कोरबा (खटपट न्यूज)। कोरोना संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन में खासकर मजदूर व गरीब वर्ग के लिए रोजी-रोटी के साधन भी बंद हैं। कोई गरीब और परिवार भूखा न सोए इसके लिए सरकार ने माह मई एवं जून माह का नि:शुल्क चावल एकमुश्त एवं अतिरिक्त चावल प्रदान करने की व्यवस्था की है। अंत्योदय एवं प्राथमिकता राशन कार्डधारियों को मई माह का चावल के साथ जून माह का चावल भी प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा अतिरिक्त चावल की पात्रता भी 2 माह के लिए सदस्य संख्या (राशन कार्ड में दर्ज) के अनुसार तय की गई है। इसके लिए बकायदा सरकार ने सूची भी जारी कर दी है लेकिन कुछ पीडीएस संचालक आपदा के इस दौर में अवसर तलाश कर हितग्राहियों के अज्ञानता व उनके अनजान होने का फायदा उठाकर कम चावल दे रहे हैं। अनेक सोसायटियों में सिर्फ मई-जून का चावल दिया जा रहा है, अतिरिक्त आबंटन प्रदाय नहीं कर रहे हैं।
इस तरह का एक मामला बालको क्षेत्र के उचित मूल्य की दुकान का सामने आया जहां कई राशन कार्डधारियों को उसके लिए जारी पूरा चावल नहीं दिया जा रहा है। प्राथमिकता श्रेणी के 4 सदस्य वाले राशन कार्ड में 70 व 10 मिलाकर 80 किलो चावल की पात्रता है और ऑनलाइन भी दर्ज है। इसके विपरित मात्र 70 किलो चावल दिया गया। इस तरह से और भी कार्डधारी हैं।
शिकायतों के बीच कोरबा ब्लाक के ही ग्राम पहंदा से भी पंचायत प्रतिनिधियों के जरिए बात आई है कि समूह संचालित सोसायटी में सिर्फ कार्ड का चावल दिया जा रहा है, अतिरिक्त चावल नहीं मिल रहा है। जबकि तिलकेजा के पीडीएस में बकायदा अतिरिक्त चावल भी दिया जा रहा है, आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है, हितग्राही समझ नहीं पा रहे हैं। बताया यह भी जा रहा है कि औसतन 10 दुकान में से 1-2 पीडीएस संचालक ही पूरा राशन दे रहे हैं और अन्य अपनी मनमानी कर रहे हैं।
बताया गया कि पहंदा के पीडीएस दुकान में तो 17 रुपये प्रतिकिलो का सरकारी शक्कर 20 रुपये में दिया जा रहा है। 17 की शक्कर चिल्हर की किल्लत बताकर 20 रुपए में देने का मामला अनेक सोसायटियों में है। शिकवा-शिकायतों से भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा और उपभोक्ता 3 रुपए के लिए दुकानदार से किसी तरह का बिगाड़ नहीं करना चाहते, जिसका फायदा कई पीडीएस संचालक उठा रहे हैं। हितग्राही भी यह सोचकर कुछ नहीं कह/कर रहे कि हासिल क्या होगा?
0 पीडीएस के कमीशन में मारी जा रही डंडी
खबर यह पक्की है कि पीडीएस संचालक भी अपने कमीशन की राशि नहीं मिलने से परेशान हैँ। खाद्यान वितरण के एवज में शासन निर्धारित राशि बतौर कमीशन इन्हें मिलता है। पिछले साल लाकडाउन में भी इन्हेंने 3 माह नि:शुल्क चावल बांटा, पर इसका कमीशन राशि अब तक लंबित है। यही हाल इस बार भी होने का है। बारदाना की राशि के लिए भी पीडीएस संचालकों को प्रबंधक,खाद्य शाखा और बैंक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं जबकि कई तकनीकी कारण बताकर चलता कर दिया जाता है। इस तरह का रवैया संचालकों को परेशान कर रहा है।