0 मांगों के लिए आंगनबाड़ी कर्मियों का राजधानी में महापड़ाव
रायपुर/कोरबा(खटपट न्यूज)। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं के द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एक बार फिर आंदोलन किया जा रहा है। राजधानी रायपुर में बूढ़ा तालाब स्थित स्टेडियम परिसर कार्यकर्ता और सहायिकाओं से जहां खचाखच भरा है और प्रदेश के विभिन्न इलाकों से इनके आने का सिलसिला अभी भी जारी है तो दूसरी तरफ कोरबा जिले में इस हड़ताल का अपेक्षित असर देखने को नहीं मिल रहा है।
यहां सामान्य दिनों की तरह कार्यकर्ता और सहायिका अपने केंद्रों में काम कर रहे हैं। बैठक अटेंड कर रहे हैं और मासिक जानकारियां देने के साथ-साथ रिपोर्टिंग भी कर रहे हैं। हितग्राहियों को लाभान्वित करने के साथ-साथ टीकाकरण के काम भी हो रहे हैं। वैसे तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं- सहायिकाओं के संयुक्त मंच के द्वारा विगत दिनों हड़ताल पर जाने की सूचना कलेक्टर सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को दी जा चुकी है इसके बाद भी कार्यकर्ता और सहायिकाओं से हड़ताल पर जाने और नहीं जाने के संबंध में लिखित तौर पर सूचना मांगी जा रही है।
0 मानदेय कटेगा या बचेगा…?
कार्यकर्ता और सहायिका हड़ताल पर जाने को लेकर दुविधा में अभी भी बने हुए हैं क्योंकि कई लोग हड़ताल पर जाने के पक्ष में है तो कई इससे किनारा किए हुए हैं। जो हड़ताल में शामिल हैं उन्हें तो पता है कि हड़ताल अवधि का मानदेय कटेगा लेकिन जो इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं और कामकाज निपटा रहे हैं, उन्हें इस बात का संशय है कि उनका मानदेय बनेगा या दूसरों की तरह हड़ताल अवधि का मानकर काट लिया जाएगा क्योंकि समस्त कार्यकर्ता और सहायिकाओं के हड़ताल पर जाने की सूचना दी गई है।
0 खेमेबाजी और संबद्धता से बंटे
अलग-थलग पड़ने की एक सबसे बड़ी वजह इनका गुटों में बंटा होना तथा अलग-अलग संगठनों से संबद्धता का होना है, जो अपने-अपने अनुसार समय-समय पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन करते हैं। कटघोरा, पाली,पोड़ी-उपरोड़ा सहित अन्य क्षेत्र की कार्यकर्ताओं ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि उनकी सुपरवाइजर ने अधिकारियों का दौरा होना बताकर आंगनबाड़ी केंद्रों को नियमित खोलने के लिए कहा है। कुल मिलाकर हड़ताल गुटों में तब्दील है और कोरबा जिले में इसका मिला-जुला असर देखने को मिल रहा है। खेमेबाजी के साथ-साथ कहीं प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष दबाव तो कहीं मजबूरी भी अपने हक की लड़ाई में बाधा बनी हुई है। इसमें इनका यह तर्क भी है कि दूसरे विभागों की हड़ताल में अधिकारी- कर्मचारियों के लिए कोई बाधा या रुकावट नहीं डाली जाती तो कार्यकर्ता सहायिकाओं से हड़ताल अवधि में क्यों काम लिया जा रहा है? हालांकि विभागीय अधिकारियों ने सारा कुछ कार्यकर्ता सहायिकाओं की मर्जी पर छोड़ कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। उधर तमाम तरह की दुविधाओं के बीच राजधानी रायपुर में इकट्ठा हजारों-हजार कार्यकर्ता और सहायिका अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए संघर्षरत हैं।
0 5 दिन के बाद जिला मुख्यालय पर
शासन से की गई मांग पूरा नहीं होने पर 23 जनवरी से 5 दिन तक रायपुर राजधानी मुख्यालय में महापड़ाव जारी है। उसके बाद इसे अनिश्चितकालिन हड़ताल में तब्दील करते हुये सभी जिला मुख्यालय धरना देंगे। पूरे आंदोलन का नेतृत्व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ की सरिता पाठक, पदमावती साहू, रूक्मणी सज्जन, हेमा भारती, सुमन यादव, सौरा यादव, भुनेश्वरी तिवारी, पुष्पा राय, देवेन्द्र पटेल आदि कर रहे हैं। कोरबा से श्रीमती वीणा साहू,सुचित्रा मानिकपुरी व अन्य ने मोर्चा संभाला है।