0 जानकारी के अभाव में गरीब मरीज निजी अस्पतालों में डिलीवरी कराने पहुंच रहे, फिर हैरान-परेशान
कोरबा(खटपट न्यूज)। आयुष्मान कार्ड से नि:शुल्क इलाज के कई पैकेज को पोर्टल से हटा दिया गया है। जानकारी के अभाव में गरीब परिवार के लोग निजी अस्पतालों में डिलीवरी कराने पहुंचने के बाद इसे ब्लाक होना जानकर हैरान-परेशान हैं। अभी फिलहाल निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी का पैकेज गायब है। पहले आयुष्मान कार्ड से प्रसव का खर्च वहन हो जाने पर खासकर गरीबों को सुविधा मिल रही थी, मगर अचानक इसके बंद हो जाने से लोग परेशान हैं। हैरानी की बात यह है कि इस संबंध में अभी तक सिर्फ व्हाट्सएप पर ही मैसेज चल रहा है, सेंट्रल से कोई अधिकृत पत्र जारी नहीं हो सका है।
आयुष्मान कार्ड से अब निजी अस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी बंद है। अब लोगों को सरकारी अस्पताल का ही सहारा लेना पड़ेगा। बीपीएल परिवार के मरीजों का उपचार आयुष्मान कार्ड के माध्यम से नि:शुल्क किया जाता है। उन्हें पांच लाख तक की उपचार के सुविधा साल में मिलती है, जबकि एपीएल कार्ड धारियों को 50 हजार तक के उपचार की सुविधा दी गई है। इनमें विभिन्न बीमारियों के उपचार के अलावा प्रसव का खर्च भी सरकार उठाती है। मगर 14-15अगस्त से निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्डधारियों की सीजेरियन डिलीवरी नहीं हो रही है। पहले निजी अस्पतालों में यह सुविधा दी जाती थी मगर अब इसका पैकेज भी आयुष्मान पोर्टल से हटा दिया गया है। ज्ञात हो कि नार्मल प्रसव को पहले ही निजी अस्पताल की सूची से हटा दिया गया था। सीजेरियन डिलीवरी को निजी अस्पताल की सूची से हटा दिए जाने के कारण अब महिलाओं को सरकारी अस्पताल में ही सीजेरियन डिलीवरी कराना होगा अन्यथा उन्हें फीस अपनी जेब से देनी होगी। केन्द्र सरकार ने इसे अब सरकारी अस्पतालों के लिए ही सुरक्षित रख लिया है। इसकी सूचना भी आम लोगों को अधिकृत रूप से नहीं दी गई है। महिलाओं को प्रसव के लिए निजी अस्पताल जाने पर इसकी जानकारी हो रही है। ऐसे में उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी बनी रहती है। सरकारी अस्पतालों में समुचित व्यवस्था नहीं होने और कई कड़वे अनुभवों से महिलाओं को निजी अस्पताल जाना ही पड़ रहा है। ऐसे में उन्हें कई तरह की फीस का भुगतान करना पड़ रहा है। कई ऐसे गरीब परिवार के लोग रहे जो आयुष्मान कार्ड के सहारे प्रसव कराने के लिए निजी अस्पताल पहुंचे और मरीज को भर्ती भी कर लिया गया लेकिन आयुष्मान कार्ड स्वीकार नहीं होने से उन पर नगद रकम का बोझ बढ़ा।
बताया जा रहा है कि सरकार ने सीजेरियन प्रसव को निजी अस्पतालों की सूची से इसलिए बाहर किया है कि कई अस्पतालों से शिकायत मिलती थी कि नार्मल प्रसव को भी जटिल बताते हुए प्रसव करा दिया जाता था।
0 35 हजार खर्च उठाने की मजबूरी
सीजेरियन प्रसव के लिए निजी अस्पतालों में 35 हजार तक की फीस ली जाती है। ऐसे में इतनी महंगी फीस मध्यम व गरीब तबके के लिए दे पाना संभव नहीं है। इसलिए अब विकल्प यही है कि शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों में भी सीजेरियन प्रसव की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।