Sunday, December 22, 2024
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HomeUncategorizedअधूरे रिकार्ड-अधूरी जानकारी:SDM पर भड़के कमिश्नर, तहसीलदार पर भी नाराज

अधूरे रिकार्ड-अधूरी जानकारी:SDM पर भड़के कमिश्नर, तहसीलदार पर भी नाराज


0 पटवारियों का मुख्यालय में निवास सुनिश्चित करने अधिकारियों को निर्देश
0 किसानों और नागरिकों को बेवजह कार्यालयों का चक्कर न कटवाएं
0 समय सीमा से अधिक के लंबित प्रकरणों को प्राथमिकता क्रम में निपटाएं

कोरबा अनुविभाग में राजस्व संबंधी मामलों का निपटारा से लेकर रिकार्डो का अपडेशन में अनियमितता पाए जाने पर कमिश्नर ने एसडीएम हरिशंकर पैकरा को कड़ी फटकार लगाते हुए यहां तक कह दिया कि लगता है तुम्हें ट्रेनिंग पर भेजना पड़ेगा। कमिश्नर ने आधी-अधूरी जानकारी रखने पर तहसीलदार को भी फटकार लगाई। कमिश्नर के तेवर से राजस्व कर्मियों में हड़कंप मची रही।


कोरबा(खटपट न्यूज़)। बिलासपुर संभाग के कमिश्नर डॉ. संजय अलंग शुक्रवार को कोरबा प्रवास पर रहे। उन्होंने कोरबा एसडीएम तथा तहसील कार्यालय का औचक निरीक्षण कर कलेक्टर रानू साहू की मौजूदगी में राजस्व संबंधी भू-प्रकरणों की जानकारी रीडर शाखा के लिपिक से ली। एसडीएम कार्यालय में लंबित प्रकरणों पर एसडीएम के प्रति गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कामकाज के रवैए पर सवाल उठाए। इसके बाद तहसीलदार कार्यालय में मौजूद विभिन्न पंजियों का अवलोकन कर अपूर्ण पंजियों के लिए अधिकारियों पर गहरी नाराजगी जताई और शीघ्र अद्यतन करने के निर्देश दिए। उन्होंने डायवर्सन, अर्थदण्ड आदि प्रकरणों में बी 1, बी 2, बी 7 के साथ सी श्रेेणी के रिकॉर्ड समय सीमा में अद्यतन करने के निर्देश दिए। संभागायुक्त ने नकल शाखा, वाचक शाखा, डब्ल्यूबीएम शाखा, कानूनगो शाखा, रिकार्ड रूम, स्थापना शाखा का भी निरीक्षण किया।
0 पटवारी प्रतिवेदन के इंतजार में लटके प्रकरण
कमिश्नर ने निरीक्षण के दौरान पाया कि कई मामले वर्षों से सिर्फ इसलिए अनिराकृत हैं क्योंकि उनमें पटवारी प्रतिवेदन नहीं है। ऐसा ही एक मामला उन्होंने पाया जिसमें तहसीलदार के न्यायालय में सुनवाई पूरी हो चुकी है लेकिन फैसला शेष है। 5 साल पुराने इस प्रकरण में फैसला रुकने की वजह पटवारी प्रतिवेदन का नहीं होना तहसीलदार सुरेश कुमार साहू द्वारा बताया गया। कमिश्नर ने इसे गंभीरता से लिया और तहसीलदार को कड़ी फटकार लगाई। यही नहीं राजस्व वसूली के मामले में भी अधूरी जानकारी देने पर कमिश्नर काफी नाराज हुए।
0 प्रतिवेदन के लिए लंबित प्रकरण 2 हफ्ते में निपटाएं
कमिश्नर ने पटवारी प्रतिवेदन के लिए लंबित प्रकरणों की ग्रामवार सूची बनाकर दो हफ्ते में निराकरण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि किसानों और नागरिकों को बेवजह कार्यालयों का चक्कर काटना न पड़े, इसके लिए लोकहित में प्रकरणों का निराकरण समय सीमा में करें। राजस्व अधिकारियों को सभी लंबित प्रकरणों के भौतिक सत्यापन कर प्राथमिकता क्रम में निपटारा करने और हर हफ्ते इसकी मॉनिटरिंग करने के भी निर्देश दिए। यह भी कहा कि जिस हफ्ते आदेश जारी किये गये हैं, उसी हफ्ते रिकार्ड का ऑनलाइन इंट्री भी सुनिश्चित करें। डॉ. अलंग ने पटवारियों का मुख्यालय में निवास सुनिश्चित करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। उन्होंने नक्शा, बटांकन की हल्कावार जानकारी लेकर समय सीमा में बटांकन के कार्य को पूर्ण करने के भी निर्देश दिए।
0 आसान प्रक्रिया से नकल प्रदान करें
संभाग आयुक्त ने राजस्व अधिकारियों को डब्ल्यूबीएम शाखा के पंजियों के अद्यतीकरण पूरा करने और बी और सी सीरिज की पंजियों की इंट्री एक महिने के भीतर पूरा करने कहा। आदेश के लिए लंबित प्रकरणों को तत्काल निराकरण कर रिकार्ड दुरूस्तीकरण करने के भी निर्देश दिए। संभागायुक्त ने नागरिकों की सहूलियत के लिए आसान प्रक्रिया से नकल शाखा से नकल प्रदान करने, नागरिकों को शासकीय योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए सरल प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिए जिससे आमजनों को योजनाओं का लाभ आसानी से सुनिश्चित हो।
0 निर्देशों से सबक नहीं लेता राजस्व अमला
यह कोई पहला मौका नहीं है जब कमिश्नर या शीर्ष अधिकारियों के द्वारा राजस्व विभाग के कामकाज के रवैये को लेकर फटकार लगाई गई हो। अक्सर जब भी शीर्ष अधिकारी दौरे पर आते हैं और निरीक्षण करते हैं तो इस विभाग में खामियां मिलती ही मिलती हैं। फटकार और हिदायतों से अपेक्षाकृत सबक लेने की बजाय कुछ समय बीतने के बाद फिर वही ढर्रा शुरू हो जाता है। राजस्व विभाग के मैदानी अमला पटवारियों को लेकर अक्सर ग्रामीणों की शिकायतें सामने आती रही हैं लेकिन इन शिकायतों का निराकरण करने और कामकाज के रवैया में सुधार लाने की बजाय शिकायत कर्ताओं से लेकर इसे सामने लाने वालों पर ही हावी होने की कवायद पर ज्यादा जोर दिया जाता है। यह एक बड़ी वजह है कि कुछ दिनों में निराकृत हो सकने वाले प्रकरण सालों साल लंबित रहते हैं और किसानों से लेकर आम नागरिक को पटवारी, तहसील और एसडीएम के दफ्तर का बार-बार चक्कर काटना पड़ता है। जिनमें वजन होता है उनके काम पहले होते हैं लेकिन जरूरतमंद और गरीबों के प्रकरण पटवारियों के बदल जाने तक निराकृत नहीं हो पाते और जब पटवारी बदलता है तो वह अपने हिसाब से फिर नए सिरे से काम करने की कोशिश में चप्पल घिसवाने से बाज नहीं आता। उम्मीद की जानी चाहिए कि कमिश्नर की फटकार के बाद एसडीएम से लेकर पटवारी कार्यालय तक व्यवस्थाओं में सुधार होगा वरना खामियों पर फटकार तो पड़ती ही रहेगी।

00 सत्या पाल 00 (7999281136)

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