कोरबा (खटपट न्यूज)। शासन के निर्देश और प्रशासन द्वारा समय-समय पर जारी चेतावनी की अनदेखी कर रेत माफिया रात के अंधेरे में रेत का अवैध खेल जमकर खेल रहे हैं। बरसात के मौसम में नदी घाटों से रेत के उत्खनन पर प्रतिबंध लगाया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के द्वारा जारी निर्देशों के परिपालन में घाटों से रेत का उत्खनन व परिवहन जहां बंद है और प्रशासन भी यह कार्य बंद होना बता रहा है किंतु दूसरी ओर कुछ माफिया अपने रसूख के बल पर रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन कर रहे हैं। नि:संदेह खनिज विभाग के अधिकारियों से हुई सांठ-गांठ का यह नतीजा है कि नाक के नीचे से बड़े पैमाने पर रेत निकाली जा रही है और अमला खुद को अनजान बता रहा है। पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल कोरबा आदिवासी बाहुल्य जिले में खनिज संसाधनों का अवैध दोहन बड़ी बेरहमी से हो रहा है। ताजा मामला भिलाईखुर्द में सामने आया है जहां कुछ लोगों के द्वारा पोकलेन मशीन लगाकर हाइवा में रेत भरी जा रही है। ऐसा ही अवैध रेत उत्खनन का नजारा पश्चिमांचल के कपाटमुड़ा, बरमपुर और अवधपुर में भी सहज ही देखा जा सकता है। यहां शाम ढलते-ढलते पूरी रात और सुबह का उजाला फैलने तक रेत की कई ट्रिप उत्खनन और परिवहन कर ली जाती है। इससे न सिर्फ खनिज संसाधन का अवैध दोहन हो रहा है बल्कि सरकार को भी बड़े पैमाने पर राजस्व की हानि हो रही है। ये हालात तब हैं जब प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी, बिलासपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक दीपांशु काबरा ने अवैध कार्य करने वालों पर त्वरित व कठोर कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
पिछले दिनों कोरबा कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने भी रेत का अवैध खनन और परिवहन के बढ़ते मामलों पर गहरी नाराजगी व्यक्त कर इसमें संलिप्त रहने वालों के खिलाफ कड़ी और त्वरित कार्यवाही की चेतावनी प्रशासनिक अमले को दी थी। इस बैठक में खनिज विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे। इसके बावजूद रेत का अवैध कारोबार होना कहीं न कहीं शासन से लेकर प्रशासन के सख्त रवैय्ये और निर्देशों के क्रियान्वयन को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है।