0 जिले में 35 नए रेत घाटों का चिन्हांकन,12 रेत घाटों की पर्यावरण स्वीकृति प्रक्रियाधीन: अधिकारी
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कोरबा(खटपट न्यूज़)। कुछ दिन थमने के बाद जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अधिकारियों की नाक के नीचे से रेत की चोरी का सिलसिला शुरू हो गया है। रेत चोरों ने अपने-अपने तरीके और हथकंडे अपनाएं हैं। शहर से लगा सीतामढ़ी रेत घाट फिर चोरों के कारण गुलजार है। यहां रात 10 बजे के बाद रेत चोरों का घाट में आवागमन शुरू हो जाता है। 30 से 40 ट्रैक्टर रातों-रात पार होते हैं। कहने को तो खनिज विभाग ने माइनिंग चेक पोस्ट पर बड़ा गड्ढा खोदकर लोहे का बेरियर लगा दिया है लेकिन चोरों ने नदी तक जाने का दूसरा रास्ता अपनाया है। यहां स्थित स्कूल से थोड़ा आगे ईट भट्ठा जाने वाले मार्ग से होकर ट्रैक्टर नदी तक उतार कर वहां से रेत निकाली और परिवहन की जा रही है। सीतामढ़ी तिराहा पर बड़े अवरोधक लगाकर यह माना जा रहा है कि रेत चोरों के हौसले को पस्त कर दिया गया है लेकिन विश्वासी सूत्रों के हवाले से ज्ञात हुआ है कि महकमे के ही 2 कर्मचारियों की कुछ रेत चोरों से इस तरह सांठगांठ है कि उन्होंने सारा दारोमदार अपने ऊपर ले रखा है।
उधर मानसून शुरू होने में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया और इसके बाद फिर से नदियों से रेत खनन पर प्रतिबंध लग जाएगा। लगभग साल भर का समय बीतने को है लेकिन इस 1 साल की अवधि में रेत घाटों के संचालन हेतु नया ठेका देने की प्रक्रिया अधर में ही लटकी हुई है। लोगों को चोरी की महंगे रेत से सरकारी और निजी निर्माण कराने के लिए विवश होना पड़ा है। खनिज निरीक्षक मैदानी अमले की कमी का बहाना बनाते हैं कि दफ्तर में काम करें या मैदानी स्तर पर निरीक्षण करें। कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिस मंशा से कोरबा जिले के पूरे माइनिंग अमला को बदल कर नया अमला पदस्थ किया है, वह पूरा का पूरा अमला और अधिकारी मुख्यमंत्री की मंशा पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं, खासकर रेत और रॉयल्टी की चोरी के मामले में। सीतामढ़ी के अलावा राताखार, कटघोरा, बांकीमोगरा, करतला, पाली आदि जैसे ग्रामीण इलाकों में भी रेत का अवैध दोहन जारी है।
0 आंकड़ों में खेल रहे
दूसरी ओर आंकड़ों में खेल रहे जिला खनिज विभाग के अधिकारी प्रमोद नायक के अनुसार जिले में अवैध रेत उत्खनन, परिवहन तथा भंडारण पर नियमित रूप से कार्यवाही किया जा रहा है। साधारण रेत उत्खनन के लिए अनुसूचित क्षेत्र हेतु 19 जनवरी 2023 को नवीन नियम आने के पश्चात खनिज विभाग द्वारा जिले के 35 नए रेत घाटों को चिन्हांकित किया गया है जिसमे से 12 रेत घाटो को घोषित कर पर्यावरण स्वीकृति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अवैध रेत उत्खनन को रोकने के लिये खनिज विभाग द्वारा नाका लगाया गया है, अवैध रेत उत्खनन हेतु प्रयुक्त्त मार्गो को जगह जगह खोदकर अवरूद्ध किया गया है तथा अवैध उत्खनन वाले क्षेत्रों में जाकर प्रयुक्त वाहनों को जप्ती करके निरंतर कार्यवाही किया जा रहा है। विगत अप्रेल माह में हमारे द्वारा कुल 34 वाहनों पर MMDR एक्ट 1957 के धारा 21 के तहत अवैध परिवहन की कार्यवाही किया गया है , साथ ही जिले में रेत की कमी तथा रेत की बढ़ती हुई मंहगाई को दूर करने के लिए कुल 13 रेत भंडारण संचालित है। नवीन रेत खदानों की स्वीकृति के लिए खनिज विभाग द्वारा जल्दी ही कार्यवाही किया जा रहा है। इधर 13 रेत के भंडारण के दावों की पोल खोलते हुए रेत के तस्कर 2200 रुपये प्रति ट्रैक्टर में रेत बेच रहे हैं। जब भंडारण पर्याप्त है तो रेत महंगी किसलिए? इसकी पड़ताल तो मैदानी अमले को खुद निर्माणकर्ताओं के पास जाकर करनी चाहिए। कोरबा के पड़ोसी जिला से लगे क्षेत्र की एक रॉयल्टी पर्ची पर कई ट्रिपर रेत ढोई जा रही है और इसका भंडारण कर महंगे दाम पर रेत बेचने का सिलसिला कुछ सिंडिकेट नुमा लोग धड़ल्ले से कर रहे हैं।
0 दफ्तर में बाहरी लोगों की सक्रियता
खनिज विभाग के दफ्तर में एक ऐसा भी दौर रहा जब कुछ गिने-चुने लोगों की यहां काफी गहरे तक दखलअंदाजी होती रही। बाद में हालात बदले तो इन्हें आउट कर दिया गया। अभी ऐसे चंद लोग फिर से माइनिंग के दफ्तर में अपनी दखलअंदाजी देना शुरू कर दिए हैं। इनके द्वारा अपने लाभ के लिए विभाग की मुखबिरी का काम किया जा रहा है। यहां तक कि खुद को माइनिंग अधिकारी बताकर रेत की गाड़ियां पकड़ने की भी जहमत उठाई जा रही है। पिछले दिनों एक ऐसा ही मामला सामने आया और इसे लेकर हंगामा भी हुआ लेकिन खनिज विभाग ने ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करना मुनासिब नहीं समझा जबकि मौके पर सवाल उठाए गए थे।