सरगुजा (खटपट न्यूज)। कोरोना के भयावह होते संक्रमण के मध्य वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे को दरकिनार कर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के द्वारा आयोजित कराई गई जनसुनवाई में निजी कंपनी को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। कंपनी के मैनेजर को ग्रामीणों ने मंच पर चढ़कर पीट दिया, हंगामा होता देख पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ा।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के द्वारा मेसर्स मॉं कुदरगढ़ी एलुमिना रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड ग्राम चिरंगा, तहसील बतौली जिला सरगुजा में प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एल्युमिना रिफाइनरी एंड 3 गुणा 10 मेगावाट कैप्टिव जनरेशन पॉवर प्लांट के पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई 12 अप्रैल सोमवार को प्रात: 11 बजे से प्राथमिक शाला चिरंगा में रखी गई थी।
कंपनी के उपस्थित अधिकारी द्वारा रिफाइनरी की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया गया जिसका बतौली ब्लॉक के कई ग्राम के ग्रामीणों ने विरोध किया। ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री स्थापना होने के बाद उनके क्षेत्र में पर्यावरण दूषित होगा जबकि स्थानीय युवाओं को मां कुदरगढ़ी एल्युमिना रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा रोजगार भी नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों के विरोध के बावजूद जनसुनवाई का आयोजन किया गया। इस दौरान भी ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला और मारपीट तक की नौबत आ गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि रिफाइनरी कंपनी की प्रशासन से सांठगांठ है। जनसुनवाई सुबह 9 बजे शुरू होकर दोपहर 12 बजे खत्म हो गई। इस दौरान चंद ग्रामीणों को ही बोलने का मौका दिया गया। कंपनी प्रबंधन ने जानबूझकर जनसुनवाई को चंद घंटों में खत्म कर दिया, ताकि ग्रामीणों को अपनी बात रखने का मौका न मिल सके। इस बात से आक्रोशित ग्रामीणों ने भरी जनसभा में मां कुदरगढ़ी एल्युमिना रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक की चप्पल एवं जूतों से पिटाई कर दी।
भड़के ग्रामीण बुरी तरह नाराज़ हुए और मौजूद अधिकारियों को दौड़ाया भी। बेहद उग्र ग्रामीणों ने इस दौरान उद्योग विभाग के एक अधिकारी को देर तक पकड़े भी रखा। हालांकि पुलिस बल ने जैसे-तैसे बीच-बचाव कर कंपनी प्रबंधक को और पिटने से बचा लिया व ग्रामीणों के बीच से अधिकारियों को बचाया। फैक्ट्री की स्थापना को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा भड़का हुआ है।
0 कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच सुनवाई
प्रदेश के दूसरे जिलों की तरह सरगुजा जिले में भी कोरोना बेकाबू हो चुका है। कलेक्टर ने जिले को कंटेनमेंट जोन घोषित कर 10 दिनों के लिए लॉकडाउन घोषित कर दिया है। बावजूद इसके प्राइवेट कंपनी के लिए प्रशासन ने कोविड-19 के खतरे को जानते हुए भी प्रभावित होने वाले कई गांव के ग्रामीणों को एकत्रित कर जनसुनवाई का आयोजन कर रखा था। यदि इस आयोजन से बतौली क्षेत्र में कोरोना विस्फोट होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? बहरहाल उम्मीद थी कि प्रशासन जन सुनवाई पर रोक लगा सकता है किंतु ऐसा हुआ नहीं