Tuesday, December 24, 2024
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तबादला:24 घंटे के भीतर रवानगी का आदेश, फिर भी नहीं छूट रहा कुर्सी मोह

रायपुर/कोरबा(खटपट न्यूज़)। छत्तीसगढ़ शासन के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त सचिव जगदीश सोनकर के द्वारा 21 फरवरी को आदेश जारी कर वन विभाग के 50 अधिकारियों का तबादला किया गया। इसके दूसरे दिन 22 फरवरी को प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख के द्वारा आदेश जारी कर नवीन पदस्थापना पर उपस्थित होने हेतु भार मुक्त करने संबंधित शीर्ष अधिकारियों को निर्देशित किया गया। तबादला से प्रभावित हुए सभी वन अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर अपना पद छोड़कर नए आने वाले अधिकारी को भार सौंपना है लेकिन अनेक अधिकारियों से कुर्सी का मोह छूट नहीं रहा है। इसमें कटघोरा वन मंडल भी शामिल है। कटघोरा वन मंडल अधिकारी शमा फारूकी के द्वारा 21 फरवरी को जारी तबादला आदेश के बाद भी पद नहीं छोड़ा गया है और विश्वस्त सूत्रों से खबर है कि तबादला की सुगबुगाहट होने के साथ ही धड़ाधड़ चेक पर चेक काटे जा रहे हैं और सिलसिला जारी है।
0 जांच पर सवाल, आगे बढ़ेगी या थम जाएगी
वैसे तो अपनी पदस्थापना के कुछ महीने बाद से ही कार्यशैली को लेकर विवादों से घिरती आ रही डीएफओ शमा फारूकी पर जांच का सिलसिला कलेक्टर श्रीमती रानू साहू से उलझने के बाद शुरू हुआ। इससे पहले की गड़बड़ियों पर स्थानीय से लेकर शीर्ष स्तर तक पर्दा डाला जाता रहा। क्षेत्रीय विधायकों ने भी उन्हें तब तक तवज्जो दी जब तक कि उनकी बात अनसुनी नहीं की गई लेकिन जब बात इगो पर आ गई तो आखिरकार तबादला हो ही गया। अब तबादला के 1 दिन पहले कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के आधार पर तालाब निर्माण, फर्जी मजदूरी भुगतान आदि की जांच पड़ताल युद्ध स्तर पर शुरू हुई और शाम होते-होते तबादला आदेश भी आ गया। अब सवाल यह है कि डीएफओ के द्वारा जंगल में निर्माण कार्यों के नाम पर जो भी गड़बड़ी करी गई या कराई गई उसकी जांच का सिलसिला जारी रहेगा या थम जाएगा? क्योंकि पदस्थापना रहने के दौरान जांच प्रभावित होने के ज्यादा आसार रहते हैं लेकिन तबादला हो जाने के बाद जांच का चलना, उसके तथ्यों का उजागर होना और संबंधित लोगों पर कार्रवाई होना, यह अपने आप में रहस्य बना रहता है। वैसे भी जिस बड़े पैमाने पर बंदरबांट और गड़बड़ियां हुई हैं, उसकी अगर निष्पक्ष और नीर-क्षीर विवेचना, भौतिक सत्यापन कराया जाए तो करोड़ों-अरबों का घोटाला एवं बंदरबांट उजागर होगी। इसमें डीएफओ के खास बने चंद् रेंजर भी संलिप्त पाए जाएंगे। एक रेंजर अश्वनी चौबे ने तो मुनारा में लाखों का खेल कर डाला है और उसे 3 रेंज का मुनारा बनाने का जिम्मा सौंपा गया था जिसने कागजों में काम कर लाखों की राशि बंदरबांट कर डाली। वाच टॉवर निर्माण से लेकर गेवरा- पेंड्रा रोड रेल कॉरिडोर में हुए मुनारा निर्माण में उसने बड़ा घपला किया है। अब तो रेल कॉरिडोर का काम शुरू होने के साथ ही मुनारा घोटाला के राज दफन होते जा रहे हैं। विगत महीने कराई गई मुनारा घोटाला की जांच में भी संबंधित जांच अधिकारियों ने लीपापोती कर दी। जांच शुरू होने के बाद आनन-फानन में मुनारा का निर्माण शुरू कराया गया जो सिर्फ लीपापोती के अलावा कुछ नहीं।

00 सत्या पाल 00 (7999281136)

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