Tuesday, December 24, 2024
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बाघा है जिला पुलिस बल की शान, अपराधों को सुलझाने ट्रैकर डॉग की अहम भूमिका…जानें खासियत

00 सत्या पाल 00
कोरबा (खटपट न्यूज़)। बुद्धिमता में शक्तिशाली माने जाने वाले इंसानों के लिए कई मौकों पर बेजुबान जानवर बहुत ज्यादा हद तक मददगार साबित होते हैं। अपराधों के घटित हो जाने पर अपराधियों को पकड़ने के लिए संसाधनों से लैस पुलिस तो है लेकिन कई मामलों में वह भी चकरा जाती है। ऐसे कठिन वक्त में यह बेजुबान बाघा काम आता है। छोटी-मोटी चोरी ही नहीं बल्कि जिले में घटित हुई अनेक अंधे कत्लों की गुत्थी को ट्रैकर डॉग बाघा ने अपने सूंघने की विशेष क्षमता से सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है। डॉग स्क्वायड के इस अहम किरदार को निःसंदेह कोरबा जिला पुलिस बल की शान कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा।

0 मिलता है कठिन प्रशिक्षण, परेड में भी शामिल होता है
बाघा के ट्रेनर सुनील कुमार गुप्ता इसकी देखभाल करते हैं। सुनील ने बताया कि इसे राज्य पुलिस की समिति द्वारा वर्ष 2016 में हैदराबाद से अन्य 19 डॉग के साथ छत्तीसगढ़ लाया गया था। उस वक्त बाघा मात्र 3 माह का था। बाघा बेल्जियम शेफर्ड प्रजाति का है। इसे 9 से 10 माह का कठिन प्रशिक्षण अन्य डॉग के साथ उनके ट्रैकर ट्रेड अनुसार भिलाई स्थित पुलिस डॉग हेड क्वार्टर सातवीं बटालियन में दिया गया। बेल्जियम शेफर्ड डॉग में सूंघने, दौड़ने-भागने की क्षमता अन्य डॉग की अपेक्षा काफी तेज होती है और दूसरों की अपेक्षा मेन्टेनेंस भी कम लगता है। कोरबा जिले में डॉग मोहन की 2015 में मौत होने उपरांत यहां ट्रैकर डॉग की आवश्यकता थी जिसके लिए पत्र लिखने पर जून 2017 में बाघा को कोरबा के लिए दिया गया। यहां हर दिन सुबह 6 बजे से 1 घंटे का प्रशिक्षण ट्रेनर सुनील कुमार व सहायक ट्रेनर सत्येन्द्र कुर्रे के द्वारा दिया जाता है। पशु चिकित्सक द्वारा हर 15 दिन में संपूर्ण परीक्षण कर रिपोर्ट दी जाती है जिसे भिलाई मुख्यालय और फिर पुलिस मुख्यालय भेजते हैं। हर हफ्ते पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की ली जाने वाली सामान्य परेड में बाघा भी शामिल होता है। एसपी, एडिशनल एसपी परेड का निरीक्षण करते हैं। बाघा के रहने वाले स्थल कैनल में आकर रक्षित निरीक्षक संजय साहू के द्वारा भी नियमित तौर पर देख-रेख, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण आदि की जानकारी ली जाती है। जिले में ट्रैकर डॉग बाघा के अलावा स्नाइफर डॉग रैम्बो भी है जो विस्फोटक खोजी है। रैम्बो की देखरेख भी आरआई के मार्गदर्शन में ट्रेेनर हुनेश्वर साहू द्वारा सहयोगी सत्येंद्र कुर्रे के साथ की जाती है।
0 संगीन और गंभीर मामलों को सुलझाया
जून 2017 में कोरबा जिला पुलिस बल में शामिल होने के बाद से अब तक बाघा ने लगभग 36 मामलों को सुलझाने में काफी अहम मदद की है। इनमें से 21 मामले अंधे कत्ल के तो शेष चोरी, नकबजनी आदि के प्रकरण हैं। पहला मामला बांगो थाना क्षेत्र में युवती के साथ बलात्कार बाद हत्या कर फेंक देने का बाघा ने सुलझाया और सीधा आरोपी के घर घुस गया। पाली थाना क्षेत्र केे ग्राम तालापार में दामाद द्वारा ससुर की हत्या, करतला थाना क्षेत्र के ग्राम चोरभट्ठी में लड़के को मारकर जमीन में गाड़ देने का मामला, उरगा थाना क्षेत्र के ग्राम अखरापाली में पत्नी को मारकर खेत में फेंक देने का मामला जैसे अनेक अंधे कत्लों की गुत्थी को बाघा ने अपने सूंघने की विशेष क्षमता से सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है।
0 महज कागज से गंध लेकर चंद घंटे में सुलझाया है ट्रिपल मर्डर

बाघा उस वक्त और ज्यादा सुर्खियों में आया जब इसी साल 2021 के अप्रैल माह के अंत में लोगों को झकझोर कर रख देने वाले ग्राम भैंसमा के ट्रिपल मर्डर की गुत्थी को सुलझाने में सबसे अहम भूमिका निभाई। अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री प्यारेलाल कंवर के पुत्र हरीश कंवर, बहू सुमित्रा व पोती याशिका 4 वर्ष की घर पर नृशंस हत्या के हाई प्रोफाइल मामले को सुलझाने की गंभीर चुनौती बाघा की प्रारंभिक मदद से पुलिस टीम ने सफल की। बाघा ने अपनी माइनर सेंट को भी महसूस कर सकने की विशेष क्षमता से महज कागजों में छोड़े गए आरोपियों के मामूली से गंध को महसूस कर इनके आने-जाने का रास्ता दिखाया और उलझी गुत्थी सुलझ गई।
0 14 बार हो चुका है सम्मानित

अपने प्रशस्ति पत्र के साथ बाघा

बाघा अपने ग्रुप का ऐसा डॉग है जिसने महज 3 साल के भीतर ही करीब 36 संगीन मामलों को सुलझाने में पुलिस की काफी मदद की है। इसे 2 बार रेंज के पुलिस महानिरीक्षक द्वारा ईनाम प्रदान किया जा चुका है। जिले में पदस्थ पुलिस अधीक्षकों के द्वारा 12 बार सम्मान मिल चुका है। यहां तक कि उरगा थाना क्षेत्र के ग्राम नवलपुर रेलवे क्रासिंग के पास हत्या के एक मामले की गुत्थी चंद घंटे के भीतर सुलझाने पर पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने 5 हजार रुपए का नगद ईनाम भी बाघा को दिया।

5000 नगद व प्रशस्ति पत्र से बाघा के ट्रेनर को पुरस्कृत करते एसपी अभिषेक मीना

इससे पहले तत्कालीन एसपी जितेन्द्र सिंह मीणा के द्वारा भी हत्या व चोरी की गुत्थी को सुलझाने के लिए प्रशंसित किया गया।

ट्रेनर सुनील को प्रशस्ति पत्र देते तत्कालीन एसपी जितेंद्र मीणा

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