Monday, October 21, 2024
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KORBA:आंगनबाड़ी केंद्रों में हड़ताल शुरू,अनेक कर्मियों ने बनाई दूरी

कोरबा (खटपट न्यूज़)। महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यरत कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आज से कामबंद हड़ताल शुरू कर दी गई है जो 20 दिसंबर तक जारी रहेगी। मानदेय बढ़ाने सहित विभिन्न मांगों पर सरकार द्वारा निर्णय नहीं लेने की स्थिति में 22 दिसंबर से राजधानी में आंदोलन शुरू किया जाएगा।
भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ ने इस आंदोलन का आगाज किया है। इस संगठन से जुड़े आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने घंटाघर चौक में एकत्र होकर अपनी मांगों के लिए अपनी आवाज बुलंद की। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी कर्मी यहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि उनसे विभाग के अलावा दूसरे विभागों का भी काम लिया जाता है लेकिन मानदेय के नाम पर मात्र 6500 रुपए कार्यकर्ताओं को एवं 3250 रुपए सहायिकाओं को दिया जा रहा है। यह राशि भी हर महिने नियमित और पूरी नहीं मिलती। केन्द्र सरकार द्वारा बढ़ाए गए वेतनमान व एक वर्ष का एरियर्स भी भुगतान नहीं किया जा रहा है।

हड़ताल की वजह से जहां संबंधित आंगनबाड़ी केन्द्रों में ताला लटक गया है वहीं अधिकांश कार्यकर्ता व सहायिका इस हड़ताल से दूरी बनाए हुए हैं। इसकी वजह संगठन से संबद्धता बताया जा रहा है। बीएमएस से संबंद्ध संगठन से अलग दूसरे श्रमिक संगठनों से सम्बद्ध आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ से जुड़े कार्यकर्ता व सहायिका इस हड़ताल से वास्ता नहीं रख रहे और अपना कामकाज संचालित कर रहे हैं। एक बड़े धड़े के इस हड़ताल से अलग होने के कारण कामकाज पर ज्यादा असर पड़ने की संभावनाओं से विभाग इनकार कर रहा है। सेक्टर स्तर पर कार्यकर्ताओं के द्वारा हड़ताल पर नहीं जाने संबंधी सूचना लिखित में ली गई है।

गौरतलब है कि संगठनात्मक तौर पर एकजुटता नहीं होने के कारण पूर्व में भी हुई हड़तालों में कार्यकर्ता व सहायिका अलग-अलग धड़ों में बंटे नजर आए। विभिन्न संगठनों के एकजुट होकर की जाने वाली हड़तालों से बीएमएस से जुड़े कार्यकर्ता व सहायिका दूरी बनाते रहे हैं और जब-जब बीएमएस के बैनर तले हड़ताल हुई तो दूसरे संगठनों ने साथ नहीं दिया। यह एक बड़ी वजह है कि कार्यकर्ता और सहायिका एक साथ मिलकर अपनी आवाज बुलंद नहीं कर पा रहे हैं और उनकी मांगें वर्षों से लंबित हैं। संगठनात्मक कारण के साथ-साथ हड़ताल अवधि का मानदेय काटा जाना भी हड़ताल से दूरी बनाए रखने की दूसरी बड़ी वजह है।

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