• Contact
  • Home
khatpatnews
  • Home
  • छत्तीसगढ़
    • रायपुर
    • बिलासपुर
    • कोरबा
    • जांजगीर-चांपा
    • दुर्ग
    • रायगढ़
    • राजनांदगांव
    • धमतरी
  • बड़ी खबर
  • कोरोना
  • खेलकूद
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • मनोरंजन
No Result
View All Result
  • Home
  • छत्तीसगढ़
    • रायपुर
    • बिलासपुर
    • कोरबा
    • जांजगीर-चांपा
    • दुर्ग
    • रायगढ़
    • राजनांदगांव
    • धमतरी
  • बड़ी खबर
  • कोरोना
  • खेलकूद
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • मनोरंजन
No Result
View All Result
khatpat News
No Result
View All Result
Home रायपुर

गांधीजी पूरी दुनिया के लिए एक बराबर प्रासंगिक हैं-भूपेश बघेल

August 10, 2020
in रायपुर
Share on FacebookShare on Twitter
Spread the love

लेखक – भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़

‘वैश्विक परिदृश्य और गांधी जी’ इस विषय की प्रासंगिकता तब और बढ़ जाती है जब हम विश्व शांति पर चर्चा करें और संदर्भ गांधी जी हों। क्योंकि गांधीजी की प्रासंगिकता वैश्विक है। उसे किसी एक देश तक सीमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि गांधीजी दुःखी और पीड़ित मानवता का उद्धार चाहते थे और मानवता को सीमाओं में बांधा नहीं जा सकता।

मानवता एक वैश्विक संकल्पना है। यह राष्ट्र की सीमाओं से परे जाकर पूरी दुनिया को एकता के सूत्र में बांधती है, इसलिए जब आज हम गांधीजी की प्रासंगिकता पर बात कर रहे हैं तो इसका अर्थ है कि गांधीजी पूरी दुनिया के लिए एक बराबर प्रासंगिक हैं। उनका उद्देश्य सिर्फ भारत की स्वाधीनता तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके कहीं आगे गांधी सम्पूर्ण मानवता की भलाई के उद्देश्य से संचालित थे।

सभ्यता की अच्छाइयां समय से परे होती हैं। समाज के उच्च आदर्श किसी काल से बंधे नहीं होते हैं।अगर कोई परंपरा के सद्गुणों को, उसके उदात्त मूल्यों को, सत्य के आदर्श को लेकर आगे बढ़ता है तो वो कालजयी हो जाता है। गांधी इन अर्थों में किसी समय से भी परे हैं, इसलिए उनकी प्रासंगिकता समय से परे है। गांधीजी के पौत्र राजमोहन गांधी जी एक बड़ी महत्वपूर्ण बात कहते हैं। वो पूछते हैं कि आपने दूसरे किसी देश में कोई ऐसा व्यक्ति देखा है, जो 70 साल पहले मार दिया गया हो लेकिन आम बातचीत में याद किया जाता हो?

गांधी जी को याद करते हुए आज हम असहयोग आंदोलन को भी याद कर रहे हैं । इस आंदोलन को सौ बरस हो रहे हैं और यह एक ऐसा आन्दोलन था, जिसने हिंदुस्तान के आवाम के दिलों में मुक्ति की आकांक्षा की मशाल जलायी। यह अहिंसा की मशाल थी और आज भी दुनिया के सामने यह एक मिसाल है।

यूं ही नहीं महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने बापू के लिए कहा था कि आने वाली पीढ़ियों को यकीन नहीं होगा कि ऐसा भी कोई व्यक्ति इस धरती पर आया था। वास्तव में गांधी ऐसे व्यक्तित्व हैं जो भारत में सुदूर गांवों से लेकर दिल्ली तक और दुनिया के तमाम समाजों में एक-समान रूप से चर्चित रहते हैं। भले ही कोई उनकी आलोचना करे, लेकिन यह तभी होता है जब कोई व्यक्ति इतना प्रासंगिक हो।

आज जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी कि चपेट में है, जब दुनिया के अनेक देश युद्ध के उन्माद में डूबे हैं, जब गरीबी, बेरोजगारी, भयानक मुनाफाखोरी से लेकर समाजों में हिंसा की प्रवृत्ति तक तमाम अमानवीय चुनौतियां पूरी दुनिया के सामने अपने सबसे विकराल रूप में मौजूद हों, तब यही सवाल उठता है कि गांधी होते तो क्या सोचते, क्या कहते, क्या करते?

शायद गांधी इलाज में असमानता के सवाल उठा रहे होते, शायद गांधी दुनिया के किसी कोने में परमाणु हथियारों के खिलाफ अनशन कर रहे होते, शायद गांधी हांगकांग में होते या अमेरिका में होते, शायद गांधी संयुक्त राष्ट्र की किसी विशेष सभा को संबोधित करते हुए दुनिया को अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ा रहे होते, या शायद गांधी दुनिया को धर्म के नाम पर झगड़ों से मुक्ति का रास्ता बता रहे होते, या शायद गांधी हिंदुस्तान में मॉब लिंचिंग की घटनाओं से आहत हो कर उपवास पर होते!

हमारे यहां गांधीजी की हत्यारी सोच आज तक उनके पुतले बनाकर उन पर गोली चलाती है। आए दिन गांधीजी की प्रतिमाओं को तोड़कर लोग उनके विरुद्ध अपनी घृणा का इजहार करते हैं। लेकिन हमें आश्चर्य तब होता है जब सुदूर घाना में गांधीजी की प्रतिमा तोड़ी जाती है या अमेरिका जैसे समाज में कुछ मुट्ठी भर लोग गांधीजी का विरोध करते हैं। इसकी वजह यह है कि गांधीजी ने अहिंसक आंदोलन के जिन तौर-तरीकों का अविष्कार किया उसका प्रभाव बहुत व्यापक है।

अफ्रीका में नेल्सन मंडेला स्वयं को गांधीजी का शिष्य मानते थे, तो वहीं अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर स्वयं गांधीजी की परंपरा के वारिस थे। दोनों ही नेताओं ने अपने समाजों को गहराई से प्रभावित किया। गांधी विश्व शांति का सपना देखते थे। वो एक अहिंसक समाज की रचना करना चाहते थे। एक हिंसामुक्त समाज का निर्माण गांधीजी का उद्देश्य था, इसलिए गांधीजी युद्धों और परमाणु बमों के विरुद्ध थे।

आज जब हमारे चारों ओर पहले से कहीं ज्यादा परमाणु बम, घातक मिसाइलें और राष्ट्रों के बीच आपसी घृणा मौजूद है, तब गांधीजी पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं, क्योंकि आग को पानी से ही बुझाया जा सकता है। जब आपके चारों तरफ ज्यादा आग लगी हो तो ज्यादा पानी की जरूरत होगी। आज जब विश्व शांति पर ज्यादा खतरा मंडरा रहा है, तब हमें गांधी के रास्ते की पहले से अधिक जरूरत है।

एक बार एक अमेरिकी पत्रकार ने गांधीजी से पूछा था कि आप अहिंसक तरीके से परमाणु बम का सामना कैसे करेंगे? गांधीजी का जवाब था- मैं छुपूंगा नहीं। मैं किसी शेल्टर का सहारा नहीं लूंगा। मैं बाहर खुले में निकल आऊंगा और पायलट को देखने दूंगा कि मेरे मन में उसके प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। मैं जानता हूं कि इतनी दूरी से वो हमारे चेहरे नहीं देख पाएगा, लेकिन हमारे दिलों की लालसा कि वो हमें नुकसान पहुंचाने नहीं आया है, उस तक पहुंचेगी और उसकी आंखें खुल जाएंगी।

हमें लगता है कि उस समय की तुलना में बेहद खतरनाक हथियारों से घिरी आज की दुनिया में गांधीजी का यह अहिंसक साहस बहुत प्रासंगिक है। गांधीजी न सिर्फ परमाणु बम जैसे घातक हथियारों की आलोचना करते थे, बल्कि उनके खिलाफ खड़े हो जाने का साहस भी प्रदान करते हैं। कैसे हिंसक से हिंसक शस्त्र का सामना अहिंसा की शक्ति से किया जा सकता है, यह गांधी हमें सिखाते हैं।

गांधीजी की अहिंसा सत्य के बिना पूरी नहीं होती। गांधीजी सत्य का पक्ष लेते हैं, भले ही उसमें कितना ही जोखिम क्यों न हो। आज गांधीजी जीवित होते तो दुनिया के उन देशों के पक्ष में खड़े होते जिन पर अत्याचार हुआ है। जिनकी राष्ट्रीयताओं को कुचला गया है। वो उनके हित की बात करते। अंतरराष्ट्रीय मसलों पर गांधीजी की बारीक नजर रहती थी। भले ही वो अपने आस-पड़ोस की ज्यादा चिंता करते हों। फिलिस्तीन से लेकर जर्मनी तक इस बात के ढेरों उदाहरण मिल जाएंगे।

कई लोग गांधीजी के मार्ग का गलत अर्थ लगा लेते हैं। वो निष्क्रियता की शांति नहीं है। वो सत्य की रक्षा करते हुए अहिंसक प्रतिरोध का रास्ता है। गांधीजी ने कभी भी निष्क्रियता की पैरवी नहीं की। उन्होंने हमेशा अलग-अलग उदाहरण देकर समझाया कि अगर उन्हें हिंसा और कायरता में किसी एक को चुनना हो तो वो हिंसा को चुन लेंगे, यानी गांधीजी के मार्ग पर चलते हुए कायरता को हरगिज नहीं चुना जा सकता है। यह अलग बात है कि सत्य का पक्ष लेकर अहिंसक तौर-तरीकों से अडिग खड़ा रहना ही गांधीजी का सच्चा रास्ता है।

आज हमारे देश में राष्ट्रवाद को लेकर बहुत चर्चा है। एक खास पार्टी के लोग जिनके पुरखों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया था, आज सबसे बड़े राष्ट्रवादी बने घूम रहे हैं। अब जिन्होने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया वो भला किस परिभाषा से राष्ट्रवादी कहे जा सकते हैं? कहा जा सकता है कि ऐसा करिश्मा उन्होंने राष्ट्रवाद की प्रचलित परिभाषा को बिगाड़ कर किया है। एक सच के ऊपर एक झूठ का तानाबाना बुना गया है।

जिन स्वाधीनता सेनानियों ने देश पर अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया वो आज खलनायक बनाये जा रहे हैं। जिन लोगों ने स्वाधीनता सेनानियों की मुखबिरी की, उनकी हत्या तक की, उनको नायक बनाकर एक खास पार्टी के लोग पूज रहे हैं। यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि इस देश में वो ही लोग सबसे बड़े राष्ट्रवादी और राष्ट्रभक्त हैं, जो आजादी की लड़ाई के महानायकों का सही अर्थों में सम्मान करते हैं।

गांधीजी का राष्ट्रवाद गहन मानवतावाद से निकला है। जहां एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र का शत्रु नहीं है। वो उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के विरुद्ध है, लेकिन अंग्रेजों की नस्ल के विरुद्ध नहीं है। इसलिए गांधीजी के नेतृत्व में मिली स्वतंत्रता के समय किसी अंग्रेज पर कोई हमला नहीं हुआ। हमने अपने विरोधियों को हाथ हिलाकर विदा किया। दुनिया में संघर्ष के बीच प्रेम को बचाने की भला इससे बेहतर कोई और मिसाल हो सकती है?

हमारा राष्ट्रवाद किसी अन्य देश को अपने अधीन बनाने वाला राष्ट्रवाद नहीं है। हमारा राष्ट्रवाद सभी भारतीयों की आपसी एकता और अखंडता में विश्वास करने वाला राष्ट्रवाद है। हमारा राष्ट्रवाद इस देश के गरीब-गुरबा की सेवा करने का राष्ट्रवाद है।

गांधीजी की प्रासंगिकता पर चर्चा करने से अधिक महत्वपूर्ण है उनके बताये रास्ते पर चलने का प्रयास करना। गांधीजी ग्राम स्वराज की अवधारणा में विश्वास करते थे। दरअसल उनका यह विश्वास था कि भारत गांवों का देश है और इसलिए गांवों का उत्थान ही सही अर्थों में देश का उत्थान है। हम लोगों ने पिछले कुछ समय से अपने प्रदेश में गांधीजी की इस दृष्टि को साकार करने का छोटा सा प्रयास किया है।

हमारी ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना’ ग्रामीण जीवन को सुगम बनाने की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण योजना है। जब तक ग्रामीण अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से संसाधनों का विकास नहीं किया जाता तब तक गांवों का उत्थान असंभव है। छत्तीसगढ़ एक ग्रामीण और आदिवासी बहुल प्रदेश है। पिछली सरकारों ने उस पर जबरदस्ती विकास के एक ऐसे मॉडल को लादने का प्रयास किया जो इस प्रदेश की जनता के हित में नहीं था।

हमारी सरकार ने इस प्रदेश की आम जनता को, शोषित, पिछड़े और वंचित लोगों को, गांवों को ध्यान में रख कर विकास के मॉडल को अपनाने का प्रयास किया है। छत्तीसगढ़ के विकास का यह इस देश का ऐसा मॉडल है जिसकी प्रेरणा के स्रोत बापू हैं। अगर कहा जाए तो गांधी यहां कितने प्रासंगिक सिद्ध होते हैं.. उनका सर्वोदय और अन्त्योदय का स्वप्न यही है कि सबका उत्थान हो और अंतिम व्यक्ति का भी उत्थान हो। विकास का कोई भी मॉडल अगर इस उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है तो वो एक जबरदस्ती थोपा हुआ विकास है।

हमारे देश में धर्म के नाम पर हिंसा में पिछले कुछ सालों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। एक खास विचारधारा हमारे देश के लोगों को आपस में लड़ाकर सत्ता पर काबिज रहना चाहती है। इस लड़ाई में उसने गाय को एक बहुत विवादास्पद मुद्दा बना दिया है, जिसके नाम पर कई अल्पसंख्यकों की हत्याएं तक कर दी गयीं। गाय के नाम पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिशों के बीच फिर गांधी हमारे लिए अत्यंत प्रासंगिक हो जाते हैं।

गांधीजी कहते थे कि उनके लिए गोरक्षा का अर्थ गाय की रक्षा से कहीं अधिक है। दरअसल पिछली सरकारों की उपेक्षा ने गाय और गोवंश को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एकदम अप्रासंगिक बना दिया था। इसलिए जो लोग गाय पालते भी थे, उनके लिए उनके बछड़े और बूढ़ी गाय का कोई आर्थिक महत्त्व नहीं रह जाता था। हमारी सरकार ने इसी 20 जुलाई को हरेली जैसे कृषि त्यौहार के दिन गोधन न्याय योजना का शुभारम्भ किया है।

गोधन न्याय योजना को अगर गांधीजी को एक पावन श्रद्धांजलि कहें तो गलत नहीं होगा। इस योजना ने गाय और गोवंश को फिर से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इतना उत्पादक स्थान दिया है, जिससे कृषक गाय को न सिर्फ पालने के लिए उत्साहित होंगे, बल्कि वो उनकी बेहतर देखभाल करने के लिए भी प्रेरित होंगे। कोरोना के संकटपूर्ण दौर में गोधन न्याय योजना के जरिए हमने इसी हफ्ते करीब 47 हजार गोबर विक्रेताओं को 1.65 करोड़ रुपये का पहला भुगतान किया है। इस योजना से गौपालकों को पूरे साल रोजगार मिलेगा।

गांधीजी मानते थे कि गाय की हत्या रोकना सिर्फ हिंदुओं की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हिन्दू न सिर्फ मुसलमानों को बल्कि सभी लोगों को अपनी इस सोच में अहिंसक तरीकों से शामिल करेंगे। आप छत्तीसगढ़ में यह देख सकते हैं कि गाय और गोवंश अब हिन्दू-मुस्लिम सभी के लिए एक अत्यंत उपयोगी पशु बन गया है। गांधी कहते हैं कि इस काम में कोई किसी के साथ हिंसा की ताकत से मजबूर नहीं करेगा। यह काम सिर्फ अहिंसा के रास्ते ही किया जा सकता है। हम इसी रास्ते पर हैं और आज देश भर में विकास के इस मॉडल की चर्चा हो रही है।

हमारी कोशिश है कि हमारे विकास का मॉडल वही हो जिसकी कल्पना गांधी जी ने की थी। हमारी कोशिश है कि हम उस मॉडल को आज की परिस्थितियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपनाएं।

मार दिए जाने के लगभग आठ दशकों बाद भी बापू जिंदा हैं हमारी चेतना में, हमारे गांवों में, हमारी गलियों में। बापू जिंदा हैं अपने विचारों के साथ, वो जिंदा हैं गांधी मार्ग पर, जो न सिर्फ जीने का रास्ता है, बल्कि हम जैसी सरकारों के लिए न्यायपूर्ण शासन का आदर्श है। गांधी जिंदा हैं दुनिया को प्रेम, सच्चाई, सर्वधर्म समभाव, सहिष्णुता और शांति का पाठ पढ़ाने के लिए। वो जिंदा हैं हथियारों की अंधी होड़ से मुक्त दुनिया, खुशहाल, निरोगी और उत्पादक दुनिया का रास्ता बताने के लिए।

मेरी शुभकामना है कि आज गांधी जी पर सार्थक चर्चा होगी। गांधीवाद के मनीषियों से आज यही विनम्र अपेक्षा है कि वो गांधी को नई वैश्विक चुनौतियों के आईने में दुनिया के सामने रखें। इससे दुनिया बेहतर होगी।

सौजन्य – नवजीवन

FollowWHATS APP GROUP
Previous Post

मौलाना का घिनौना चेहरा आया सामने- मासूम से दुष्कर्म- पुलिस ने धर दबोचा

Next Post

BREAKING : राहुल-प्रियंका से मिले सचिन पायलट

Related Posts

छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नव संवत्सर, चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा की दी शुभकामनाएं

by Khatpat News
March 21, 2023
छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री से शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती ने की सौजन्य मुलाकात

by Khatpat News
March 21, 2023
छत्तीसगढ़

CG:नशा से बचाने राज्य में वृहद जन आंदोलन की पहल

by Khatpat News
March 19, 2023
छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री झेरिया-गड़रिया समाज के वार्षिक अधिवेशन में हुए शामिल

by Khatpat News
March 19, 2023
छत्तीसगढ़

CG BIG BREAK:न्यायाधीश को बर्खास्त किया शासन ने

by Khatpat News
March 18, 2023
Next Post

BREAKING : राहुल-प्रियंका से मिले सचिन पायलट

डीपीआर नम्बर-संवाद 12338/ 20
डीपीआर नम्बर-संवाद 12338/ 20
डीपीआर नम्बर-संवाद 12276/20

डीपीआर नम्बर-संवाद 12276/20

Premium Content

छत्तीसगढ़ के सभी नगरीय निकायों में कृष्ण जन्माष्टमी को ‘कृष्ण कुंज’ का लोकार्पण

August 9, 2022
कमर्शियल माइनिंग देश हित के खिलाफ, सरकार पूरी तरह खारिज करे : दीपेश

कमर्शियल माइनिंग देश हित के खिलाफ, सरकार पूरी तरह खारिज करे : दीपेश

July 5, 2020

अल्कोहल का सेवन लिवर के लिये सबसे ज्यादा नुकसानदायक : डॉ.पोद्दार

October 23, 2021

Browse by Category

  • CRIME
  • Desh-Videsh
  • Technology
  • Uncategorized
  • अम्बिकापुर
  • कवर्धा
  • कांकेर
  • कोरबा
  • कोरिया
  • कोरोना
  • खेलकूद
  • गरियाबंद
  • छत्तीसगढ़
  • जगदलपुर
  • जशपुर
  • जांजगीर-चांपा
  • दन्तेवाड़ा
  • दुर्ग
  • देश-विदेश
  • धमतरी
  • नारायणपुर
  • पेण्ड्रा
  • बड़ी खबर
  • बलरामपुर
  • बलौदाबाजार
  • बस्तर
  • बालोद
  • बिलासपुर
  • बीजापुर
  • बेमेतरा
  • भिलाई
  • मध्य प्रदेश
  • मनोरंजन
  • महासमुन्द
  • मुंगेली
  • राजनांदगांव
  • राजनीति
  • रायगढ़
  • रायपुर
  • सरगुजा
  • सुकमा
  • सूरजपुर

Calendar

March 2023
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
« Feb    

Contact Us

Director

Shri Pravesh Yadav

Address – C/13 PRESS COMPLEX T.P NAGAR KORBA,
Korba,, Chhattisgarh, 495677

contact no.–+91 79992 81136

Email Id — khatpatnews@gmail.com

Categories

Covid-19

  • Contact
  • Home

© Copyright Khatpat News 2020, All Rights Reserved Developed By -- Priyam Agrwal 7999204546

No Result
View All Result
  • Home
  • छत्तीसगढ़
    • रायपुर
    • बिलासपुर
    • कोरबा
    • जांजगीर-चांपा
    • दुर्ग
    • रायगढ़
    • धमतरी
    • बस्तर
  • बड़ी खबर
  • कोरोना
  • खेलकूद
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • मनोरंजन

© Copyright Khatpat News 2020, All Rights Reserved Developed By -- Priyam Agrwal 7999204546