Sunday, December 22, 2024
https://khatpatnews.com/wp-content/uploads/2024/11/digital-ad-4-november-copy.jpg
https://khatpatnews.com/wp-content/uploads/2024/10/kpt-advt-November-24-scaled.jpg
https://khatpatnews.com/wp-content/uploads/2024/11/20x10.pdf
Homeकोरबाजिले की चारों विधानसभा सीटों में 8488 मतदाताओं ने नोटा में दबाया...

जिले की चारों विधानसभा सीटों में 8488 मतदाताओं ने नोटा में दबाया बटन


0 पाली-तानाखार में सबसे ज्यादा 3557 मतदाताओं ने चुनाव नोटा विकल्प


कोरबा (खटपट न्यूज)। जिले की चारों विधानसभा सीटों पर हार-जीत का फैसला हो चुका है। चुनावी रण में 51 प्रत्याशी मैदान में थे। 8 हजार 488 मतदाता ऐसे थे जिन्हें ये प्रत्याशी पसंद नहीं आए। उन्होंने प्रत्याशियों को वोट करने के बजाए नोटा मेें बटन दबाया है। चारों विधानसभा में नोटा को खूब वोट मिले हैं। कई निर्दलीय प्रत्याशी वोटों के मामले में नोटा से भी हार गए हैं। उन्हें उतने वोट भी नहीं मिले हैं जितने नोटा को मिले हैं।
मतदाताओं को अपना नेता चुनने का मताधिकार दिया गया है। मतदाता अपने पसंद के प्रत्याशी को वोट कर सकते हैं, लेकिन अगर चुनाव में चुनाव में उतरे प्रत्याशियों में से मतदाता को कोई भी पसंद नहीं है तो भी वे वोट कर सकते हैं। इसके लिए निर्वाचन आयोग ने नोटा का विकल्प भी दिया है। ईवीएम मशीनों में नोटा का विकल्प मौजूद रहा। चारों विधानसभा की बात की जाए तो सबसे ज्यादा पाली-तानाखार में 3 हजार 557 मतदाताओं ने यह विकल्प चुना है। रामपुर में 2 हजार 497 मतदाताओं ने नोटा विकल्प का उपयोग किया। कटघोरा में 1 हजार 462 मतदाताओं ने इनमें से कोई पसंद नहीं का विकल्प चुनते हुए नोटा को वोट दिया। नोटा का सबसे कम वोट हाईप्रोफाइल कोरबा सीट पर वोट मिले हैं। यहां 972 मतदाता ही ऐसे थे जिन्होंने नोटा का विकल्प चुना। नोटा के विकल्प के कारण ईवीएम मशीनों में एक अतिरिक्त स्लॉट रखा गया था। कोरबा विधानसभा सीट में 19 प्रत्याशी मैदान में थे। 20वां विकल्प नोटा का था। वहीं कटघोरा में 14 और पालीतानाखार, रामपुर में 9-9 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। खास बात है कि नोटा को इस बार भी काफी वोट मिले हैं। वोटों की संख्या तो निर्दलियों से कहीं ज्यादा थी। जहां कई निर्दलीय तिहाई अंक में रहे। वहीं नोटा का आंकड़ा चार अंकों तक पहुंचा। हालांकि हार-जीत का आंकड़ा नोटा से अधिक प्रभावित नहीं हुआ, लेकिन पाली-तानाखार में जरूर नोटा का फैक्टर रहा। यहां हार-जीत का आंकड़ा काफी कम था और नोटा का वोट काफी ज्यादा था। अगर नोटा के वोट प्रत्याशियों को पड़ते को चुनावी नतीजा भी बदल सकता था।
0 कोरबा सीट पर भाजपा ने लगाई सेंध
पिछले तीन विधानसभा चुनाव की बात करें तो जिले की चारों सीटों में भाजपा एक सीट ही जीतने में कामयाब रही थी। इस बार सियासी समीकरण बदला है। भाजपा की तरह इस बार कांग्रेस को एक सीट से संतोष करना पड़ा है, जबकि भाजपा ने अपने एक सीट में इजाफा करते हुए आंकड़ा दो तक पहुंचा लिया है। कोरबा विधानसभा सीट पर पहली बार 2008 में पहला चुनाव हुआ था। तब से लेकर 2018 के चुनाव तक जिले में भाजपा 1-3 के आंकड़े से ही संतोष कर रही थी। इस बार जहां यह सियासी समीकरण बदला है। वहीं कांग्रेस के अभेद किले कोरबा सीट पर भी सेंध लगाने में भाजपा कामयाब रही है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments