तकनीकी समिति ने लाया संज्ञान,कलेक्टर ने निरस्त किया पूर्व निविदा
कलेक्टर संजीव कुमार झा के द्वारा स्वामी आत्मानंद स्कूलों के निर्माण/रेनोवेशन कार्य के लिए निविदा करने हेतु तकनीकी समिति का गठन किया गया है जिसमें सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास कोरबा, कार्यपालन अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, कोरबा, जिला परियोजना समन्वयक, राजीव गांधी शिक्षा मिशन एवं सहायक अभियंता/उप अभियंता आदिवासी विकास को नियुक्त किया गया है।
कलेक्टर के द्वारा उक्त स्थिति संज्ञान में आने के कारण कार्यालयीन आदेश द्वारा अपरिहार्य कारणों से निरस्त करते हुए 14 संस्थाओं में 32 निर्माण/रेनोवेशन कार्यो हेतु सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास को कार्य एजेंसी नियुक्त किया गया है। शेष 28 संस्थाओं में 79 निर्माण/रेनोवेशन कार्यो हेतु अन्य विभाग को कार्य एजेंसी नियुक्त किया गया है, जिससे कि समय पर कार्य पूर्ण कराया जा सकें। सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास के द्वारा पुनः ई-निविदा आमंत्रण के द्वारा 14 नवीन स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विद्यालयों में 32 निर्माण एवं रेनोवेशन कार्यो हेतु 1322.85 लाख रुपये ई-निविदा सूचना का प्रकाशन पृथक-पृथक प्राप्त तकनीकी/प्रशासकीय स्वीकृति के आधार पर किया गया है, जिसमें कार्य पूर्ण करने अवधि निर्माण कार्य हेतु कार्य आदेश जारी दिनांक से 3 माह एवं रेनोवेशन कार्य हेतु 15 जून 2023 निर्धारित की गई है, जिससे कि समय पर कार्य पूर्ण कराया जाना संभव हो सके।

0 सभी वर्ग के ठेकेदारों को मौका,स्वस्थ प्रतिस्पर्धा में होगा काम

प्रशासकीय व तकनीकी स्वीकृति अलग-अलग संस्था के लिए अलग-अलग जारी की गई थी और इन्हें जोड़कर क्लब निविदा की गई थी जिसमें सिर्फ अ एवं ब श्रेणी के ठेकेदार ही भाग ले सकते थे। ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट के कार्य में देरी होने की संभावना बनी हुई थी। कार्य की प्रकृति काफी बड़ी होने के कारण इसे चंद ठेकेदारों के द्वारा समय-सीमा में पूरा किया जाना संभव नहीं था। अक्सर ऐसा भी होता है कि चंद ठेकेदार बड़े-बड़़े काम हासिल कर लेने के बाद काम को फंसा कर अथवा आधा-अधूरा करते हुए दूसरे काम पर भी फोकस करने लगते हैं जिसकी वजह से दिक्कतें होती है। इन कारणों से अब अलग-अलग स्वीकृति के अनुसार टेंडर जारी किया गया है। अलग-अलग टेंडर होने से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी होगी और सभी वर्ग के ठेकेदारों को इसमें भाग लेने का अवसर मिलेगा तथा निर्माण कार्य सही समय पर पूरा किया जा सकेगा। वैसे आदिवासी विकास विभाग के विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि पूर्व में किसी विशेष वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए पौने 45 करोड़ से अधिक का टेंडर जारी किया गया था जिसमें आवश्यकतानुसार सुधार किया जा कर और प्रत्येक वर्ग के ठेकेदार को मौका देने के लिए अलग-अलग टेंडर निकाला गया है।

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