Friday, May 9, 2025
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अधेड़ वकील के कारनामे सुन महिला आयोग हैरत में, लिव इन रिलेशन के बाद डकार रहा पेंशन, होगी जांच.. जेल भी जा सकते हैं

कोरबा(खटपट न्यूज़)। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने गुरुवार को सदस्य श्रीमती शशिकांता राठौर एवं अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में जिला पंचायत के सभाकक्ष में 25 प्रकरणों की सुनवाई की। इनमें से 22 प्रकरणों का निराकरण किया गया। आयोग के समक्ष महिला प्रताड़ना से संबंधित मामलों में कुछ ऐसे भी रहे जिन्हें जानकर आयोग अध्यक्ष भी हैरत में पड़ गई। शहर के एक वरिष्ठ अधिवक्ता की आशनाई से सभाकक्ष में मौजूद हर कोई हैरत में पड़ गया। एक महिला के साथ वे लिव इन रिलेशन में रहे और उसकी मौत के बाद दोनों बच्चों को अपना तो बता रहे लेकिन महिला का पेंशन राशि खुद ही डकारते आ रहे हैं और बेटियों को कुछ भी नहीं मिला ग्रेच्युटी राशि के अलावा। अब अधिवक्ता के खिलाफ जांच होगी और वे जेल भी जा सकतेहैं।

महिला आयोग के समक्ष पीड़ित ने मानसिक प्रताड़ना से संबंधित आवेदन किया था। आवेदिका ने शिकायत की थी कि अनावेदक (वरिष्ठ अधिवक्ता) पहली पत्नी के होते हुए आवेदिका की मां के साथ पति के रूप में रहा था। मां की मृत्यु के बाद स्वयं को पति घोषित करते हुए पेंशन की राशि अपने नाम कराकर प्रतिमाह पेंशन ले रहा है और आवेदिका की मां के घर पर भी कब्जा कर रखा है। सुनवाई में उपस्थित इस वरिष्ठ अधिवक्ता ने स्वीकार करते हुए कहा कि वह उक्त महिला के साथ लिव इन रिलेशन में था। आयोग सहित लोग हैरत में पड़ गए कि उस जमाने में भी लिव इन रिलेशन था..! अधिवक्ता ने यह भी स्वीकार किया कि वे दोनों उसकी बेटियां हैं लेकिन जिस महिला के साथ वह रिलेशन में था वह उसकी पत्नी नहीं थी। उक्त महिला ने अपने शासकीय सेवा रिकॉर्ड में पति के तौर पर उसका(अधिवक्ता का) नाम दर्ज कराया था जिसके कारण महिला की मौत के बाद उसे हर महीने पेंशन मिल रही है। यह पेंशन दोनों बेटियों की सहमति से वह ले रहा है। इस प्रकरण में सुनवाई करते हुए महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि अवैध तरीके से स्वयं को मृतक महिला का पति बताकर शासकीय पेंशन का लाभ लेना अवैधानिक है और यह शासकीय राशि के गबन एवं धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। इस पर कलेक्टर को जांच कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
0 पटवारी की आशनाई, पत्नी को भरण-पोषण देने आदेश, कार्यवाही भी होगी

प्रकरण की सुनवाई के दौरान एक आवेदिका ने भरण-पोषण न दिए जाने तथा पति के किसी दूसरी महिला से संबंध होने की शिकायत की थी। महिला ने बताया कि अनावेदक राजस्व विभाग में पटवारी के पद पर कार्यरत है। महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने अनावेदक को भरण-पोषण दिए जाने के निर्देश दिए तथा अनावेदक के विरूद्ध कार्रवाई करने के निर्देश एसडीएम को दिए।
0 निःशक्त वृद्धा से छल, 15 दिन में पूरा पैसा या जमीन वापस करने निर्देश
महिला आयोग की अध्यक्ष करतला तहसील के चिकनीपाली गांव की वृद्ध एवं असहाय महिला की जमीन संबंधी विवाद का निपटारा किया। आवेदिका के अनुसार अनावेदक ने उसके वृद्ध एवं अंधे-बहरे होने का फायदा उठाकर धोखे से बिना पूरे पैसे दिए उसकी जमीन का रजिस्ट्री करा ली थी। 78 डिसमिल जमीन मात्र 50 हजार में खरीदकर रुपये नहीं दिए। उपस्थित अनावेदक कभी नगद तो कभी चेक में रुपये देने की बात करता रहा। महिला आयोग ने सुनवाई कर 15 दिन के भीतर पैसे वापस करने या भुगतान करने में सक्षम न होने पर वृद्ध महिला के नाम पुनः रजिस्ट्री करने के निर्देश दिए।
0 एक माह में महिलाओं को नौकरी व मुआवजा दे एसईसीएल
इस दौरान आयोग के समक्ष एसईसीएल कुसमुण्डा द्वारा कोयला खदान के लिए अधिग्रहित की गई भूमि के बदले बेटियों को नौकरी एवं मुआवजा नहीं दिए जाने का प्रकरण भी आया। आयोग ने पूरी सुनवाई कर एसईसीएल कुसमुण्डा प्रबंधन को योग्यतानुसार महिलाओं को नौकरी और मुआवजा देने की प्रक्रिया एक माह के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए।
0 संलग्नीकरण या दायित्व सौंपना प्रताड़ना नहीं
एक अन्य मामले में आवेदिका ने कार्य क्षेत्र से पृथक कर कार्यालय में संलग्न करने की शिकायत महिला आयोग में दर्ज कराई थी। महिला आयोग ने इस प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए कहा कि संलग्नीकरण या किसी अन्य प्रकार का विभागीय दायित्व सौंपना कार्य स्थल पर प्रताड़ना की श्रेणी में नहीं आता। महिला आयोग के कार्य क्षेत्र से बाहर होने के कारण इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
0 महिला कर्मियों के लिए दफ्तरों में बने आंतरिक परिवाद समिति

डॉ. किरणमयी नायक ने महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए सभी कार्यालयों, जहां पर महिलाएं कार्यरत हो वहां आंतरिक परिवाद समिति का गठन करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज का आधार होती हैं। उन पर किसी भी प्रकार से उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए।
00 सत्या पाल 00 (7999281136)

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