Friday, May 2, 2025
HomeUncategorizedबिना नक्शा सीमांकन: दर-दर भटक रहा परिवार अपनी जमीन पाने के लिए

बिना नक्शा सीमांकन: दर-दर भटक रहा परिवार अपनी जमीन पाने के लिए

0 4 डिसमिल जमीन पर घर बनाया, 4 डिसमिल नापी नहीं जा रही, दर-दर भटक रहे परिजन, पैतृक जमीन नहीं मिल रही
0 राजस्व विभाग के पास नहीं है नक्शा, फिर भी तहसीलदार-आरआई-पटवारी आकर कर जाते हैं सीमांकन

मौका स्थल

कोरबा-कटघोरा (खटपट न्यूज)। जिले में राजस्व विभाग का कामकाज हमेशा सवालों के घेरे में रहा है। बड़ी मुसीबत तब खड़ी हो जाती है जब किसी की निजी जमीन तलाशनी पड़े। वांछित नक्शा के अभाव में भी जमीनों को न जाने कैसे नाप-जोख व सीमांकन का काम राजस्व विभाग के लोग कर लेते हैं, ये हुनर तो वे ही जानें, लेकिन दस्तावेजी लापरवाही की इन्हीं वजहों के कारण कटघोरा का एक परिवार अपनी निजी पैतृक जमीन को तलाशने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहा है। कुल 8 डिसमिल जमीन में से आधे पर घर बना है तो आधी जमीन खाली है जो नि:संदेह निर्मित मकान के पीछे ही होनी चाहिए, किंतु धर्म विशेष के धार्मिक भवन और इसकी जमीन बताए जाने के कारण सारा मामला अधर में लटका हुआ है। इस मामले को जिला प्रशासन द्वारा गंभीरता से संज्ञान में लेकर निराकृत कराना चाहिए ताकि दोनों पक्षों को अपेक्षित राहत मिल सके।

दरअसल मामला कोरबा जिले के कटघोरा नगर पालिका परिषद के वार्ड क्र-3 का है। पटवारी हल्का नं. 10, रानिम कटघोरा में संजय कुमार त्रिवेदी पिता रामप्रकाश त्रिवेदी व इनके भाई, बहन के नाम सम्मिलित खाते की पुस्तैनी हक जमीन है जिसका खसरा नं. 673 रकबा 0.0320 हेक्टेयर है। इसे स्थानीय धर्म विशेष के कुछ लोगों द्वारा अपने धर्म स्थल की जमीन बताया जा रहा है वहीं संजय कुमार त्रिवेदी की धर्मपत्नी रेणु त्रिवेदी व एक अन्य महिला परिजन श्रीमती ज्याति त्रिवेदी का कहना है कि यह उनकी पैतृक जमीन है जिसका सही ढंग से सीमांकन राजस्व विभाग के द्वारा नहीं किया जा रहा है। पुस्तैनी हक स्वामित्व की भूमि का सारा दस्तावेज उनके पास है और राजस्व रिकार्ड में भी दर्ज है। इनका आरोप है कि क्षेत्र के एक नेता के द्वारा धमकाया भी जा रहा है कि शांतिपूर्वक रहें वरना जिस घर में हैं, वहां से भी निकाल दिया जाएगा। जमीन को अपनी बताया जा रहा है।

पीड़ित परिजन

पीड़ित परिवार का कहना है कि उनके वर्तमान मकान की स्थिति अत्यंत जर्जर है और दीवारों पर काफी दरारें हैं। भय है कि बारिश के मौसम में मकान ढह भी सकता है, जिसकी स्थिति को देखते हुए पीछे की जमीन जो बाड़ी का हिस्सा है, वहां घर बनवाना चाहते हैं। पीछे के जमीन का हिस्सा गढ्ढा है और गंदे एवं कचरा युक्त पानी का जमाव बरसों से हो रहा है। जमीन का सीमांकन व कब्जा के लिए कटघोरा के राजस्व अधिकारियों से लेकर जिला कलेक्टर तक कई आवेदन दिए जा चुके हैं, लेकिन निराकरण आज तक नहीं हो पाया है। वर्ष 1982 में ली गई जमीन पर वे अब तक पूरी तरह से काबिज नहीं हो पाए हैं। इनका सवाल यह भी है कि यदि पीछे की जमीन धर्म-विशेष के लोगों की है तो इतने वर्षों तक कभी याद क्यों नहीं आई? पीड़ित परिवार की जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि पूरे मामले का सही तरीके से निराकरण का पटाक्षेप किया जाए, क्योंकि किसी भी तरह के विवादों में वे भी उलझना नहीं चाहते और सिर्फ अपने हक की पैतृक जमीन को ही खोजकर उस पर काबिज होने की मंशा रखते हैं। अब देखना है कि कलेक्टर, कटघोरा एसडीएम, तहसीलदार और राजस्व अमला इस मामले का किस हद तक निराकरण कर पटाक्षेप करते हुए पीड़ित त्रिवेदी परिवार को न्याय दिला पाएंगे।
0 तहसीलदार व एसडीएम ही बता पाएंगे, हम चाहते हैं निराकरण : पार्षद
कटघोरा नगर पालिका के वार्ड क्र. 3 के पार्षद किशोर दिवाकर ने बताया कि उनके वार्ड की जमीनों का नक्शा राजस्व विभाग के पास नहीं है। त्रिवेदी परिवार का जमीन संबंधी मामला उनके भी संज्ञान में है। उनकी जानकारी के मुताबिक इनकी कुल 8 डिसमिल जमीन है जिसमें 4 डिसमिल पर घर बना है और बाकी शेष है। नि:संदेह शेष जमीन उक्त मकान के पीछे ही होनी चाहिए। पीछे की जमीन डबरी के शक्ल में है और बारहों महीना गंदा पानी भरा रहता है। पूर्व में जमीन का सीमांकन कराने के लिए उन्होंने लगभग 10 दिन की मेहनत से डबरी को खाली करवाया था। तहसीलदार पटवारी के द्वारा जमीन की नाप की गई। अब इस जमीन को वक्फ बोर्ड की भी बताया जा रहा है जिसको लेकर दुविधा बढ़ गई है। अगर वक्फ बोर्ड की जमीन है तो त्रिवेदी परिवार की जमीन कहां गई, इसका जवाब तो एसडीएम, तहसीलदार ही दे सकते हैं। नक्शा नहीं होने के कारण सही तरीके से सीमांकन नहीं हो पा रहा है और न ही जमीन सही-सही बता पा रहे हैं। हम भी चाहते हैं कि इस मामले का निराकरण हों और पीड़ित परिवार को राहत मिले ताकि अपने अत्यंत ही जर्जर घर से बाहर निकल सकें।

00 सत्या पाल 00 (7999281136)

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments