0 ईमानदारी से निष्पक्ष जांच हुई तो निपटेंगे कई प्रभावशाली और अधिकारी भी
कोरबा-कटघोरा (खटपट न्यूज़)। कटघोरा से बिलासपुर के मध्य निर्मित होने वाले नेशनल हाइवे के लिए प्रभावित गांवों की जमीन का अधिग्रहण और इसके एवज में मिलने वाले मुआवजा को बढ़ाकर हासिल करने के लिये बड़ा खेल हुआ है।
एकड़ में रही एकमुश्त जमीन को कई टुकड़ों में बांटकर मुआवजा की राशि बढ़ाने की कोशिशें हुई हैं जिससे 35 से 40 करोड़ तक सिमटने वाला मुआवजा राशि आज के बाजार भाव में बढ़कर 120 करोड़ से अधिक पहुंचने के आसार हैं। शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाने के लिए अधिकारियों से लेकर कोरबा व बिलासपुर के प्रभावशाली लोगों , व्यवसायियों ने जमकर सांठगांठ की है। अब यह मामला उछलने पर इसकी जांच की मांग उठी है। याद रहे कटघोरा क्षेत्र के ग्राम जुराली, सुतर्रा, मदनपुर, कुटैलामुड़ा, चैतमा सहित अन्य गांवों की जमीन इस फोरलेन में अधिग्रहित हो रही है। इसके लिए कंसलटेंट एजेंसी द्वारा सर्वे कर रिपोर्ट संबंधित भू-अर्जन अधिकारी एवं तहसीलदार व पटवारी को दे दी गई थी। इसके बाद बटांकन का खेल खेला गया। फोरलेन के लिए जमीन अधिग्रहण हेतु 28 सितंबर 2018 को धारा 3-ए का प्रकाशन में सीमित किसान दिख रहे हैं, जबकि जनवरी 2019 में कराए गए राजपत्र के थ्री डी के प्रकाशन में इससे ज्यादा भू-स्वामी व जमीनों के अनेक टुकड़े दिख रहे हैं। जमीन अधिग्रहण हेतु प्रकाशन के बाद उक्त इलाके की जमीन रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लग जाता है किन्तु प्रतिबंध के बाद भी अधिकारियों की सांठगांठ से रजिस्ट्री होती रही।
निजी जमीनों को कई टुकड़ों में बांट-बांटकर रजिस्ट्री का खेल खेला गया है। एकड़ में दर्ज जमीनों को टुकड़ों में बांटकर वर्गफीट के हिसाब से मुआवजा पाने के इस खेल में गहराई से जांच हुई तो कोरबा से लेकर बिलासपुर जिले के भी कुछ बड़े नामचीन लोग और राजस्व से जुड़े अधिकारी भी सामने आएंगे। कुछ बड़े अधिकारियों की भी संलिप्तता होना बताया जा रहा है, जिन्होंने भी अपने रिश्तेदारों के नाम जमीनों के कई टुकड़े रजिस्ट्री कराए हैं। इस पूरे मामले में कटघोरा ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अशरफ मेमन ने उच्च स्तरीय जांच कर तत्काल एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। यदि ईमानदारी से निष्पक्ष जांच हुई तो कई प्रभावशाली खरीदार और अधिकारी भी इस मामले में निपटेंगे।