0 नौ सौ रूपये में सिंचित धान, 660 रूपये में असिंचित धान का प्रति हेक्टेयर रकबे का होगा बीमा
0बैंकों, लेम्पस और कृषि विभाग के कार्यालयों से संपर्क कर फसलों का बीमा कराने कलेक्टर की अपील
कोरबा,(खटपट न्यूज़)। चालू खरीफ मौसम में नौ सौ रूपये में सिंचित धान, 660 रूपये में असिंचित धान, तीन सौ रूपये में मूंग और उड़द का प्रति हेक्टेयर रकबे का फसल बीमा 15 जुलाई तक किया जा रहा है। किसानों द्वारा फसल बीमा कराने के लिये अंतिम छह दिन बाकी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इस वर्ष ऋणी-अऋणी सभी किसानों के लिए यह फसल बीमा ऐच्छिक कर दिया गया है। खरीफ फसलों के लिए किसान द्वारा देय प्रीमियम दर बीमित राशि का 2 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। इस वर्ष धान (सिंचित) पर प्रति हेक्टेयर बीमित राशि 45 हजार रूपए होगी, जिसके लिए किसान को 900 रूपये प्रीमियम देना होगा। धान (असिंचित) पर प्रति हेक्टेयर बीमित राशि 33 हजार रूपए होगी और बीमा प्रीमियम 660 रूपये निर्धारित किया गया है। इसी तरह मूंग और उड़द की एक हेक्टेयर फसल का 15 हजार रूपये का बीमा 300 रूपये में होगा। इस वर्ष प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन एग्रीकल्चर इंश्योरेंश कंपनी आफ इंडिया लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। अपनी फसलों का बीमा कराने के लिए किसान निकटतम बैंक,सहकारी समिति, कृषि विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते है।
कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि किसानों को बीमा कराने हेतु बी 1 की छायाप्रति,पहचान पत्र एवं बंैक खाते के पासबुक की छायाप्रति, किसान पहचान पत्र की छायाप्रति एवं फसल बुआई प्रमाण पत्र के साथ जमा करना अनिवार्य होगा। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने इस फसल बीमा योजना का लाभ उठाने किसानों से अपील करते हुये कहा है कि वे नजदीकी बैंक एवं सहकारी समितियों से संपर्क कर फसल बीमा जरूर कराएं।
कृषि विभाग द्वारा बीमा आवरण की जानकारी देते हुए उप संचालक ने बताया कि बीमाकृत क्षेत्र में कम वर्षा अथवा प्रतिकूल मौसमी दशाओं में बुआई, रोपण नहीं होने पर हानि से यह बीमा सुरक्षा प्रदान करेगा। इसके अलावा गैर बाधित जोखिम जैसे सूखा, शुष्क अवधि, बाढ़, जल भराव, कीट व्याधि, भू-स्खलन, प्राकृतिक अग्नि दुर्घटना, आकाशीय बिजली, तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात, आंधी, समुद्री तूफान, भंवर और बवंडर के कारण फसल को होने वाले नुकसान की सुरक्षा के लिए वृहत् जोखिम बीमा दिया जाएगा। यह बीमा आच्छादन अधिसूचित फसलों के कटाई के बाद अधिकतम दो सप्ताह (14 दिन) के लिए चक्रवात, चक्रवातीय वर्षा और बेमौसम वर्षा के मामले में दिया जाएगा, जिन्हें फसल कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए छोड़ा गया हो। अधिसूचित क्षेत्र में पृथक कृषक भूमि को प्रभावित करने वाली ओलावृष्टि, भू-स्खलन और जलभराव के अभिचिन्हित स्थानीयकृत जोखिमों से होने वाले क्षति से भी यह सुरक्षा प्रदान करेगा। इस संबंध में बताया गया है कि युद्ध, नाभिकीय जोखिमों से होने वाली हानियों, दुर्भावनाजनित क्षतियों और निवारणीय जोखिमों को इस बीमा आवरण में शामिल नहीं किया गया है।
https://khatpatnews.com/wp-content/uploads/2024/11/digital-ad-4-november-copy.jpg
https://khatpatnews.com/wp-content/uploads/2024/10/kpt-advt-November-24-scaled.jpg
https://khatpatnews.com/wp-content/uploads/2024/11/20x10.pdf