रायपुर. |
पिछले एक माह में राजधानी समेत कोरोना अस्पतालों से 2274 कोरोना मरीजों को स्वस्थ होने की वजह से डिस्चार्ज कर दिया गया। इनमें से सिर्फ 4 मरीज ही दोबारा संक्रमण की शिकायत के बाद वापस अस्पताल में भर्ती किए गए हैं। इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की पिछले महीने गाइडलाइन आई थी कि कोरोना मरीजों को अधिकतम 10 दिन भर्ती रखना है। लेकिन छत्तीसगढ़ में अधिकांश मरीज 5 दिन में ही ठीक होकर लौट रहे हैं। डाक्टरों के मुताबिक अब भी छत्तीसगढ़ के 95 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों में वायरल लोड कम है, इसलिए ठीक होने की दर भी ज्यादा है।
प्रदेश में मंगलवार को शाम तक कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 3417 हो गई है। इनमें केवल 673 एक्टिव केस हैं, यानी लोग ही अस्पताल में भर्ती हैं। ऐसे मरीजों की संख्या 500 से अधिक है, जो अस्पतालों में 5 दिन से ज्यादा भर्ती रहे और स्वस्थ हुए। सब मिलाकर अब तक 2728 मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं। ज्यादा दिन तक अस्पताल में रहनेवाले मरीज 31 मई से पहले के हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में स्वस्थ होने वाली मरीजों की दर के मामले में सीमावर्ती 7 राज्यों से छत्तीसगढ़ में हालात कहीं बेहतर हैं। यही नहीं, प्रदेश में मृत्युदर भी कम ही है।
ठीक होने की दर 80%
एक माह पहले 3 जून को कुल 626 मरीज थे। इनमें 454 केस एक्टिव थे। यानी उस दौरान प्रदेश में रिकवरी दर 27 फीसदी थी। अब यह दर 80 फीसदी से ऊपर हो चुकी है। बाकी मरीजों का एम्स, अंबेडकर अस्पताल समेत बाकी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। अब भी राजधानी में दो मरीजों की हालत गंभीर है, बाकी खतरे से बाहर हैं। गंभीर मरीज कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों से भी ग्रस्त हैं।
80% बिना लक्षण वाले
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश के 80 फीसदी से ज्यादा मरीज बिना लक्षण के आ रहे हैं। पिछले एक माह से नए मरीज मिलने की दर बढ़ी है, लेकिन आईसीएमआर ने बड़ी राहत दी है। पहले मरीजों के डिस्चार्ज होने का औसत 10 से 15 दिन था। अब यह घटकर 5 से 7 दिन हो गया है। यानी औसत आधा हो गया है। यही कारण है कि ज्यादा मरीज मिलने के बावजूद अस्पतालों में बेड की कमी नहीं है।
माना अस्पताल इसीलिए बंद
माना स्थित 100 बेड के कोविड सेंटर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। मरीजों को एम्स व अंबेडकर में भर्ती किया जा रहा है। बिलासपुर, अंबिकापुर, रायगढ़, दुर्ग, राजनांदगांव, जगदलपुर, बालोद में भी मरीजों का इलाज हो रहा है। इससे एम्स व अंबेडकर अस्पताल पर मरीजों का दबाव पूरी तरह कम हो गया है। प्रदेश में कोरोना से केवल 15 मौतें हुई हैं। यह कुल मरीजों का केवल 0.5 प्रतिशत है।
4 जवान दोबारा संक्रमित
प्रदेश में आईटीबीपी के चार जवान अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद दाेबारा संक्रमित हो गए। खरोरा के इन जवानों को फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रदेश में इससे पहले सूरजपुर में एक पुलिस जवान दोबारा संक्रमित हुआ था। उन्हें भी दाेबारा भर्ती करवाया गया था। 5 केस के अलावा प्रदेश में ऐसा कोई अपवाद नहीं है, जो एक बार स्वस्थ होने के बाद दोबारा बीमार पड़ा हो।
“जिन मरीजों में वायरल लोड ज्यादा रहता है, उसके लक्षण दिखने लगते हैं। जिनमें कम वायरल लोड है, उन मरीजों में लक्षण नहीं आते। प्रदेश में कम वायरल लोड वाले मरीज 90 प्रतिशत के आसपास हैं। इसलिए जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं।”
-डा. नितिन नागरकर, डायरेक्टर एम्स
“ऐसे मरीज सैकड़ों की संख्या में हैं, जो किसी संक्रमित के संपर्क में आए और उनमें थोड़े लक्षण भी थे। इनके इलाज के लिए सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार नहीं किया गया। जब तक रिपोर्ट पाजिटिव आती, दवाई शुरू हो चुकी होती है और संक्रमण कम हो जाता है।”
-डॉ. आरके पंडा, सदस्य कोरोना कोर कमेटी