0 पंचायतों में सरपंचों का जीना मुहाल, मुंह खोलने से लगता है डर
कोरबा (खटपट न्यूज)। राज्य के वरिष्ठ आदिवासी नेता और रामपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक ननकीराम कंवर ने प्रतिनिधि रखने का कोई प्रावधान अथवा नियम नहीं होने की जानकारी होते ही अपने प्रतिनिधियों से चर्चा कर उन्हें पदमुक्त कर दिया। श्री कंवर के द्वारा विभिन्न विभागों के लिए नियुक्त किए गए सभी प्रतिनिधियों को हटा देने के साथ ही नियमों का पालन करने की जहां एक स्वस्थ परंपरा को बल मिला है वहीं प्रतिनिधियों ने भी उनकी इस इच्छा का सम्मान किया है। दूसरी तरफ कई ऐसे भी प्रतिनिधि हैं जिन्हें अपने विधायक की बदनामी का डर नहीं और जमकर उनके नाम की ठेकेदारी चला रहे हैं।
इस बारे में पूर्व वरिष्ठ विधायक प्रतिनिधियों का भी मानना है कि प्रतिनिधि एक तरह से अपने नियोक्ता विधायक की परछाई की तरह होता है और उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों का सीधा असर उसके विधायक पर पड़ता है इसलिए प्रतिनिधि का आचरण और कार्यशैली अनुकूल होनी चाहिए न कि प्रतिकूल। इधर कुछ ऐसे भी विधायक प्रतिनिधि हैं जो अपनी ठेके की दुकानदारी जमकर चला रहे हैं। सर्वाधिक खराब स्थिति जनपदों और पंचायत क्षेत्रों में है। ग्राम पंचायतों के लिए जारी होने वाले विकास कार्यों का काम सरपंच नहीं बल्कि चुनिंदा प्रतिनिधि विधायक के नाम का फायदा उठाकर उनसे काम हासिल कर अपने ठेकेदारों के जरिए करा रहे हैं। कटघोरा विधानसभा क्षेत्र के कुछ प्रतिनिधियों ने इस तरह की कार्यशैली बना रखी है, जिसे लेकर सरपंचों में आक्रोश तो है लेकिन वे सीधे-सादे व सरल विधायक पुरुषोत्तम कंवर एवं उनके पिता पूर्व विधायक बोधराम कंवर का लिहाज करते हुए उन तक यह बात पहुंचाने से झिझक रहे हैं। क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी इसके पक्षधर नहीं हैं किन्तु वे भी अपने स्तर पर समझाकर थक चुके हैं। विधायक के नाम पर प्रतिनिधियों की ठेकेदारी पहले भी चलती रही है, लेकिन वर्तमान के हालात अपेक्षाकृत ठीक नहीं। कार्यों की गुणवत्ता तो भगवान भरोसे है जो निर्माण के कुछ महीने बाद ही परतें छोड़नी शुरू कर देती हैं। सीसी रोड हो या गली कांक्रीटिंग, नाली का निर्माण, सामुदायिक भवन/मंच का निर्माण के कार्यों को एक तरह से सरपंचों से छीना जा रहा है। ऐसे चंद प्रतिनिधियों को संज्ञान लेकर विधायकों के द्वारा हटाया जाना भी जरूरी है, वरना ये किसी नासूर से कम नहीं जो भावी राजनीति के लिए घाव बनकर रह जाएंगे।
0 पूर्व विधायक को भुगतना पड़ा खामियाजा…!
कटघोरा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक लखनलाल देवांगन भी कहीं न कहीं अपने चंद प्रतिनिधियों की कारगुजारियों का शिकार हुए हैं। उनके दो प्रतिनिधियों ने नजदीकी का इस तरह फायदा उठाया कि भ्रष्टाचार की सीमाओं को पार कर दिया। विधायक प्रतिनिधि रहते हुए इन दोनों ने न सिर्फ लाखों रुपए बटोरे बल्कि दम पर प्राप्त कार्यों के ठेके में आधी राशि को काम में खर्च किया तो आधी राशि डकार गए। गुणवत्ताहीन कार्य का मामला गूंजा भी, शिकायत भी हुई लेकिन लखनलाल की संजीदगी और दरियादिली के कारण ये दोनों प्रतिनिधि बच गए। इन प्रतिनिधियों की कारगुजारियों के कारण श्री देवांगन की छवि और साख को विधानसभा क्षेत्र खासकर ग्रामीण व उपरोक्त प्रतिनिधियों के द्वारा काम कराने वाले क्षेत्रों में अंदरूनी क्षति पहुंची और चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वर्तमान विधायकों को भी चाहिए कि वे अपने विवादित/दागी/भ्रष्ट प्रतिनिधियों को अविलंब हटाकर भूल को सुधारंे और साफ-सुथरी छवि वाले मेहनतकश कार्यकर्ता को तवज्जो दें ताकि उनके वोट बैंक प्रभावित न होने पाएं।
0 सिपाही के रूप में काम करते हैं प्रतिनिधि
विधायक के लिए अपना प्रतिनिधि रखना या न रखना उनका विशेषाधिकार है। चुनावों के मौके पर उनकी जीत में अहम भूमिका निभाने वालों को प्रतिनिधि नियुक्त कर उपकृत तो किया जाता है जो विधायक की ओर से संबंधित विभागों में उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। ननकीराम कंवर ने अपने विवेक से सभी प्रतिनिधियों को हटा दिया है जिसे कांग्रेस के विधायकों पुरुषोत्तम कंवर, मोहित राम केरकेट्टा ने उनका निजी फैसला बता कर श्री केरकेट्टा ने अपने प्रतिनिधियों के संबंध में विचार करने की बात कही है। हालांकि प्रतिनिधि नियुक्त करने की परंपरा वर्षों से चलती आ रही है। विधायक हर मौके पर हर जगह उपस्थित नहीं हो पाते जिसके कारण प्रतिनिधि उनकी उपस्थित दर्ज कराते हैं। मोहित केरकेट्टा का कहना है कि कांग्रेस के एक सिपाही के रूप में प्रतिनिधि काम करते हुए अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
00 सत्या पाल 00 (7999281136)