
कोरबा,(खटपट न्यूज़)। छतीसगढ़ सरकार ने अन्य प्रदेश से आए प्रवासी मजदूरों के रहने का इन्तजाम तो क्वारन्टीन सेन्टरों में कर दिया लेकिन उनके खाने-पीने की व्यवस्था अब सिरदर्द बनती जा रही है। कोरबा जिले के भी ग्रामीण क्षेत्र में हाई स्कूल, छात्रावास को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है जिसमें अब तक हजारों प्रवासी मजदूरों को रखा गया। इन्हें भोजन-पानी से लेकर साबुन, तेल, आदि की पूरी व्यवस्था ग्राम पंचायत के जिम्मे है। ग्राम पंचायत के द्वारा 14 वे वित्त और मूलभूत मद की राशि इस हेतु व्यय करना है लेकिन प्रशासन से सहायता राशि नहीं मिलने से पंचायत प्रतिनिधियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत में मूलभूत की राशि का उपयोग कर शुरू-शुरू में तो जैसे-तैसे इन्तजाम कर लिया गया लेकिन अब राशि नहीं होने से चिंतित हैं। सरपंचों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अब दुकानदार उधारी में खाद्य समाग्री देने से इनकार कर रहे हैं। ऐसे में जाहिर है कि प्रशासन इस विपत्ति की घड़ी में फंड उपलब्ध नहीं करा पा रहा है और संबंधित जिम्मेदार अधिकारी व सेंटर प्रभारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं जिससे सरपंचों की मुसीबत बढ़ने के साथ प्रवासी मजदूरों के भोजन-पानी व जरूरी सामानों की उपलब्धता करा पाने में दिक्कत के आसार बढ़े हैं।
पंचायत जनप्रतिनिधियों का कहना है कि मूूूलभूत की राशि से खाद्य सामग्री उपलब्ध कराया जा रहा था, वह राशि भी अब शेष नहीं है । अभी प्रवासी मजदूर और अधिक संख्या में सेंटरों में आ रहे हैं, उनके लिए खाद्य सामग्री का इन्तजाम करना मुश्किल हो रहा है। बताया जा रहा है कि प्रशासन से कोविड- 19 से निपटने के लिए एक रुपया भी सरपंचों को नही मिला है। यह भी बताया गया कि जनपद सीईओ के अनुमोदन बिना 50 हजार से अधिक राशि नहीं निकाली जा सकती जबकि खर्च लाख में हो रहा है। सरपंचों की मांग है कि जिला प्रशासन कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए प्रवासी मजदूरों को देय सुविधा के लिए फंड जारी करें जिससे बेहतर तरीके से व्यवस्था किया जा सके। याद रहे कि कोविड-19 के लिए शासन ने जिलों को अतिरिक्त राशि जारी की है और फिर कोरबा जिले में खनिज न्याज की भी अपार राशि उपलब्ध है, इसके बाद भी उधारी में व्यवस्था बनाने के लिए सरपंचों की जद्दोजहद कई सवालों को जन्म देती है।

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