कोरबा(खटपट न्यूज़)। आदिवासी अंचलों में समाज सेवा का कार्य कर रही संवेदन की टीम ने दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच कर यहां के बच्चों में होली की खुशियां बांटी। ग्राम डोकरमना में सरपंच के कारण पहाड़ी कोरवाओं से मिलने से वंचित और निराश होकर लौटते वक्त लामपहाड़ में संवेदना परिवार ने पहुंच कर यहां के बच्चों को होली की सामग्री, पिचकारी, मुखौटा, बाजा, मिठाई एवं दैनिक उपयोग के जरूरी सामान तथा कपड़े, चप्पल बांटे।
इस कार्य में पटवारी सुश्री आभा नामदेव, सायबर सेल प्रभारी निरीक्षक सनत सोनवानी, भोला यादव का विशेष सहयोग रहा। इसी तरह सुप्रिया, पूजा कटकवार, नीलम, संजीव खाखा, अखिलेश्वर उपाध्याय, दीपक कश्यप ने भी आर्थिक सहयोग किया। इस कार्य में संवेदना के संस्थापक श्रीजीत नायर, सुनील वर्मा, देवा बंजारे, प्रवीण, श्री पाण्डेय, नीलम लकड़ा, विनिशा क्लाक, गायत्री देवांगन का भी सहयोग रहा।
0 सरपंच की उदासीनता से हुई परेशानी
परोपकार के इस कार्य में ग्राम पंचायत डोकरमना के सरपंच आलोक मिंज की उदासीनता सामने आई। संवेदना ने 5 मार्च को यह कार्यक्रम तय किया था। जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर डोकरमना पंचायत से 5 किलोमीटर दूर पहाड़ पर रह रहे पहाड़ी कोरवाओं के बीच जाकर सेवा कार्य करना था। इसके लिए सरपंच आलोक मिंज को 2 दिन पहले ही जानकारी दे दी गई थी। बड़ी गाड़ी से मौके तक पहुंचना संभव नहीं होने के कारण पहाड़ी कोरवाओं को पंचायत के सामुदायिक भवन में बुलाने का आग्रह आलोक मिंज से किया गया था। पंचायत भवन में दोपहर 1.30 बजे पहुंचने पर सरपंच का नंबर स्वीच ऑफ मिला। एक ग्रामीण को सरपंच को बुलाने के लिए भेजा गया जो एक घंटे बाद पहुंचा और जब सरपंच ने पहाड़ी कोरवाओं को बुलाने के लिए भेजा तो ज्ञात हुआ कि वे सभी जंगल में काम के लिए चले गए हैं। तब तक शाम के 4 बज चुके थे और वापसी में लामपहाड़ के बच्चों के बीच सामग्रियां बांटी गई। सरपंच की लापरवाही और उदासीनता के कारण पहाड़ी कोरवाओं के बीच जनसेवा का कार्य होते-होते रह गया।