0 नाम विलोपित होने से मायूस लौट रहे कई मतदाता
0 निर्वाचन में अहम भूमिका निभाने वाले BLO को सुविधा नहीं
कोरबा(खटपट न्यूज़)। कोरबा जिले में दोपहर 3 बजे तक 53.27 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ है। निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार रामपुर विधानसभा में सर्वाधिक 57.46 प्रतिशत, पाली तानाखार विधानसभा में 56.23%, कोरबा विधानसभा में 50.46 प्रतिशत और कटघोरा विधानसभा में 49.15% मतदान दोपहर तीन बजे तक दर्ज हुआ है।
मतदान करने केंद्र में पहुंच रहे कई मतदाताओं के नाम सूची से गायब मिल रहे हैं। ऐसे मतदान करने से वंचित हो रहे मतदाताओं का कहना है कि उन्होंने 2018 के चुनाव में मतदान किया था लेकिन इस बार नाम एकाएक गायब कैसे हो गए। आलम यह है कि वह मतदान नहीं कर पा रहे हैं तो उनके साथ आए परिजन भी मतदान नहीं करने का मन बनाकर लौटे हैं। हालांकि ऐसे मामले कमतर आए हैं लेकिन थोड़ा बहुत मतदान तो प्रभावित हुआ है।
0 बीएलओ की सुध नहीं लिए कोई भी
निर्वाचन के कार्य में बूथ लेवल अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। मतदाता सूची फील्ड में जाकर तैयार करने से लेकर समय-समय पर इसके अपडेशन, संक्षिप्त और विशेष पुनरीक्षण के कार्यों के अलावा मतदान के समय उनकी भूमिका को निर्वाचन विभाग भली भांति समझता है। दूसरी तरफ आज मतदान दिवस पर मतदान केंद्रों में BLO की ड्यूटी सुबह 8 बजे से लगाई गई है और वह मतदान कार्य संपन्न कराने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन उनसे काम लेने वाले निर्वाचन विभाग के अधिकारियों से लेकर सुपरवाइजर तक को भी इस बात की चिंता नहीं रही कि वह मतदान केंद्रों में बैठे BLO के लिए नाश्ता/ भोजन की व्यवस्था विभागीय तौर पर करा सकें। शहर के मतदान केंद्रों के साथ-साथ दूरस्थ इलाकों में कार्यरत BLO सभी के साथ इस तरह की समस्या बनी हुई है। उन्हें अपने स्थल को छोड़कर जाना भी नहीं है तो ऐसे में वह आसपास के स्थल से नाश्ता- भोजन भी नहीं कर सकते। इन हालातों में युवा, अधेड़ BLO अपने-अपने केंद्र में सुबह से बिना हटे ड्यूटी निभा रहे हैं लेकिन उन्हें भूखे प्यासे रहना पड़ रहा है। एक कप चाय तक उन्हें नसीब नहीं हो सकी है। इस तरह की अव्यवस्था हर चुनाव में देखने को मिलती है लेकिन ना तो जिला प्रशासन और न ही निर्वाचन विभाग उनके लिए किसी तरह की व्यवस्था करने के निर्देश देता है। राजनीतिक दलों से वे निर्वाचन कर्मी होने के दृष्टिगत अपेक्षा नहीं रख सकते। घर भी नहीं जा सकते, तब इसकी चिंता तो निर्वाचन विभाग/सरकारी अमले को करना चाहिए।