Sunday, December 22, 2024
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कोरबा:शिक्षा विभाग को चपत,अम्बष्ट पर कार्यवाही में कांप रहे हाथ


कोरबा(खटपट न्यूज़)। कलेक्टर दर पर कार्य कर रहे डाटा एंट्री कर्मियों पर शिक्षा विभाग खासा मेहरबान है। इन्हें कलेक्टर दर पर एकमुश्त वेतन देने के बजाय नियम विरुद्ध संविदा दर्शाकर मोटी रकम दी जा रही है। पूर्व में यह गड़बड़ी सामने आने पर 16 लाख रुपए की रिकवरी संबंधित राशि जारी कर्ता के विरुद्ध निकाले जाने की मांग की गई लेकिन इस गलती को अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए दबाए रखा है। सरकार के 16 लाख रुपए रिकवरी होना तो दूर हर महीने नियम विरुद्ध वेतन अब भी दिया जाकर सरकारी धन की अनियमितता शिक्षा विभाग कर रहा है। इसमें मुख्य भूमिका वर्षों से जमे अम्बष्ट की बताई जा रही है जिन पर कार्यवाही करने में हाथ कांप रहे हैं।

जानकारी के अनुसार जिले में शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजीव गांधी शिक्षा मिशन ब्लॉक समन्वयक कार्यालय कटघोरा, करतला, पाली अंतर्गत डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर कलेक्टर दर पर पदस्थ कर्मचारी मुरारी पटेल, नितेश कुमार सोनी एवं सुमोन कुजूर कार्यरत हैं। उक्त कर्मचारियों को कलेक्टर दर पर कुल एक मुश्त 9420 रुपए वेतन के रूप में दिए जाने का प्रावधान शासन द्वारा निहित है, लेकिन वर्ष 2015 से उक्त कर्मचारियों शासन के नियम विरूद्व संविदा दर पर नियुक्त कर्मचारियों को दिया जाने वाला 18420 रुपए वेतन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा प्रदान किया जा रहा है। इसके कारण आज तक लगभग 16 लाख रूपये का चूना शासन को अधिकारियों द्वारा जान-बूझकर लगाया जा चुका है। साथ ही प्रतिमाह 24260 रूपये शासन के कोष से आहरित कर उक्त कर्मचारियों को दिया जा रहा है जो पूर्णत: शासकीय राशि का गबन कर अनियमितता ही है। इसका जिम्मेदार डीएमसी एस के अम्बष्ट को बताया जा रहा है जो कई वर्षों से शिक्षा विभाग के सर्व शिक्षा विभाग(राजीव गांधी शिक्षा मिशन) में जमे हुए हैं।
0 शिकायत सही होने के बाद भी मौन बैठे हैं जिम्मेदार : जांगड़े
इस संबंध में समाजसेवी मनीराम जांगड़े ने जिला शिक्षा अधिकारी को दो बार प्रत्यक्ष व पत्र लिखकर उक्त विषय में जानकारी दी है। उक्त कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति का आदेश सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत अनेकों बार मांगा गया लेकिन आज पर्यन्त उपलब्ध नहीं कराया गया। स्पष्ट हो गया है कि उक्त कर्मचारी कलेक्टर दर पर ही नियुक्त हैं। चर्चा के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी यह भी स्पष्ट हुआ है कि निश्चित रूप से उक्त कर्मचारी की नियुक्ति गलत है एवं उन्हें कलेक्टर दर पर ही वेतन दिया जाना चाहिए। बड़े खेद की बात है कि सारी बातें और कागजाद स्पष्ट होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी शासन को प्रतिमाह हो रही लगभग 24 हजार क्षति पर अंकुश नहीं रहे और न ही उक्त कर्मचारियों से वेतन के रूप में दी गई अतिरिक्त राशि की वसूली कर रहे हैं। स्पष्ट है कि अधिकारियों की सांठगांठ से अब तक 16 लाख रूपये का चूना शासन को लग चुका है। मनीराम जांगड़े ने पूर्व में तत्कालीन कलेक्टर श्रीमती रानू साहू को पत्र लिखकर मांग किया था कि शासकीय राशि गबन करने वाले अधिकारी-कर्मचारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर राशि की वसूली संबंधित लोगों से सात दिवस के भीतर किया जाए ताकि शासकीय राशि की इस प्रकार से बंदरबाट करने वाले अन्य अधिकारी-कर्मचारी भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न करें। इस पर कार्यवाही लंबित है।

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