कोरबा(खटपट न्यूज़)। सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिन्हा ने जारी एक बयान में बताया कि कलेक्टर जनदर्शन में एक आवेदन देकर मांग की है कि कोरबा ऊर्जाधानी जो कालातीत में कोरबा जनजाति के लिए आरक्षित था आज ऊर्जाधानी, एशिया महादेश का सबसे बड़ा कोयला खदान क्षेत्र घोषित है यहां की भूमि कोयला कंपनी कोरबा की रानी तथा वन भूमि बड़े झाड़ के रूप में आजादी पूर्व था आजादी के बाद से कोरबा शहर की भूमि गलत तरीके से शासकीय भूमि को निजी भूमि में बदल दिया गया है उदाहरण के तौर पर कोयला खान होने के कारण खदानें बंद होने की स्थिति में अलग-अलग तरीके से भूमि हस्तांतरित किया गया है जैसे कोयला कंपनी की भूमि को कहीं किसान से, राजस्व विभाग, कहीं नजूल कहीं, नगर निगम आदि से भूमि रजिस्ट्री कराई गई है सत प्रतिशत रानी की जमीन को भी अवैध तरीके से अपने-अपने नाम से दर्ज करा कर हिंदुस्तान की सबसे बड़ी भूमि घोटाला कोरबा में किया गया है।
सिन्हा ने आगे बताया कि जनदर्शन में कलेक्टर के नाम लिखे आवेदन में आजादी पूर्व रिकॉर्ड की जांच कर वर्तमान शासकीय भूमि अवैध रूप से कैसे रजिस्ट्री की गई तथा हस्तानांतर कैसे की गई इसकी जांच आवश्यक है क्योंकि कोरबा की रानी अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने के कारण उनकी भूमि की खरीद बिक्री नहीं हो सकती फिर भी भू माफियाओं ने खरीद बिक्री करके अवैध कब्जा बनाए हुए हैं।
आज भी हजारों एकड़ भूमि कोरबा में बड़े झाड़ यानी वन विभाग की है बिना अनापत्ति प्रमाण के अधिकतर एक दूसरे के नाम से रजिस्ट्री स्थानांतरित होते रहा है साथ ही साथ हसदेव नदी के किनारे सब्जी की खेती करने वाले को हटाकर भू माफियाओं ने हसदेव नदी की भूमि कब्जा कर लिया है जो जांच का विषय है।
सिन्हा ने आगे बताया कि प्रशासन कोरबा के सभी भूमि की सूक्ष्म जांच कर भू माफिया या घोटालेबाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में शासकीय भूमि की हेरा फेरी रोका जा सके।
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