Monday, December 23, 2024
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Homeकोरबानगर निगम में 74 वें संविधान संशोधन को सम्मान दें....

नगर निगम में 74 वें संविधान संशोधन को सम्मान दें….

कोरबा(खटपट न्यूज़)। कोरबा नगर पालिक निगम में नव नियुक्त एल्डरमेन सनन्ददास दीवान ने महापौर राजकिशोर प्रसाद को पत्र लिखकर निगम में 7 सूत्रीय सुझाव पेश किया है। श्री दीवान ने कहा है कि पंचायती राज कानून को जिस प्रकार 73 वां संविधान संशोधन के द्वारा मजबूत बनाने की कवायद की गई है, उसी तरह 74 वें संशोधन के द्वारा स्थानीय निकायों को भी अधिक अधिकार देकर मजबूत बनाने का प्रयास किया गया है। यह सब कांग्रेस के शासन काल में हुआ है लेकिन कोरबा नगर निगम की स्थिति को देखने पर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि यहां उक्त धारा का सम्मान अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है।

एल्डरमैन दीवान ने कहा है कि निगम के सभी जनप्रतिनिधि जनता द्वारा चुने जाते हैं लेकिन उनके साथ प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जाता। भारत के संविधान में जनप्रतिनिधियों को विशेष अधिकार दिया गया है पर अफसोस कि यहां सब कुछ उल्टा हो रहा है। जहां अधिकारियों के लिए बड़े-बड़े सुसज्जित चेम्बर बनाये गए हैं वहां पार्षदों तथा एल्डरमैन के बैठने तक के लिए स्थान की कमी है। किसी भी पार्षद के लिए अलग से कार्यालय उपलब्ध नहीं कराया गया है। मान लो प्रत्येक पार्षद को अलग से कमरा देना मुमकिन नहीं है तो कम से कम सभी के लिए एक हॉल देकर उन्हें अलग-अलग कुर्सी तो आसानी से दिया जा सकता है जिसमें वो बैठकर अपने वार्ड की समस्याओं के बारे में निगम के उच्चअधिकारियों को पत्र लिखकर दे सकें । उनके पत्रों को अधिकारियों के कक्ष तक पहुंचाने की व्यवस्था भी निगम की ओर से होना चाहिए ताकि उन्हें किसी समस्या के लिए अलग-अलग टेबल पर घूमना न पड़े साथ ही सभी अधिकारियों को भी हिदायत दी जाये कि किसी भी जनप्रतिनिधि की उपेक्षा न हो तथा समस्या के निराकरण में कोई विलंब भी नहीं होना चाहिए। वार्ड की जनता का भरोसा अपने पार्षद अथवा एल्डरमैन पर होता है इसलिए उनके भरोसे को कायम रखने की जवाबदेही भी संबंधित अधिकारियों की होती है। उल्लेखनीय है कि सनन्ददास दीवान ने अपने पत्र में जिन मुद्दों को उठाया है, वास्तव में कोरबा नगर निगम के लिए काफी मायने रखता है क्योंकि जब से कोरबा को निगम का दर्जा प्राप्त हुआ है और उसके पूर्व भी जब साडा का प्रशासन चल रहा था तब से यहां केवल अफसरशाही की सत्ता चल रही है। जनप्रतिनिधियों की अपेक्षित पूछ परख नहीं होती। किसी भी चेम्बर में ठेकेदार को कुर्सी दिया जाता है लेकिन जनप्रतिनिधियों को खड़े होकर काम कराना पड़ता है। सनंद दास दीवान कहते हैं कि उन्होंने इस समस्या को काफी नजदीक से देखा है इसलिए उनके सुझाव को नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए। श्री दीवान ने अपने पत्र की प्रतिलिपी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा सभी संबंधितों को भी प्रेषित किया है।

00 सत्या पाल 00 (7999281136)

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