0 एसईसीएल सहित पब्लिक सेक्टर के 374 अधिकारी-कर्मचारी मतदान से वंचित
0 चुनाव में ड्यूटी लगी नहीं और डाक मतपत्र जारी होने से इधर के रहे न उधर के
कोरबा(खटपट न्यूज़)। 17 नवंबर को विधानसभा निर्वाचन के मतदान में सैकड़ो ऐसे भी कर्मचारी रहे जिन्हें चुनाव की ड्यूटी में तो लगाया गया लेकिन और वक्त पर उन्हें मतदान करने का मौका नहीं मिला। वह पोस्टल बैलेट से भी वोट नहीं डाल पाए। इसके अलावा बूथ लेवल ऑफिसर को भी डाक मत की सुविधा प्रदान नहीं की गई थी जिससे जिनका नाम उनके कार्य स्थल से पृथक मतदान केंद्र में दर्ज है, वह वहां जाकर वोट नहीं कर सके। नगर निगम के भी कर्मचारी की शिकायत सामने आई है जिनकी ड्यूटी लगाई तो गई थी लेकिन बाद में उन्हें चुनाव कार्य से अलग रखा गया किंतु पोस्टल बैलेट जारी नहीं किए गए। ऐसे सभी विभागों/उपक्रमों के कर्मचारियों की संख्या 500 से अधिक बताई जा रही है। एक बड़ा वर्ग मतदान करने से वंचित रह गया है जिससे अब यह असमंजस में हैं कि उन्हें अपने मत का उपयोग करने की सुविधा निर्वाचन आयोग द्वारा दी जाएगी या नहीं। इसी प्रकार वह कर्मचारी जो रिजर्व में रखे गए थे किन्तु उन्हें चुनाव ड्यूटी में नहीं लिया गया लेकिन क्या चुनाव ड्यूटी का उन्हें मानदेय मिलेगा या नहीं? इस पर भी सस्पेंस बना हुआ है। निर्वाचन में भूमिका निभाने वाले कई बीएलओ भी अपने सालाना निर्वाचन मानदेय को लेकर को लेकर दुविधा में हैं क्योंकि इनके मानदेय पिछले कई साल से जमा नहीं किए गए हैं।
एसईसीएल सहित अन्य पब्लिक सेक्टर के भी 374 अधिकारी- कर्मचारी मतदान से वंचित हो गए हैं। वे मतदान करने बूथ पहुंचे तो डाक मत पत्र जारी होने की बातें सामने आई जिससे अधिकारी कर्मचारी चौंक गए। उन्होंने जानकारी ली तो पता चला कि जिला निर्वाचन कार्यालय ने एसईसीएल सहित तमाम पब्लिक सेक्टरों से माइक्रो आब्जर्वर के लिए नाम मांगे थे। एसईसीएल, एनटीपीसी व अन्य पब्लिक सेक्टरों ने 474 अधिकारी कर्मचारियों का नाम भेज दिया था। उन्हें निर्वाचन विभाग के नियमानुसार प्रशिक्षण भी दिया गया। इस दौरान प्रशिक्षण में शामिल अधिकारी कर्मचारी से डाक मत पत्र के लिए आवेदन भी लिए गए, लेकिन ड्यूटी सिर्फ 100 लोगों की लगाई गई। एसईसीएल कोरबा के जीएम ऑफिस में पदस्थ लिपिक भुवनेश्वर कश्यप का कहना है कि निर्वाचन संबंधी तमाम सूचनाएं विभाग के माध्यम से मिलती रही, लेकिन ड्यूटी नहीं लगाए जाने की सूचना दफ्तर से नहीं दी गई, जिससे सभी अधिकारी कर्मचारी निश्चित थे। उन्हें लग रहा था कि अब बूथों में जाकर ही मतदान करेंगे। इसके विपरीत बूथ में पहुंचने पर डाक मत पत्र जारी होने की बातें सामने आई। उनका कहना है कि कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी नहीं लगाए जाने संबंधी सूचना अखबार में प्रकाशित करने की बात कही जा रही है। जिससे कर्मचारियों के सामने ऊहापोह की स्थिति निर्मित हुई। नियमानुसार कार्यालय के माध्यम से ही ड्यूटी निरस्त होने की जानकारी दी जानी थी।